पुणे की लैब ने मरीज के सैंपल से मंकीपॉक्स वायरस को अलग कर दिया है। पुणे लैब की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया कि मंकीपॉक्स वायरस दो अलग-अलग जिनेटिक डीएनए से मिलकर बना है और हाल ही में जो वायरस कई देशों में फैला है वह वेस्ट अफ्रीका के स्ट्रेन की वजह से हैं।
21 दिन आइसोलेशन, घाव ढककर रखें
केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक, मंकीपॉक्स के मरीजों को 21 दिन तक आइसोलेशन में रहना चाहिए। चेहरा मास्क से ढकना चाहिए और घावों को पूरी तरह ढककर रखना चाहिए। मई में यह गाइडलाइंस आई थीं। दिल्ली सरकार ने अपने अस्पतालों को इनका पालन करने को कहा है। इसमें कहा गया है कि मरीजों को तब तक आइसोलेशन में रहना चाहिए जब तक कि सभी घाव ठीक नहीं हो जाते और पपड़ी पूरी तरह से झड़ नहीं जाती। मंकीपॉक्स के मरीजों को आमतौर पर बुखार, सिरदर्द, त्वचा पर चकत्ते जैसे लक्षण होते हैं।