मोहम्मद अली: बॉक्सिंग का वो लीजेंड जिसकी बात मानकर एक तानाशाह ने रिहा कर दिए थे बंधक

कहते हैं बड़े मुकाम पर पहुंचाने के लिए नियति आपको छोटे-छोटे हादसों से मिलाती है. अली की मुलाकात भी एक ऐसे ही हादसे से हुई जिससे ये तय हो गया कि उन्हें बॉक्सर बनना है. बात 25 फरवरी 1964 की है.

इसी दिन फ्लोरिडा में एक बॉक्सिंग मैच चल रहा था. उस समय के हैवीवेट चैंपियन सोनी लिस्टन के सामने खड़ा था एक 22 साल का अश्वेत युवक. नाम था  कैशियस मर्सेलस क्ले. किसी को उम्मीद नहीं थी कि 22 वर्ष का ये लड़का हेवीवेट चैंपियन सोनी लिस्टन को हरा देगा. लेकिन इस लड़के ने सोनी लिस्टन को हरा दिया. 22 वर्षीय कैसियस मर्सेलस क्ले ही आगे चल कर मोहम्मद अली के नाम से प्रसिद्द हुआ.

22 साल की उम्र में बने हैवीवेट चैम्पियन

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अली का जन्म 17 जनवरी 1942 को लुईसविले केन्टकी में हुआ. मोहम्मद अली के बॉक्सर बनने का रास्ता तब खुला जब 12 वर्ष की उम्र में किसी ने उनके पिता द्वारा गिफ्ट किया हुआ साइकिल चुरा लिया. इस बात से नाराज अली ने एक पुलिसवाले से कहा कि वह उस चोर की धुनाई करना चाहते हैं. उस पुलिस वाले का नाम था जो मार्टिन, जोकि एक बॉक्सिंग ट्रेनर था, उसने युवा अली को अपने अंडर में ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया.

बचपन में मोहम्मद अली दूसरे बच्चों की तरह स्कूल बस से स्कूल न जाकर बस से रेस लगाकर स्कूल जाया करते थे. 3 बार हैवीवेट चैंपियन का ख़िताब जीतने वाले और कई दिग्गजों को रिंग में धूल चटाने वाले मोहम्मद अली को फ्लाइट में बैठने से डर लगता था. वो फ्लाईट से इतना डरते थे कि जब वह 1960 के ओलंपिक में रोम जाने के लिए प्लेन में बैठे तो उन्होंने एयर होस्टेस से उन्हें पैराशूट पहनाने का निवेदन किया था.

एक कार्टून ने बना दिया था ईसाई से मुस्लिम

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बहुत से लोगों के लिए यह बात भी एक पहेली है कि आखिर कैसियस मर्सेलस क्ले कैसे मोहम्मद अली बन गए.बता दें कि कैसियस ने 6 मार्च 1964 के दिन इस्लाम धर्म कबूल करने की घोषणा की थी, जिसके बाद वह इस्लाम कबूल कर कैसियस क्ले से मोहम्मद अली हो गए.एक ईसाई से मुस्लिम बने अली को अपने इस फैसले के लिए एक तरफ जहां अमेरिका के मुसलमानों का सम्मान प्राप्त हुआ वहीं उनके अपने समर्थक उनसे नाराज भी हो गए.

मोहम्मद अली ने अपनी दूसरी पत्नी मेलिंडा के इस्लाम अपनाने की वजह पूछने पर एक पत्र लिखकर इसका खुलासा किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अली ने अपनी पत्नी मेलिंडा को इस्लाम कबूल करने की वजह बताते हुए एक पत्र लिखा था.इस पत्र में उन्होंने लिखा था कि एक बार जब वह अपने शहर लुईवेल में स्केटिंग रिंग के बाहर खड़े थे तब समय उनकी नजर ‘नेशन ऑफ इस्लाम’ अखबार पर पड़ी.

उन्होंने वह अखबार खरीदा और इसे पढ़ने लगे.अखबार पढ़ने के दौरान उनका ध्यान इसमें छपे एक कार्टून पर गया, इसी कार्टून की वजह से अली ने इस्लाम कबूल करने का मन बना लिया.दरअसल उस कार्टून में एक गोरा शख्स काले गुलाम को पीटते हुए जीसस से प्रार्थना करने के लिए दबाव बना रहा है. 1964 में हैवीवेट चैंपियनशिप जीतने के बाद मोहम्मद अली ने इस्लाम धर्म अपनाने की घोषणा की थी.

कभी भी ऑटोग्राफ देने से नहीं किया मना

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शायद बहुत कम लोगों को पता होगा कि मोहम्मद अली एक बेहतरीन बॉक्सर होने के साथ-साथ गायक, ऐक्टर और कवि भी थी. सॉनी लिस्टन को हराकर वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन बनने से महज छह महीने पहले उन्होंने अपना ऐल्बम ‘आई एम द ग्रेटेस्ट’ रिलीज किया था.

मोहम्मद अली जब छोटे थे तो उन्होंने उस समय के फेमस बॉक्सर शुगर रे रॉबिंसन से ऑटोग्राफ मांगा था लेकिन रॉबिंसन ने उन्हें झिड़कते हुए कहा, ‘मेरे पास समय नहीं है.’ इस बात से अली को इतनी चोट पहुंची कि इसके बाद उन्होंने कभी भी अपने किसी फैन को ऑटोग्राफ के लिए मना नहीं किया. मोहम्मद अली ने कुल 61 फाइट लड़ीं उनमें से 56 में जीत हासिल की और सिर्फ 5 में हारे

मोहम्मद अली का प्रैक्टिस करने का तरीका बहुत ही निराला था, वह अपने भाई को खुद पर पत्थर फेंकने के लिए कहते थे और उन पत्थरों से खुद को बचाकर प्रैक्टिस करते थे. उनके छोटे भाई रूडी ने बाद में कहा था, ‘इससे फर्क नहीं पड़ता कि मैंने कितने पत्थर फेंके लेकिन मेरे द्वारा फेंके पत्थर कभी उन्हें छू भी नहीं पाए.’

जब बीच सड़क फेंक दिया था अपना मेडल

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अमेरिका में 60-70 के दशक में रंगभेद किस कदर हावी था इसका उदाहरण मोहम्मद अली के साथ हुई एक घटना से लगाया जा सकता है. अली 1960 में रोम ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर जब अमेरिका में एक रेस्टोरेंट में डिनर करने गए तो वेटर ने एक नीग्रो को खाना सर्व करने से मना कर दिया.इस अपमान से आहत अली ने बाहर आकर गुस्से में अपना गोल्ड मेडल यह कहते हुए फेंक दिया कि जिस देश में इस कदर रंगभेद हो, वहां का मेडल मुझे नहीं पहनना है.

1981 में मोहम्मद अली ने एक आदमी को मरने से बचाया था. दरअसल बिल्डिंग से कूदकर आत्महत्या की कोशिश कर रहे एक युवक को जब पुलिसकर्मी आत्महत्या न करने के लिए समझाने में असफल रहे तो मोहम्मद अली ने ये काम कर दिखाया. अली उस आदमी के पास वाली खिड़की से उस आदमी से आधे घंटे तक बात की और उसे यह मनाने में कामयाब रहे कि उसकी निजी जिंदगी में चल रही परेशानियां ठीक हो जाएंगी.

तानाशाह भी मानते थे जिनकी बात

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इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने 1990 में कुवैत पर हमला करके 2000 से ज्यादा विदेशियों को बंधक बना लिया था. बंधकों को छुड़ाने के लिए मोहम्मद अली सद्दाम से बातचीत करने बगदाद पहुंचे. अली के साथ 50 मिनट की बातचीत के बाद सद्दाम ने 15 अमेरिकी बंधकों को छोड़ दिया था.

1967 में अमेरिका और वियतनाम युद्ध का विरोध करने की उनकी भारी कीमत चुकानी पड़ी. अली ने न सिर्फ वियतनाम पर अमेरिकी हमले का विरोध किया बल्कि युद्ध के लिए अमेरिकी सेना का हिस्सा बनने से भी इंकार कर दिया. जिसके बाद अली के सारे वर्ल्ड चैंपियनशिप खिताब छीन लिए गए और उन पर बैन लगा दिया गया. 1971 में उनकी अपील पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ये बैन हटाया. इस बैन की वजह से अली को अपने करियर के 4 साल गंवाने पड़े.

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मोहम्मद अली की बेटी लैला अली भी बेहतरी बॉक्सर रही हैं. अली के नौ बच्चों में सबसे छोटी लैला अली ने 24 मुकाबले लड़े और सभी में जीत हासिल की. वह कभी न हारने वाली बॉक्सर के रूप में रिटायर हुईं.

भले ही मोहम्मद अली अब हमारे बीच ना रहे हों लेकिन जब जब बॉक्सिंग का जिक्र किया जायेगा तब तब मोहम्मद अली जीवित हो उठेंगे.