जब आप भारत के सबसे अमीर लोगों के बारे में सोचते हैं तो आपके दिमाग में अडानी और अंबानी का ख्याल आता होगा. लेकिन आप गलत हैं. दरअसल, अगर आप अपने इतिहास के पन्नों को पलटकर देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि भारत में ऐसे लोग हुए जिनकी संपत्ति के सामने अडानी-अंबानी की दौलत कुछ भी नहीं है. मीर उस्मान अली खान एक ऐसा ही नाम हैं.
1911 से 1948 तक किया हैदराबाद पर शासन
स्वतंत्रता से पहले भारत में करीब 565 छोटी-बड़ी रियासतें थी. इन सभी रियासतों में से हैदराबाद ( Hyderabad) काफी समृद्ध राज्य था और इस रियासत के अंतिम नवाब निजाम उस्मान अली खान (Mir Osman Ali Khan ) ही थे. उन्होंने 1911 से 1948 तक लगभग 37 सालों तक हैदराबाद पर शासन किया.
हैदराबाद के निजाम को दुनिया के सबसे अमीर इंसानों में से एक माना जाता था. उस्मान अली खान का 1967 में 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया. रिपोर्ट के अनुसार, माली के मनसा मूसा प्रथम – 14 वीं शताब्दी के अफ्रीकी राजा को इतिहास में सबसे अमीर व्यक्ति नामित किया गया था.
नवाब की कुल संपत्ति 236 बिलियन डॉलर थी
साल 1911 में उस्मान अली खान हैदराबाद के निजाम के रूप में अपने पिता के उत्तराधिकारी बने और लगभग 4 दशकों तक इस पद पर रहे. रिपोर्ट्स के अनुसार, उस्मान अली खान की कुल संपत्ति उस वक्त 236 बिलियन डॉलर से अधिक आंकी गई थी. खान की कुल संपत्ति एलन मस्क की कुल संपत्ति के लगभग करीब है. वर्तमान में, दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति की कुल संपत्ति 286 बिलियन डॉलर हैं.
भारत सरकार को दान में दिया था 5 हजार किलो सोना
साल 1965 में जब भारत चीन से लड़ रहा था, तब भारत की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई थी. तब तत्कालीन PM लाल बहादुर शास्त्री ने देश के अमीर लोगों से आर्थिक सहायता मांगी थी. इसमें उस्मान अली खान भी शामिल थे जिन्होंने भारत सरकार को बिना देरी के 5 हजार किलो सोना दान में दिया था. हालांकि वह इतने कंजूस थे कि उन्होंने सोना दिल्ली भेजते वक्त कहा था कि हम सिर्फ सोना दान दे रहे हैं इसलिए इन लोहे के बक्सों को वापस हैदराबाद भिजवा दिया जाए.
50 Rolls Royces के मालिक थे Mir Osman Ali Khan
मीर उस्मान अली खान कथित तौर पर 50 रोल्स रॉयस के मालिक थे. कहा जाता है कि जब रोल्स-रॉयस मोटर कार्स लिमिटेड ने मीर उस्मान को अपनी कार बेचने से इनकार कर दिया, तो हैदराबाद के शासक ने कुछ पुरानी रोल्स-रॉयस कारों को खरीदा और उन कारों का इस्तेमाल कचरा फेंकने के लिए करने लगे, जिससे ब्रिटिश लक्जरी ऑटोमोबाइल निर्माता की छवि को नुकसान पहुंचा.
35 सालों तक एक ही तुर्की टोपी पहनी
दुनिया के अमीर लोगों में गिने जाने वाले निजाम बहुत कंजूस थे. वह अक्सर गंदे कपड़े और फटे हुए जूते पहना करते थे. वह इतने कंजूस थे कि अपने कपड़ों में कभी इस्तरी नहीं कराते थे. कहा जाता है कि उन्होंने 35 सालों तक अपनी टोपी नहीं बदली थी, जबकि उसमें फफूंद लग गई थी और उसकी सिलाई उखड़ चुकी थी.
सोचिए जो शख्स 5 हजार किलो सोना दान में दे सकता है उसे तो सोने-चांदी के बर्तनों में खाना खाना चाहिए. लेकिन हैदराबाद के निजाम उसके बिल्कुल उलट थे वह खुद चटाई पर बैठते और टीन की प्लेटों में खाना खाते थे. इतना ही नहीं वह सबसे सस्ती सिगरेट पिया करते थे और वह कभी भी सिगरेट की डिब्बी नहीं खरीदते थे.
1340 करोड़ के डायमंड का पेपरवेट की तरह यूज
कहा जाता है उस्मान अली खान का बेडरूम साल में केवल एक बार साफ होता था. उनके बेडरूम में बेशुमार दौलत ऐसे ही जमीन पर पड़ी रहती थी. वह 20 करोड़ डॉलर यानि 1340 करोड़ की कीमत वाला डायमंड को पेपर में लपेटकर पेपरवेट की तरह इस्तेमाल किया करते थे. उनके तहखाने और दुछत्तियां हीरे-जवाहरात से भरी रहती थी. उनके पास उस वक्त 20 लाख पाउंड से ज्यादा का कैश था जिसे वह न्यूजपेपर में लपेटकर रखते थे लेकिन हर साल चूहे उनके नोट कुतर जाते थे.
हैदाराबाद के अंतिम शासक भले ही कंजूस थे लेकिन दानी बहुत थे. एक कहानी मशहूर है कि एक बार उन्होंने अपने सेवक को बाजार से 25 रुपये का कंबल लाने को कहा था. सेवक ने पूरा बाजार छान मारा लेकिन उसे 25 रुपये का कंबल नहीं मिला. वह खाली हाथ लौट आया और उसने निजाम से कहा कि बाजार में 35 रुपये से सस्ता कोई कंबल नहीं था. निजाम ने सेवक की बात सुनी और पुराने कंबल से ही सर्दी काटने का निश्चय किया. लेकिन कुछ घंटों के बाद उन्होंने बीएचयू के लिए 1 लाख रुपये का फंड दिया था.