Mohammed Siraj: घर में छा गए मोहम्मद सिराज… मां रोते-रोते देख रही थी बेटे का मैच, अब्बू होते तो कितने खुश होते!

Mohammed Siraj: सिराज मैच से एक दिन पहले अचानक टीम होटल से घर पहुंच गए। तब अम्मी नमाज अदा कर रही थी। आंख खोलते ही सामने अपने बेटे को पाया। यह सरप्राइज था क्योंकि वह पहले मंगलवार को आने वाले थे। अपनी पसंद की खिचड़ी बनाई।

हैदराबाद: शहर के टोली चौकी में मियां भाई के नाम से मशहूर मोहम्मद सिराज बुधवार रात अपने घर पर खेल रहे थे। उसी मैदान पर जहां गेंद पकड़नी सीखी। इंडियन जर्सी पहनने को सपना संजोया। राजीव गांधी स्टेडियम, सिराज के घर के आंगन की तरह है। अपने बेटे को चीयर करने पूरा शहर-गांव-परिवार आया था। पवेलियन में मां बैठीं थीं। साथ में दूसरे सगे-संबंधी भी थे, लेकिन अगर कोई नहीं था तो वो अब्बू। गौस मोहम्मद अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन निश्चित ही ऊपर से अपने बेटे की इस सफलता को देख मुस्कुरा रहे होंगे।


ये पल सिर्फ मां-बेटे का था

कैमरा जब-जब सिराज की फैमिली पर जाता गर्व और आनंद का अहसास होता। मां की आंखें नम थीं। शायद वह भी यही सोच रही थी कि अगर बगल में उनके शौहर होते तो कितना अच्छा होता। कॉर्पोरेट बॉक्स की बालकनी की सामने वाली कुर्सी पर बैठी सिराज की मां सबकुछ ध्यान से देख रहीं थीं। जब स्टेडियम सिराज के नाम से गूंज रहा था, तब बगल में बैठी अपनी बहन के साथ वह भावनाओं से अभिभूत थीं। ग्रिल की रेलिंग को कस कर पकड़ रखा था। जब दूसरे लोग बातचीत में लगे हुए थे, तब भी वह खामोश थीं। अपने आसपास हो रही हर चीज से बेखबर थी। जितना ये सिराज का पल था, उतना ही उनका भी था। कुछ देर के लिए तो ऐसा लगा कि वह अपनी ही दुनिया में है, जहां सिर्फ बेटा और मां ही आसपास हैं।

अब्बू सबसे बड़ी ताकत थी

वैसे भी अगर भारत मैच जीत पाया तो उसके सबसे बड़े हीरो सिराज ही थे। एक ही ओवर में दो विकेट लेकर मैच पलटा। 10 ओवर की बॉलिंग में सिर्फ 46 रन देकर चार सफलता हासिल की। 2 ओवर मेडन भी फेंके। पहले न्यूजीलैंड की शुरुआत खराब की बाद में अर्धशतक बनाकर खेल रहे मिचेल सेंटनर को चलता किया। वैसे मोहम्मद सिराज की इस सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ उनके पिता का ही तो है। अब्बू से पैसे लेकर अपनी टू व्हिलर बजाज प्लेटिना में 60 रुपये का पेट्रोल डलवाते और प्रैक्टिस में पहुंचते। सिराज इस वक्त इंडिया के प्रीमियर बोलर्स हैं, जो तीनों फॉर्मेट खेलते हैं। सिराज 2020-21 ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थे, तब पिता का इंतकाल हुआ। वह वापस आना चाहते थे, लेकिन खुद को संभाला और पितृ शोक में भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई। वापस लौटकर सीधे कब्र गए और बैठकर बात की होगी, कहा होगा कि इतनी जल्दी क्यों चले गए, आपको तो ये सब देखना था।