सफेद तरबूज से लाखों की कमाई, ताइवान से ऑनलाइन बीज मंगा की खेती, खूब कमा रहा किसान

गर्मी का मौसम चल रहा है. इसमें तरबूज की मांग खूब बढ़ जाती है. ये हमारे सेहत के लिए भी शानदार होता है. लेकिन, आपने हमेशा लाल तरबूज देखे होंगे. हालांकि, ये जब कच्चे होते हैं तो कम लाल भी दिखते हैं. लेकिन, क्या आपने कभी पीले तरबूज देखे हैं?

झारखंड के एक किसान ने पीले तरबूज की पैदावर की है. किसान का नाम राजेंद्र बेदिया है. उन्होंने इस ताइवानी तरबूज की खेती करके एक मिसाल कायम कर ली है. अब पूरे क्षेत्र में लोग उनसे इस खेती के बारे में पूछ रहे हैं. राजेंद्र ने इन तरबूजों से लागत की तीन गुनी कमाई कर ली है.

राजेंद्र रामगढ़ के गोला प्रखंड के चोकड़बेड़ा गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने पहली बार तरबूज की खेती का प्लान बनाया. लेकिन, उन्होंने देसी नहीं ताइवानी तरबूज को उगाने का प्लान किया. इसके लिए उन्होंने ऑनलाइन ताइवानी तरबूज के बीच मंगाए. बस फिर क्या उनकी मेहनत ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है.

ज्यादा मीठे और रसीले हैं

राजेंद्र के ये तरबूज अब बड़े हो गए हैं. पीले तरबूज का रंग और आकार लाल तरबूज की तरह ही है. लेकिन, काटने पर ये पीला नजर आता है. इस तरबूज को अनमोल हाइब्रिड किस्म का तरबूज कहते हैं. इसका रंग बाहर से सामान्य हरा और अंदर से पीला होता है. यह स्वाद में ज्यादा मीठा और रसीलापन लिए रहता है.

राजेंद्र बेदिया ने आजतक से बात करते हुए कहा, बिग हाट के माध्यम से उन्होंने ऑनलाइन इस बीच को ताइवान से मंगाया. 10 ग्राम अनमोल किस्म के ये  बीच 800 रुपये के मिले. इसके बाद प्रयोग के तौर पर एक छोटे से खेत में प्लास्टिक मंचिंग और टपक सिंचाई तरीके से खेती की. अब 15 क्विंटल से अधिक पीले तरबूज की खेती हुई है. उनका अनुमान है कि उन्हें 22 हजार की आमदनी हो सकती है. यह लागत मूल्य से तीन गुना ज्यादा है.

राजेंद्र बेदिया को देखते हुए और भी किसानों ने निर्णय लिया है कि वे पीले तरबूज  की खेती करेंगे. यह इलाके ऐसे भी कृषि बहुल इलाके के तौर पर जाना जाता है. यहां के किसान आधुनिक तरीके से खेती करते आए हैं. यहां के किसानों को खेती के तरीके सीखने के लिए इजराइल भेजा गया था.