आधुनिकता की चकाचौंध में हम दिन प्रतिदिन अपना रहन सहन के पुराने परंपरागत तरीके भूल रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि हम पुराने तौर-तरीकों में अधिक सुरक्षित महसूस करते थे। लेकिन दिन प्रतिदिन हमारा मेल मिलाप खत्म हो रहा है। आधुनिकता की चकाचौंध में हमारी संस्कृति लुप्त होने की कगार पर है,जिसको बचाये रखने के लिए हम सभी को एकजुट होकर आगे आना चाहिए।
घुमारवीं के विधायक राजेश धर्माणी ने इन विषयों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज घुमारवीं विधानसभा चुनाव क्षेत्र में कुल 25 हजार परिवार है। लेकिन ऐसा पाया गया कि इनमें मात्र 45 परिवार ही बैल पाल रहे हैं। इनमें भी कुछ परिवार ऐसे हैं जिन्होंने बैल इसलिए पाल रखे हैं कि वो उनकी सेवा करना चाहते हैं। बैल बूढ़े हो चुके हैं, लेकिन मालिक कहते हैं कि हमने इनकी कमाई खाई है और अब इनकी सेवा करना हमारा धर्म है। इन्हे सड़कों पर नहीं छोड़ सकते हैं। जबकि खेती बाड़ी ट्रैक्टर से ही करते हैं।
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 25 हजार परिवारों में मात्र 45 परिवारों के पास बैल होना इस बात को दर्शाता है कि आज हम आधुनिकता के चकाचौंध में में कितने डूब चुके हैं कि बैल पालना भी शर्म की बात समझ रहे हैं। राजेश धर्माणी ने कहा है कि इस सभ्यता और संस्कृति को बचाने के घुमारवीं उपमंडल में शुरू होने वाले नलवाड़ी मेले में जिसे “घुमारवीं ग्रीष्मोत्सव” के नाम से जाना जाता है इस बार बैल पालकों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है ताकि अधिक से अधिक बैल पाल सकें।
आपको बता दें कि यह मेले इसलिए शुरू किए गए थे क्योंकि इनमें पशुओं का व्यापार खासकर बैलों की खरीद फरोख्त होती थी। लेकिन दिन प्रतिदिन बैलों का पालना मात्र न के बराबर ही रह गया है। इसलिए विधानसभा क्षेत्र में उन परिवारों को प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित किया जाएगा जो इस बार बैल पालकों के लिए नई शुरुआत की जाएगी।