माहवारी, मासिक धर्म, Periods, Menses, Menstruation, ‘औरतों वाली बीमारी’ आदि.
जिस तरह सांस लेना, पाचन क्रिया, रगों में ख़ून का दौड़ना प्राकृतिक है, वैसे ही हर महीने महिलाओं के पीरियड्स प्राकृतिक है. ग़ौरतलब है कि माहवारी के साथ जुड़ी इतनी भ्रांतियां, ग़लतफ़हमियां, अफ़वाहें और अंधविश्वास हैं कि इसे बहुत सारे लोग ‘प्राकृतिक’ न मानकर ‘बीमारी’ मानते हैं.
देश और दुनियाभर की कई महिलाओं के लिये Periods के दौरान साफ़-सफ़ाई सेकेंडरी है और लज्जा-शर्म, छिपना-छिपाना प्राइमरी. इसका दोष किस पर मढ़ा जाये, इस पर आज बात नहीं करते हैं. आज बात करते हैं प्राइमरी नीड पर, वो है पीरियड्स के दौरान स्वच्छता और साफ़-सफ़ाई पर.
औसतन 5 से 7 दिनों तक चलने वाली इस प्रक्रिया में महिलायें कई तरह के बदलाव महसूस करती हैं. Hormonal बदलाव, शरीर में दर्द, Digestion से जुड़ी दिक्कतें, उल्टियां और यहां तक की बुखार भी. इसके बावजूद आज भी कई देशों में Periods Products पर टैक्स लगाये जाते हैं और कई दफ़्तरों में छुट्टी नहीं दी जाती. देश और दुनिया में कई महिलाएं और लड़कियां पीरियड्स में गंदा कपड़ा इस्तेमाल करती हैं. अंधविश्वास की बेड़ियों की वजह से कई महिलायें अकेले कमरे में रहती हैं. ये हालात तभी बदलेंगे जब पीरियड्स पर खुलकर बात होगी, बातें सुनी जायेंगी. आज चर्चा करते हैं पीरियड्स स्वच्छता, Menstrual Hygiene से जुड़ी कुछ अहम बातों पर, जिनका ध्यान पुरुषों और स्त्रियों दोनों को रखना चाहिये.
Menstrual Hygiene से जुड़ी ज़रूरी टिप्स-
1. Vagina की सफ़ाई
Vagina/योनि की सही तरीके से सफ़ाई बहुत ज़रूरी है क्योंकि Pads, Tampons हटाने के बाद भी किटाणु शरीर से चिपके रहते हैं. Vagina की सफ़ाई का सही तरीका है हाथ से योनि से मल मार्ग (Vagian to Anus) तक की सफ़ाई. बहुत सारी महिलायें इसका उल्टा करती हैं. Anus से Vagina की तरफ़ अगर आप सफ़ाई करेंगे तो Anus के पास मौजूद किटाणु Vagina में आ सकते हैं और इससे भी इन्फ़ेक्शन फैल सकता है.
2. Clean अंडरवेयर पहनें
वैसे तो हर दिन अंडरवेयर बदलना चाहिये लेकिन Periods के दौरान साफ़ अंडरवेयर पहनना और ज़्यादा ज़रूरी है. अगर हो सके, तो दिन में 2 बार अंडरवेयर बदलें. इससे स्वच्छता भी रहेगी और आप ख़ुद फ़्रेश फ़ील करेंगे.
3. हर 4-6 घंटे में Pad, हर 2 घंटे में Tampon बदलिये
Pads, Tampons, Menstrual Cups जैसे कई Period Products बाज़ार में उपलब्ध हैं. अगर आप Pad का इस्तेमाल करते हैं तो हर 4-6 घंटे में उसे बदलना ज़रूरी है. अगर आप Tampons का इस्तेमाल करते हैं तो इसे 2 घंटे में बदलना ज़रूरी है. शरीर से निकलने वाले Period Blood से कई तरह के कीटाणु आकर्षित होते हैं. ख़ून के तापमान में ये Multiply करते हैं और इस वजह से Rashes और यहां तक कf UTI (Urinary Tract Infection) भी हो सकता है.
4. साबुन या Hand wash से हाथ धोयें
Vaginal Opening शरीर का वो हिस्सा है, जो हमेशा खुला रहता है. शरीर के इस हिस्से में किटाणु आक्रमण का ख़तरा भी ज़्यादा होता है. Pads, Tampons बदलने से पहले और बाद में अच्छे से साबुन, Handwash से हाथ धोयें.
5. साबुन, Vagina Hygiene Products का इस्तेमाल न करें
Periods के दौरान Vagina Hygiene Products का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये. Vagina को प्रकृति ने, Periods के दौरान अपना साफ़-सफ़ाई का तरीका दिया है. Vagina Hygiene Products के इस्तेमाल से प्राकृतिक प्रक्रिया में बाधा आ सकती है. आर्टिफ़िशियल चीज़ों के इस्तेमाल से गुड बैक्टीरिया भी मर सकते हैं.
6. Pad, Tampons को ठीक से डिस्पोज़ करें
Periods एक और बेहद ज़रूरी स्टेप है Pads, Tampons को सही से फेंकना. इस्तेमाल के बाद Pads, Tampons को सही जगह फेंके. इधर-उधर फेंकने से किटाणुओं के फैलने का ख़तरा रहता है. टॉयलेट, बाथरूम में पैड्स को फ़्लश न करें, ड्रेन में न फेंके.
7. सही Pad का प्रयोग करें
बाज़ार में कई तरह के Sanitary Pads उपलब्ध हैं. कोई 8 घंटे तक गिलापन सोखने की गारंटी देता है तो कोई 10 घंटे. कई Gynaecologists ने ऐसे Pads के इस्तेमाल को ख़तरनाक बताया है. Plastic Lining वाले Pads का इस्तेमाल न करें, इससे भी Rashes, खुजली आदि की समस्या हो सकती है. Periods पर बातचीत ज़रूरी है.
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