राज्य निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग की अदालत ने महर्षि मार्कंडेश्वर विश्वविद्यालय (एमएमयू) और मेडिकल कॉलेज सोलन पर 45 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
जुर्माने की राशि तीन माह में जमा करवाने के लिए कहा गया है। अतिरिक्त वसूली गई फीस वापस लेने के लिए शैक्षणिक सत्र 2013-14 से 2019-2020 तक एमबीबीएस करने वाले विद्यार्थी विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रबंधन के पास आवेदन कर सकते हैं। वर्ष 2021 के दौरान आयोग के पास इस मामले को लेकर शिकायत आई थी। आयोग ने कई तारीखों पर सुनवाई में सभी शिकायतकर्ताओं और एमएमयू व मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का पक्ष सुना।
चिकित्सा शिक्षा और उच्च शिक्षा निदेशालय से भी रिकॉर्ड तलब किया गया। सभी पक्षों से शपथपत्र के माध्यम से जानकारियां जुटाई गईं। वीरवार को आयोग की अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मेडिकल कॉलेज और विवि प्रबंधन ने साढे़ चार वर्ष की जगह पांच वर्ष की फीस वसूली। शैक्षणिक सत्र 2013 से 2020 तक 103.96 करोड़ रुपये की फीस और अन्य शुल्क अधिक वसूले गए।
डॉ. निवेदिता, डॉ. यामिनी की शिकायत पर हुई कार्रवाई
आयोग ने एमएमयू और मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने वाली डॉ. निवेदिता और डॉ. यामिनी की शिकायत पर जांच की। दोनों ने शिकायत में बताया कि उन्होंने वर्ष 2013-14 में महर्षि मार्कंडेश्वर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एमबीबीएस के लिए दाखिले लिए। आरोप था कि ट्यूशन फीस साढ़े चार वर्ष की जगह पांच वर्ष तक ली गई। इसके लिए सरकार से अनुमति नहीं ली गई। हॉस्टल फीस भी अधिक वसूली। आवाज उठाने पर उनकी डिग्री को समय से पूरा नहीं करने दिया गया। कुछ परीक्षाओं में फेल कर दिया। उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी अनुसूचित जनजाति छात्रवृत्ति भी कॉलेज ने अपने पास रख ली।
निजी शिक्षण संस्थान फीस के नाम पर जबरन वसूली नहीं कर सकते। सरकार की ओर से फीस का शेड्यूल निर्धारित किया जाता है। इसके खिलाफ जाने वाले संस्थानों को बख्शा नहीं जाएगा। आने वाले दिनों में अन्य संस्थानों के खिलाफ भी यह जांच जारी रहेगी। – मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक, अध्यक्ष, निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग