Mid-week motivation : उद्योगपति आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने ट्विटर पर सबसे अधिक महिला पायलट्स हिस्सेदारी (Highest Share of Female Pilots) वाले देशों की एक लिस्ट शेयर की है। भारत में कुल पायलट्स का 12.4% महिलाएं हैं। जबकि दुनिया की सबसे बड़े एविएशन मार्केट (World’s Biggest Aviation Market) अमेरिका में यह 5.5 फीसदी है।
नई दिल्ली : क्या आप कुछ मिड-वीक मोटिवेशन (Mid-week motivation) खोज रहे हैं। जाने-माने उद्योगपति आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ट्विटर पर आपके लिए मिड-वीक मोटिवेशन लेकर आए हैं। 67 वर्ष के ये बिजनस टायकून ट्विटर पर दिलचस्प और प्रेरणादायी चीजें शेयर करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने आज अपने 99 लाख फॉलोअर्स के लिए एक रोचक आंकड़ा ट्वीट किया है। महिंद्रा के बॉस ने सबसे अधिक महिला पायलट्स हिस्सेदारी (Highest Share of Female Pilots) वाले देशों की एक लिस्ट शेयर की है। आपको जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि भारत इस लिस्ट में टॉप पर है। यह लिस्ट साल 2021 की है। भारत महिला पायलट्स की 12.4 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दुनिया में टॉप पर है।
महिंद्रा ने किया यह ट्वीट
आनंद महिंद्रा ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘क्या आप कुछ ऐसा खोज रहे हैं, जो आपको मिड-वीक ‘जोश’ दे? तब आप इस लिस्ट को देखें। हैलो वर्ल्ड, यह वर्कप्लेस पर नारी शक्ति की ताकत है।’ लिस्ट के अनुसार, भारत में विश्व स्तर पर महिला पायलट्स का प्रतिशत सबसे अधिक है। भारत में कुल पायलट्स का 12.4% महिलाएं हैं। जबकि दुनिया की सबसे बड़े एविएशन मार्केट अमेरिका में यह 5.5 फीसदी है और यूके में 4.7 फीसदी है। यह अनुमान इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ वुमन एयरलाइन पायलट का है।
भारतीय है दुनिया में सबसे कम उम्र की कमर्शियल एयरलाइन कैप्टन
साल 1989 में निवेदिता भसीन (Nivedita Bhasin) दुनिया की सबसे कम उम्र की कमर्शियल एयरलाइन कैप्टन बनी थीं। यह भारतीय पायलट आज भी अपने उन शुरुआती दिनों को याद करती हैं। उस समय दूसरे क्रू मेंबर्स उन्हें कॉकपिट में ही रहने के लिए कहते थे, ताकि यात्री एक महिला को विमान उड़ाते देख घबरा न जाएं। भसीन के करियर की शुरुआत के 3 दशक बाद, अब भारत में महिला पायलट्स (Female Pilots) की भरमार हैं। जब एयरलाइन इंडस्ट्री (Airline Industry) में डायवर्सिटी की बात आती है, तो भारत दुनिया के सामने एक मिसाल बनकर खड़ा दिखाई देता है।
क्या है वजह?
ये आंकडे किसी को भी आश्चर्य में डाल सकते हैं। एक ऐसा देश जो विश्व आर्थिक मंच की लैंगिक समानता के आधार पर की गई रैंकिंग में 146 देशों में 135 वें स्थान पर है। उस देश ने महिला पायलट्स के मामले में पूरी दुनिया को पीछे छोड़ दिया। इस सवाल का जवाब खुद निवेदिता भसीन ने दिया है। भसीन ने कहा, ‘भारतीय महिलाओं को एविशन इंडस्ट्री में कई कारकों के चलते प्रोत्साहन मिलता है। इनमें आउटरीच कार्यक्रमों से लेकर बेहतर कॉर्पोरेट नीतियां और मजबूत पारिवारिक सर्मथन शामिल है। इसके अलावा कई महिलाएं नेशनल कैडेट कॉर्प्स (NCC) के एयरविंग से उड़ानों की ओर आकर्षित होती हैं।’
दशकों पहले भारत ने उठाए कदम
फ्लोरिडा में रह रहीं प्रोफेसर मिशेल हॉलरन ने कहा, ‘भारत ने दशकों पहले ही पायलट्स सहित एसटीईएम पदों पर महिलाओं की नियुक्ति करनी शुरू कर दी थी। दुनिया के अन्य देशों में ऐसा नहीं हुआ। भारतीय एयरफोर्स ने महिला पायलट्स को हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट के लिए 1990 के दशक से ही भर्ती करना शुरू कर दिया था।
इस आंकड़े के पीछे एनसीसी का बड़ा योगदान
साल 1948 में बनी एनसीसी एक यूथ प्रोग्राम है, जहां छात्रों को हल्के एयरक्राफ्ट उड़ाना सिखाया जाता है। इससे महंगी कमर्शियल पायल ट्रेनिंग तक पहुंच महिलाओं के लिए आसान हो जाती है। देश में महिला पायलट्स के लिए बेहतर माहौल तैयार करने में सबने मिलकर प्रयास किया है। कुछ राज्य सरकारों ने सब्सिडी योजनाएं भी चला रखी हैं। इसके अलावा होंडा मोटर जैसी कंपनियां इंडियन फ्लाइंग स्कूल में महिलाओं को 18 महीने के कार्यक्रम की फुल स्कॉलरशिप देती हैं।
मिलती हैं जरूरी सुविधाएं
भारत में एयरलाइंस ने महिला पायलट्स के लिए काफी सुविधाजनक माहौल तैयार किया है। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की ही बात करें, तो यह इन पायलट्स् को काफी आसान शर्तों पर जॉब देती है। महिला पायलट्स को गर्भावस्था के दौरान उड़ान की ड्यूटी नहीं दी जाती। कानून के अनुसार, उन्हें 26 महीने की तनख्वाह के साथ मैटरनिटी लीव दी जाती है। इसके साथ ही बच्चों की देखभाल के लिए क्रेच भी उपलब्ध होते हैं। जब तक बच्चा 5 साल का न हो जाए, तब तक महिला पायलेट्स फ्लेक्सिबल कॉन्ट्रेक्ट ले सकती हैं। इसमें एक कैलेंडर महीने में 2 हफ्ते की छुट्टी दी जाती है। कई एयरलाइंस देर रात तक उड़ान भरने वाली महिलाओं को एक ड्राइवर और गार्ड की सुविधा भी देती हैं। विस्तारा एयरलाइंस की बात करें, तो यह गर्भवति महिला पायलट्स और केबिन क्रू को अस्थाई तौर पर ग्राउंड या प्रशासनिक ड्यूटी का विकल्प देती है। साथ ही इन्हें 6 महीने की सैलरी के साथ मैटरनिटी लीव दी जाती है।