संसद का मानसून सत्रः महंगाई और बेरोजगारी सहित इन मुद्दों को उठाएगी कांग्रेस

नई दिल्ली. कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को फैसला लिया कि वह संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान महंगाई, बेरोजगारी, सेना में भर्ती की नयी ‘अग्निपथ’ योजना और जनहित के कई अन्य मुद्दे दोनों सदनों में उठाएगी. संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई को आरंभ होने वाला है और यह 12 अगस्त तक चलेगा.

 केंद्र सरकार के खिलाफ रणनीति तय करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर आज बैठक हुई. पार्टी के संसदीय मामलों के रणनीतिक समूह की बैठक में यह फैसला लिया गया कि कांग्रेस मानसून सत्र में अग्निपथ, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे को सदनों में उठाएगी. इस बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की. बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन चौधरी, जयराम रमेश, पी चिदंबरम, माणिकराम टैगोर सहित अन्य नेता भी शामिल हुए.

बैठक के बाद कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई का है. पेट्रोल 100 रुपये के पार हो गया है तो डीजल भी 100 रुपये प्रति लीटर के करीब है.

बैठक के बाद कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई का है. (फाइल फोटो)

घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1100 रुपये तक पहुंच गई है. महंगाई के मुद्दे पर हम सरकार से सदन में जवाब मांगेंगे. उन्होंने आगे कहा कि सेना में भर्ती की नयी योजना ‘अग्निपथ’ का मुद्दा भी सदन में उठाया जाएगा. यह योजना न सिर्फ युवाओं के हितों के खिलाफ है, बल्कि देशहित के भी विरूद्ध है. हम दोनों सदनों में इस पर चर्चा की मांग करेंगे.

कांग्रेस नेता ने यह भी बताया कि बेरोजगारी, सीमा पर चीन की आक्रामकता, सरकारी उपक्रमों का निजीकरण, किसानों से किए न्यूनतम समर्थन मूल्य के वादे और जनहित के कई अन्य मुद्दों को भी सदन में उठाया जाएगा. गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई को आरंभ होकर 12 अगस्त तक चलेगा. इसमें कुल 26 दिनों की अवधि में 18 बैठकें होंगी.

वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को और उपराष्ट्रपति के रूप में एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है. संसद का आगामी मानसून सत्र खास रहने वाला है. क्योंकि 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान होना है. दूसरी ओर उपराष्ट्रपति का चुनाव 6 अगस्त को होगा. उपराष्ट्रपति पद के लिए यदि निर्विरोध निर्वाचन नहीं हुआ तो उसी दिन मतों की गणना भी होगी.