एनआईटी में पीजी कोर्स में 70 फीसदी से अधिक सीटें खालीं, घट रहा युवाओं का रुझान

स्नातकोत्तर कक्षाओं में ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट) की मेरिट सूची के आधार पर सेंट्रलाइज्ड काउंसलिंग फॉर एमटेक (सीसीएमटी) के माध्यम से दाखिले होते हैं। सूत्रों के मुताबिक देशभर के अन्य एनआईटी और आईआईटी में भी यही हाल है।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर में इस बार स्नातकोत्तर में 70 फीसदी से अधिक सीटें खाली रह गई हैं। स्नातकोत्तर में विभिन्न विभागों में 361 सीटें सृजित हैं। इस बार महज 107 सीटें ही भरी गई हैं। शेष 254 सीटें खाली हैं। कोविड के बाद यह पहला मौका है, जब एक राष्ट्रीय स्तर के संस्थान में इतनी बड़ी संख्या में सीटें खाली रही हैं। इससे स्पष्ट हो रहा है कि उच्च शिक्षा के प्रति युवाओं में रुचि कम हो रही है। स्नातकोत्तर कक्षाओं में ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट) की मेरिट सूची के आधार पर सेंट्रलाइज्ड काउंसलिंग फॉर एमटेक (सीसीएमटी) के माध्यम से दाखिले होते हैं। सूत्रों के मुताबिक देशभर के अन्य एनआईटी और आईआईटी में भी यही हाल है। वहां भी सैकड़ों सीटें खाली हैं। एनआईआरएफ रैंकिंग में एनआईटी हमीरपुर पिछले साल के मुकाबले इस बार 29 पायदान नीचे लुढ़ककर 128वें स्थान पर रहा है।

कम दाखिलों के पीछे संस्थान की लुढ़कती रैंकिंग भी एक कारण रही है। एनआईटी हमीरपुर ने अब खाली सीटों को भरने के लिए सेल्फ फाइनांस का माध्यम अपनाया है। इसके लिए आगामी दिनों में काउंसलिंग प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी। हालांकि, संस्थान में 22 अगस्त से एमटेक की कक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। यह 30 फीसदी दाखिले के साथ चल रही हैं। कम दाखिलों के पीछे देश भर में सरकारी और निजी क्षेत्र में रोजगार के घटते अवसर भी एक कारण माना जा रहा है। दूसरा पहलु यह भी है कि बीटेक के आधार पर ही विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में दाखिले हो रहे हैं। एनआईटी हमीरपुर में यूजी (अंडर ग्रेजुएट्स) में कुल 944 सीटें हैं, जिसके लिए दाखिले की प्रक्रिया अभी शुरू होनी है। स्नातक में दाखिलों की क्या स्थिति रहती है, यह काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही पता चलेगा।
संस्थान में एमटेक में कम दाखिले हुए हैं। एनआईटी हमीरपुर समेत देश भर में यही स्थिति है। युवाओं में हायर एजूकेशन के प्रति रुझान घट रहा है। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि स्नात्तक की डिग्री के बाद ही विद्यार्थियों की अच्छे पैकेज पर प्लेसमेंट हो जा रही है। – प्रो एचएम सूर्यवंशी, निदेशक, एनआईटी हमीरपुर