Training Camp on Commercial Flower Production

महीने भर चले पौधरोपण अभियान के दौरान लगाए गए 12800 से अधिक पेड़, कैम्पस में ई-कार्ट

डॉ वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले
मुख्यमंत्री डॉ यशवंत सिंह परमार को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी गई। इस दूरदर्शी नेता को श्रद्धांजलि देते हुए
इस वर्ष विश्वविद्यालय द्वारा चलाये जा रहे वन महोत्सव अभियान का आज समापन हुआ। विश्वविद्यालय द्वारा
इस शुभ दिन पर ग्रीन पहल के तहत तीन ई-कार्ट को परिसर में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
 
इस मौके पर विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों ने इस दूरदर्शी नेता जिनके अथक प्रयासों के कारण ही हिमाचल
प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल हुआ, को याद किया और पुष्पांजलि अर्पित की। विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ.
देवेंद्र गुप्ता ने सभी का स्वागत किया और राज्य में कृषि, बागवानी और वानिकी के विकास पर डॉ परमार के
दृष्टिकोण के बारे में बात की। सिल्वीकल्चर एवं एग्रोफोरेस्ट्री विभाग के एचओडी डॉ. विमल चौहान ने बताया कि
महीने भर चले इस पौधरोपण अभियान के दौरान विश्वविद्यालय के सभी विभागों, कृषि विज्ञान केंद्रों और
अनुसंधान स्टेशनों के साथ-साथ नेरी और थुनाग में स्थित कॉलेजों ने विभिन्न किस्मों के 14500 से अधिक पौधे
लगाए। इसके अलावा, विश्वविद्यालय ने इस दौरान विभिन्न संस्थाओं और विभागों को वृक्षारोपण के लिए 17000
से अधिक वन वृक्षों की आपूर्ति की।
 
इस अवसर पर नौणी विवि के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने कहा कि यह बहुत गर्व और सम्मान की बात है कि
विश्वविद्यालय का नाम डॉ परमार जैसे महान व्यक्ति के नाम पर रखा गया, जिन्होंने हिमाचल में बागवानी और
वानिकी के विकास के लिए काम किया। उन्होंने कहा कि डॉ. परमार एक दूरदर्शी नेता थे जो जानते थे कि सिर्फ
कृषि से राज्य में इस क्षेत्र का विकास नहीं हो सकता और इसलिए बागवानी और वानिकी को भी इसके साथ जोड़ा।
उन्होंने कहा कि डॉ. परमार पारंपरिक फसलों के महत्व को जानते थे और राज्य में उनकी खेती को बढ़ावा देते थे।
डॉ. कौशल ने वैज्ञानिकों और कर्मचारियों से डॉ परमार की सोच को आगे ले जाने की दिशा में काम करने का
आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वन महोत्सव के दौरान घास, औषधीय और सुगंधित पौधों के साथ चारे के पेड़ भी
लगाए जाने चाहिए।

ई गाड़ियां को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

आज मुख्य परिसर में कुलपति द्वारा तीन ई-कार्ट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। आईसीएआर की
राष्ट्रीय उच्च शिक्षा परियोजना की संस्थागत विकास योजना की हरित पहल के तहत यह ई कार्ट खरीदी गई हैं।
परियोजना के तहत 4 से 14 सीटर तक की बैटरी से चलने वाली चार गाड़ियां करीब 29 लाख रुपए में खरीदी गई
हैं। गाड़ियां एक बार चार्ज करने पर 50-70 किमी चलने की क्षमता रखती है। इनका उपयोग छात्रों और कर्मचारियों
को परिसर में आने जाने के लिए किया जाएगा जिससे वायु प्रदूषण में काफी कमी आएगी। इस अवसर पर डॉ. केके
रैना, प्रधान अन्वेषक आईडीपी, डॉ मनीष शर्मा,सह प्रधान अन्वेषक, खरीद अधिकारी डॉ वाई आर शुक्ला, डॉ एसके
भारद्वाज सहित पूरी आईडीपी टीम उपस्थित रही। विश्वविद्यालय की हरित पहल के बारे में बात करते हुए डॉ
कौशल ने बताया कि विश्वविद्यालय अपने परिसर को एक स्वच्छ, हरे और स्मार्ट परिसर में बदलने की प्रक्रिया में
है। उन्होंने कहा कि परमार जयंती पर ई-कार्ट को हरी झंडी दिखाकर रवाना करना और और वन महोत्सव ड्राइव,

पहाड़ी राज्यों के इस आदर्श नेता के लिए एक उचित श्रद्धांजलि है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय सोलर
रूफटॉप प्लांट और छात्रों के लिए सोलर स्टीम किचन स्थापित कर सौर ऊर्जा का उपयोग करने की प्रक्रिया में भी
है। विश्वविद्यालय में सॉलिड वेस्ट टू कंपोस्ट ट्रीटमेंट प्लांट और सोलर लॉन्ड्री सिस्टम भी स्थापित किया जाएगा।
 
आज 250 से अधिक अनार के पौधों के रोपण के साथ विश्वविद्यालय का वन महोत्सव अभियान संपन्न हुआ।
वृक्षारोपण में सभी वैधानिक अधिकारी, विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक, प्रशासनिक प्रखंड के कर्मचारी एवं विस्तार शिक्षा
निदेशालय सहित आई.डी.पी. की टीम ने पौधरोपण में भाग लिया।