RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भारत के राष्ट्रवाद की परिकल्पना को लेकर बड़ी गंभीर बात कही है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की राष्ट्रवाद की संकल्पना में पूरी पृथ्वी के लोगों को अपना परिवार माना गया है। उन्होंने इसलिए हमारा राष्ट्रवाद दूसरों के लिए खतरा पैदा नहीं कर सकता है।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि भारत की राष्ट्रवाद की संकल्पना ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ पर आधारित है और यह किसी दूसरे देश के लिए खतरा पैदा नहीं करता। उन्होंने आगे कहा कि इसीलिए यहां कोई हिटलर नहीं हो सकता है। वह संकल्प फाउंडेशन और पूर्व सिविल सेवा अधिकारी मंच की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा,‘हमारा राष्ट्रवाद दूसरों के लिए कोई खतरा पैदा नहीं करता…यह हमारा स्वभाव नहीं है। हमारा राष्ट्रवाद कहता है कि दुनिया एक परिवार है (वसुधैव कुटुम्बकम) और दुनिया भर के लोगों के बीच इस भावना को आगे बढ़ाता है… इसलिए, भारत में हिटलर नहीं हो सकता है और अगर कोई होगा तो देश के लोग उसे उखाड़ फेंकेंगे।’
हमारा राष्ट्रवाद कहता है कि दुनिया एक परिवार है और दुनिया भर के लोगों के बीच इस भावना को आगे बढ़ाता है… इसलिए, भारत में हिटलर नहीं हो सकता है और अगर कोई होगा तो देश के लोग उसे उखाड़ फेंकेंगे।
उन्होंने कहा, ‘विश्व बाजार की बात तो सब लोग करते हैं, केवल भारत ही है जो वसुधैव कुटुम्बकम की बात करता है। केवल इतना ही नहीं, विश्व को कुटुंब बनाने के लिए हम कार्य भी करते हैं।’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की राष्ट्रवाद की अवधारणा, राष्ट्रवाद की अन्य अवधारणाओं से अलग है, जो या तो धर्म पर आधारित हैं या एक भाषा या लोगों के सामान्य स्वार्थ पर आधारित हैं।
प्राचीनकाल से ही हमारा देश विविधता का देश रहा है। हमारी भूमि ऐसी है जो अन्न, और जल के साथ संस्कार भी देती है इसलिए हम इसे भारत माता कहते हैं। हमें एक नहीं होना है, हम एक हैं। हमारे पूर्वजों ने ये सिखाया और बताया है। हमारी संस्कृति की सुरक्षा के लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिया है, लड़ाइयां लड़ी हैं और हमारी पहचान ही भारत, पूर्वज, संस्कृति से हैं। हम इसे छोड़ेंगे नहीं।
सरसंघचालक ने कहा कि विविधता प्राचीन काल से ही भारत की राष्ट्रवाद की अवधारणा का हिस्सा रही है और हमारे लिए अलग-अलग भाषाएं और भगवान की पूजा करने के विभिन्न तरीके स्वाभाविक हैं। यह भूमि न केवल भोजन और पानी देती है बल्कि मूल्य भी देती है। इसलिए हम इसे भारत माता कहते हैं। हम इस भूमि के मालिक नहीं हैं, हम इसके पुत्र हैं। ये हमारी पुण्यभूमि है, कर्मभूमि है, ऐसे में हम सभी एक हैं।
कार्यक्रम में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्र ने कहा कि 36 साल से संकल्प संस्था होनहार विद्यार्थियों को प्रोत्साहित कर रही है। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने संकल्प द्वारा संकलित पुस्तक ‘भारतीय परिप्रेक्ष्य’ के अंग्रेजी संस्करण ‘इंडियन पर्सपेक्टिव’ का भी लोकार्पण किया। पुस्तक को प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है।