खंड चिकित्सा अधिकारी नग्गर डॉ. रणजीत सिंह ने बताया कि उन्हें अधिकारिक तौर पर कहीं से भी कोई सूचना नहीं मिली है। उन्होंने मीडिया और सोशल मीडिया में मंकीपॉक्स के मामले के बारे में सुनकर अपने स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है।
उन्होंने बताया कि सीएचसी मना
ली, हरिहर और मिशन सहित सभी अस्पतालों में जाकर पिछले माह के 25 और 26 जून के रजिस्टर चैक किए गए हैं, लेकिन मंकीपॉक्स के लक्षणों वाला कोई मामला नहीं मिला है। इन दिनों भी मंकीपॉक्स वाले खांसी, बुखार, कमजोरी सहित अन्य लक्षणों वाला कोई मरीज नहीं मिला। कहा कि मंकीपॉक्स कोरोना की तरह जानलेवा नहीं है।
मंकीपॉक्स से निपटने के लिए तैयारियों में जुटा विभाग
वहीं, हिमाचल में मंकीपॉक्स संक्रमण से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। सभी जिलों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश में अभी मंकीपॉक्स संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है।
मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर टांडा के विशेष वार्ड में रखे जाएंगे व्यक्ति
उन्होंने कहा कि सभी अस्पतालों को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। जिला कांगड़ा में अभी किसी व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण नहीं मिले हैं। इस संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं है। जिले में इस तरह के मामले आते हैं तो उनसे निपटने में विभाग पूरी तरह सक्षम है। कहा कि फिलहाल इससे निपटने के लिए किसी तरह की विशेषज्ञों की कमेटी की आवश्यकता नहीं है। जरूरत पड़ने पर ही इसका गठन किया जाएगा।
संक्रमित के संपर्क में आने के बाद 21 दिन में दिखते हैं लक्षण
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार, त्वचा पर चकते, चेहरे, हाथ, पैर, हथेलियों और तलवों तक पड़ते हैं। संक्रमित व्यक्ति को सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकावट, गले में खराश और खांसी आती है। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के 21 दिनों के भीतर अगर इनमें से कोई लक्षण दिखाई देता है तो तुरंत चिकित्सीय सलाह लें। मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति को कई अन्य परेशानियां हो सकती हैं। आंख में दर्द या धुंधला दिखना, सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, पेशाब कम आना, बार-बार बेहोश होना और दौरे पड़ना जैसे दिक्कतें आती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है, उन्हें अधिक जोखिम होने की संभावना रहती है।