एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट के बाद अब मेटा ने भी वैश्विक मंदी के कारण हायरिंग प्रोसेस को फ्रीज किया है।
Recession2k22: बिग टेक फर्म मेटा प्लेटफ़ॉर्म ने दुनिया भर में मंदी की आशंका से हायरिंग और उसके बाद के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में रोक लगाने की घोषणा की है। इसके पीछे कई वैश्विक कारणों से हाई इन्फ्लेशन, रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय तक युद्ध, ग्लोबल सप्लाई चेन की कमी, विशेष रूप से सेमीकंडक्टर चिप्स और घटते विज्ञापन खर्च शामिल हैं। मेटा ने बड़ी टेक कंपनियों जैसे Apple, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल को फॉलो करते हुए है लागत को व्यवस्थित करने के लिए हायरिंग प्रोसेस को फ्रीज कर दिया है और साथ ही कई कर्मचारियों को पिंक स्लिप (नौकरी से बर्खास्तगी की सूचना) देना शुरू कर दिया है। ब्लूमबर्ग न्यूज के अनुसार मार्क जुकरबर्ग ने वीकली क्वेश्चन-आंसर सेशन के दौरान अपने कर्मचारियों से कहा कि हमें लगा था कि इकोनॉमी अब तक स्थिर हो जाएगी लेकिन जो अभी दिख रहा है उससे ऐसा नहीं लग रहा है इसी कारण हम कुछ योजना बनाने की सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेटा ज्यादातर टीमों के बजट को कम कर देगा और अलग-अलग टीमों को यह तय करना होगा कि कर्मचारियों की संख्या में बदलाव को कैसे हैंडल किया जाए। इस साल पहले ही जून में मेटा ने इंजीनियर की हायरिंग को 30 फीसदी तक कम कर दिया था।
बीते मंगलवार को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के चीफ नोगोजी ओकोंजो-इवेला ने कहा कि कई संकटों के टकराने के चलते पूरी दुनिया मंदी की स्थिति की तरफ बढ़ रही है और इसके साथ ही उन्होंने विकास को दोबारा हासिल करने के लिए नीतियों का भी आह्वान किया। नोगोजी ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) के एनुअल पब्लिक फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि दुनिया में मंदी है लेकिन इसके साथ ही हमें इससे बाहर निकलना होगा और हमें विकास को फिर से प्राप्त करना होगा। इस वर्ष के शुरुआत के बाद से ही सार्वजनिक रूप से ट्रेड करने वाले शेयरों ने गिरावट के साथ ही शुरुआत की जिसके कारण कैलेंडर वर्ष की पहली दो तिमाहियों में खराब प्रदर्शन हुआ है।
कर्मचारियों की संख्या में हुई कटौती
क्रंचबेस डाटा के अनुसार यूएस टेक सेक्टर के बिग टेक फर्मों जैसे माइक्रोसॉफ्ट और मेटा में जुलाई के अंत तक बड़े पैमाने पर 32,000 से अधिक कर्मचारियों की छटनी की गई। इस छंटनी में उबर, नेटफ्लिक्स और कई क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज और लैंडिंग प्लेटफॉर्म शामिल हैं। क्रंचबेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने इस डाटा में अमेरिका में स्थित स्टार्टअप और सार्वजनिक रूप से ट्रेड करने वाली कंपनियों को शामिल किया है। इसके साथ ही उन्होंने कर्लना जैसी कंपनियों को भी शामिल किया है जो एक बड़ी टीम के साथ अमेरिका में स्थित है। सबसे बुरी बात यह है कि टेक सेक्टर में किसी भी तरह की रिकवरी बेहद मुश्किल नजर आती है।
कुक ने विश्लेषकों को बताया कि इस वर्ष अगस्त में Apple ने हायरिंग और खर्चों को कंट्रोल करने के लिए 100 कॉन्ट्रैक्ट वर्कर को निकाल दिया। इसकी जानकारी Apple के चीफ एग्जीक्यूटिव टिम कुक ने फर्म की दूसरी तिमाही की अर्निंग कॉल के दौरान दी। ‘हम मंदी के दौरान निवेश करने में विश्वास करते हैं यही कारण है कि हम लोगों को काम पर रखना और निवेश करना जारी रखेंगे लेकिन पर्यावरण की वास्तविकताओं को स्वीकार करने के लिए हम ऐसा करने में अधिक विचार-विमर्श कर रहे हैं।’
अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई के अपने कर्मचारियों को लिखे ईमेल में बताया कि गूगल साल के बचे हुए दिनों में हायरिंग नहीं करेगा। पिचाई ने लिखा कि आगे बढ़ते हुए हमें अपने अच्छे दिनों के मुकाबले ज्यादा उद्यमी होने की आवश्यकता है और साथ ही अधिक फोकस और तात्कालिकता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है।
2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद संभवत: यह पहली बार है जब गूगल और Apple जैसे टेक फर्म ने अपनी कर्मचारियों की संख्या में कमी की है और हायरिंग के प्रोसेस को फ्रीज किया है। यह बेहद चिंतनीय है और इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि बड़ी टेक फर्म बेहद गंभीर हेडविंड (अर्थव्यवस्था के ग्रोथ को प्रभावित करने वाला नकारात्मक फैक्टर) का सामना कर रहे हैं।
इस बार जून में माइक्रोसॉफ्ट की आय अपेक्षित तिमाही आय से कम रही जिसकी वजह से इस कंपनी ने इसी प्रोसेस को फॉलो किया और जुलाई में 1 फीसदी कर्मचारियों की छटनी की और अगस्त में अपने कस्टमर फोकस्ड आर एंड डी प्रोजेक्ट से 200 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया। मई में माइक्रोसॉफ्ट के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट राजेश झा ने ईमेल के जरिए अपने स्टाफ को बताया कि फर्म अपने विंडो और ऑफिसर डिविजन और साथ ही चैट टीम और कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयर ग्रुप में हायरिंग को कम कर देगा।
जहां यूएस फेडरल रिजर्व मुद्रास्फीति और ग्लोबल मैक्रो इकोनॉमिक कंडीशन से निपटने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है वहीं बड़ी टेक फर्मों की स्थिति बेहद खराब हो गई है।