मोकामा उपचुनाव: जानें इस सीट का जातीय समीकरण, चुनाव ‘अनंत’… चुनाव कथा ‘अनंता’

Mokama Byelection 2022: अनंत सिंह को एके-47 और हैंड ग्रेनेड केस में सजा होने के बाद उनकी विधायिकी खत्म हो गई। इसी के साथ मोकामा को अब अपना नया विधायक चुनना है। इसके लिए चुनाव आयोग ने नॉमिनेशन से लेकर काउंटिंग तक की तारीख घोषित कर दी है। यहां जानिए मोकामा विधानसभा सीट के सारे समीकरण…

पटना: मोकामा विधानसभा बिहार का सबसे चर्चित-मशहूर और हॉट सीट माना जाता है। इस मैदान में सिर्फ उम्मीदवार के वादों की ही नहीं बल्कि उसके प्रभाव की भी परीक्षा होती है। जिसकी ताल में जितना दम, उसके हिस्से सीट। 4 बार से इस सीट पर बाहुबली विधायक अनंत सिंह चुनाव जीतते रहे। 2005 में JDU के टिकट पर उन्होंने LJP की नलिनी रंजन शर्मा को हराया था। 2010 में अनंत सिंह ने LJP उम्मीदवार सोनम देवी को हराकर इस पर कब्जा बरकरार रखा। 2015 में जब लालू-नीतीश साथ आए तो अनंत सिंह को दोनों ने ही पार्टी से विदा कर दिया। लेकिन अनंत सिंह ने निर्दलीय ताल ठोकी और JDU के नीरज कुमार को हरा दिया। इसके बाद 2020 में समीकरण बदले और RJD के टिकट पर एक बार फिर से अनंत सिंह ने JDU के राजीव लोचन शर्मा को शिकस्त दी। अब सजा होने के बाद अनंत की विधायिकी जा चुकी है और उपचुनाव की तारीख का ऐलान हो गया है।

पहले जानिए वोटरों का हिसाब-किताब
मोकामा विधानसभा सीट पटना जिले में ही है। हालांकि लोकसभा में ये मुंगेर सीट में चला जाता है। 1951 में आजादी के बाद इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ था। उस वक्त कांग्रेस के जगदीश नारायण सिन्हा मोकामा से जीत दर्ज कर विधायक बने थे। वोटरों की बात करें तो समीकरण कुछ यूं है।
मोकामा सीट में वोटरों का समीकरण

  • मोकामा सीट के कुल वोटर- 2,70,755
  • पुरुष वोटर- 1,42,425
  • महिला वोटर- 1,28,327
  • थर्ड जेंडर- 3

मोकामा सीट का जातीय समीकरण
इस सीट पर भूमिहार वोटरों का वर्चस्व है। साथ ही पूर्व विधायक अनंत सिंह यहां छोटे सरकार के नाम से मशहूर हैं। अनंत सिंह भी भूमिहार जाति के ही हैं। अब इसे बाहुबल कहिए या फिर अनंत सिंह का प्रभाव (मोकामा के लोग रॉबिनहुड की उपाधि दे चुके हैं), कि पिछले चार टर्म से मोकामा इलेक्शन का मतलब चुनाव ‘अनंत’… चुनाव कथा ‘अनंता’ बना हुआ है। विरोधी चाहे कितना भी प्रभावशाली, बड़ा नेता क्यों न हो, अनंत सिंह के आगे मुंह की खा चुका है। अनंत चाहे किसी पार्टी के बैनर तले लड़े हों या फिर निर्दलीय जीत उनकी ही होती आई है।
इस तरह से होगा फैसला
भूमिहार के बाद यहां भूमिहार, ब्राह्मण, कुर्मी, यादव, पासवान वोटरों की तादाद है। वहीं इस सीट पर राजपूत और रविदास जातियों के भी वोटर हैं। लेकिन माना यही जाता है कि जिसके पाले में सवर्ण (भूमिहार-ब्राह्मण, राजपूत) वोट जाएंगे उसकी जीत तय है। मोकामा एकमात्र ऐसी सीट है जहां जातीय समीकरण सबसे ज्यादा हावी रहते हैं। इसके बाद जो कारक सबसे अहम भूमिका निभाता है वो है विधायक की छवि। मोकामा सीट का नाम सुनते ही सबसे पहले दिमाग में जो छवि उभरती है वो है दबंग की। माना जा रहा है कि इस बार जेल में बंद अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी मैदान में उतरेंगी। लेकिन बदले समीकरण के हिसाब से एक बार फिर से लालू-नीतीश एक साथ हैं तो उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने की संभावना बढ़ गई है।