कुवैत में प्रवासियों को पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर प्रदर्शन करना पड़ा भारी, सख़्त आदेश- प्रेस रिव्यू

कुवैत

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पैग़ंबर मोहम्मद पर बीजेपी के पूर्व प्रवक्ताओं की विवादित टिप्पणी के बाद भारतीय राजदूत को तलब कर चुके कुवैत ने अब उन लोगों को गिरफ़्तार करके वापस उनके मुल्क भेजने का फ़ैसला किया है, जिन्होंने बीते शुक्रवार इस मसले पर विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था. इकनॉमिक टाइम्स की ख़बर के अनुसार, जुमे की नमाज़ के बाद कुवैत में भी लोगों ने प्रदर्शन किया था.

आज के प्रेस रिव्यू में सबसे पहले पढ़िए अंग्रेज़ी अख़बार द इकोनॉमिक टाइम्स की ये ख़बर.

कुवैत सरकार ने इस विवाद पर नए निर्देश जारी किए हैं, जिसके मुताब़िक बयान को लेकर जिन्होंने प्रदर्शन किया, उन्हें उनके संबंधित देशों में वापस भेजा जाएगा. सरकार ने कहा है, “सभी प्रवासियों को क़ानून का सम्मान करना चाहिए और किसी भी तरह के धरना-प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेना चाहिए.”

प्रदर्शनकारियों में पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और अरब देशों के प्रवासियों के साथ ही भारतीय भी शामिल हो सकते हैं.

इकनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से ये भी लिखा है कि प्रदर्शनकारी प्रवासियों को हमेशा के लिए कुवैत में घुसने से रोका जा सकता है.

शुक्रवार, 10 जून को जुमे की नमाज़ के बाद कुवैत के फ़हाहील इलाक़े में 40-50 प्रवासियों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और नारेबाज़ी भी की थी.

कुवैत में विदेशियों के प्रदर्शन और आंदोलन करने को गंभीर अपराध माना जाता है. प्रशासन इस मामले को लेकर मिसाल भी पेश करना चाहता है ताकि भविष्य में प्रवासी इस तरह से क़ानून का उल्लंघन न कर पाएं. कुवैत सरकार उन स्थानीय लोगों पर भी उपयुक्त कार्रवाई कर सकती है, जो इस धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए थे.

कुवैत इस क्षेत्र में भारत के सबसे पुराने सहयोगी देशों में से है और यहाँ के शाही परिवार का भारत से ऐतिहासिक संबंध हैं. कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट की वजह से भारत में आई दूसरी लहर के दौरान कुवैत भारत को मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाला प्रमुख देश था.

बीते साल विदेश मंत्री एस. जयशंकर पीएम मोदी का संदेश लेकर कुवैत पहुँचे थे. इस दौरान उन्होंने यहाँ के प्रधानमंत्री सहित सभी शीर्ष अधिकारियों से मुलाक़ात की थी.

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बांग्लादेश के मंत्री का बयान- पैग़ंबर मोहम्मद के सम्मान से समझौता नहीं करेंगे

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पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर दिए विवादित बयान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं का सिलसिला थमा नहीं है. अब बांग्लादेश की शेख़ हसीना सरकार में सूचना मंत्री हसन महमूद ने कहा है कि उनका देश पैग़ंबर के सम्मान से कोई समझौता नहीं करेगा.

अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है.

मंत्री का ये बयान ऐसे समय आया है, जब भारत में बीजेपी के दो पूर्व प्रवक्ताओं की ओर से पैग़ंबर मोहम्मद पर दिए आपत्तिजनक बयान के बाद से ही बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन हो रहा है.

बांग्लादेश गए भारतीय पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के दौरान सूचना मंत्री महमूद ने कहा कि बीते साल जब बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा छिड़ी थी तब शेख़ हसीना ने त्वरित कार्रवाई की थी और भारत ने प्रधानमंत्री को नई दिल्ली आने का न्योता दिया था. हालाँकि, उन्होंने ये नहीं बताया कि जुलाई में कौन सी तारीख़ को शेख़ हसीना भारत दौरे पर आएंगी.

विवादित बयान पर बांग्लादेश का रुख़ पूछे जाने पर हसन महमूद ने कहा, “भारत के लिए ये घरेलू मामला है लेकिन बांग्लादेश के लिए ये बाहरी मसला है. जहाँ भी ऐसी चीज़ें होती हैं, हम उसकी निंदा करते हैं. हम पैग़ंबर के सम्मान से समझौता नहीं कर रहे हैं.”

महमूद ने कहा कि वो अपमानजनक टिप्पणी के मसले को भड़काना नहीं चाहेंगे. उन्होंने कहा, “मैं इस मुद्दे को क्यों भड़काऊं? मेरा काम उकसाना नहीं है.”

इससे पहले द हिंदू ने ही अपनी एक ख़बर में दावा किया था कि भारत में जारी पैग़ंबर विवाद के बीच बांग्लादेश के कुछ अधिकारी प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की जुलाई में प्रस्तावित भारत यात्रा को सितंबर या उसके बाद के लिए टालने पर विचार कर रहे हैं.

महमूद ने भी ये संकेत दिए कि आने वाले दिनों में शेख़ हसीना कई कार्यक्रमों में व्यस्त रहेंगी और फ़िलहाल उनके लिए घरेलू राजनीति और विकास से जुड़ी योजनाएं ही प्रमुख हैं.

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भारत की न्यायिक व्यवस्था पर जताया भरोसा

बांग्लादेशी मंत्री ने आशा जताई कि भारतीय क़ानूनी प्रक्रिया के तहत नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल पर कार्रवाई होगी और भारत एक्शन लेगा. महमूद ने बीते साल अक्टूबर में बांग्लादेश में शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा की ओर भी ध्यान दिलाया, जब ब्राह्मणबाड़िया, कुमिल्ला, चिट्टागोंग और रंगपुर इलाकों में हिंदुओं के पूजा पंडालों को निशाना बनाया गया था.

उन्होंने कहा कि उस समय शेख़ हसीना ने अल्पसंख्यक समुदाय को हुए नुक़सान को रोकने के लिए जो कार्रवाई की वो उदाहरण देने के लिए योग्य है.

शेख़ हसीना सरकार में अहम पद रखने वाले महमूद ने कहा, “उस समय दंगाइयों ने पीरगंज को निशाना बनाया जो कि प्रधानमंत्री के परिवार से जुड़ा है क्योंकि उनके दिवंगत पति डॉक्टर वाजिद वहीं से ताल्लुक रखते थे. जब हमले हो रहे थे तब मैं रात भर सोया नहीं और अगले ही दिन घटनास्थल पर पहुँचा. हमारे सारे कार्यकर्ता पूजा पंडालों पर गए और अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की. अल्पसंख्यक समुदाय को इस दौरान जितना नुकसान हुआ उसका तीन गुना अधिक मुआवज़ा दिया गया.”

महमूद ने ये कहा कि प्रधानमंत्री शेख़ हसीना चरमपंथ और आतंकवाद के ख़िलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने माना कि 20 पार्टियों वाले विपक्षी गठबंधन में कुछ इस तरह के तत्व शामिल हैं. 60 वर्षीय नेता महमूद ने कहा, “ऐसे कुछ नेता हैं जिन्हें बीते समय में अफ़ग़ानिस्तान में अल-क़ायदा ने प्रशिक्षित किया है.” उन्होंने दावा किया कि 2018 के आम चुनावों में हिस्सा न लेने की वजह से देश में विपक्षी पार्टी कमज़ोर हुई है.

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राजस्थान में पेट्रोल-डीज़ल संकट, रात 9 बजे के बाद नहीं बंद रहेंगे पंप

राजस्थान पेट्रोल-डीज़ल संकट

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हिंदी अख़बार दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में दो तेल कंपनियां एचपीसीएल (हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड) और बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड) ने घाटा कम करने के लिए तेल की राशनिंग शुरू कर दी है.

दोनों कंपनियां पेट्रोल पंप संचालकों को निर्देश दे रही है कि रात नौ बजे के बाद पेट्रोल-डीज़ की बिक्री न करें. तेल की बिक्री घटाई जाए. अख़बार ने दावा किया है कि दोनों कंपनियों के अफसरों ने अपने स्तर पर ही तेल कम देना शुरू कर दिया है.

ख़बर के अनुसार तेल कम देने के पीछे कारण आगे से आपूर्ति कम मिलना है. ये स्थिति तब है जब आईओसी यानी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन अपने स्तर पर तेल की पूरी आपूर्ति कर रहा है. ख़बर में बताया गया है कि राजस्थान के 6700 पंप में से 4500 पंप रविवार को सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं. 11 जून को दूसरा शनिवार व 12 जून को रविवार होने के कारण तेल डिपो बंद रहे. सोमवार को ही सप्लाई सुचारू हो सकेगी. इस अघोषित तेल संकट पर कंपनियों के अफसरों ने चुप्पी साध रखी है. वहीं रिलायंस व एस्सार के पंप पर तेल की बिक्री नहीं हो रही.

दोनों तेल कंपनियों ने मई के दूसरे सप्ताह से ये राशनिंग शुरू की है. इसके पीछे उच्च स्तर का हवाला दिया गया है. पहले डिमांड ड्राफ्ट के जरिए बुकिंग करवाते ही हाथों-हाथ आपूर्ति होती थी, लेकिन अब एडवांस बुकिंग मांगी जा रही है. इसके बावजूद भी दो से तीन दिन में सप्लाई की जा रही है. राजस्थान के जयपुर, जोधपुर अजमेर व कोटा स्थित तीनों कंपनियों के डिपो तेल के लिए मिलने में दिक्कत आ रही है.

बीती 21 मई को केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 9.55 रुपये और डीज़ल पर 7.20 रुपये प्रति लीटर एक्साइज़ ड्यूटी घटाई. बीपीसीएल व एचपीसीएल कम हो रहे मुनाफ़े के लिए इसे ही ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. दोनों कंपनियों के अफसर डीज़ल पर 14 रुपये और पेट्रोल पर 11 से 12 रुपये प्रति लीटर नुकसान की बात कह रहे हैं.