एमपी के उमरिया जिले में करीब चार महीने पहले एक मां अपने बच्चे को बचाने बाघ से भिड़ गई थी। करीब 20 मिनट तक लड़ने के बाद वह बच्चे को बाघ की चंगुल से छुड़ाने में सफल रही थी। इस संघर्ष में उसकी गर्दन की हड्डी टूट गई थी और बाघ के नाखून फेफड़े तक पहुंच गए थे। इस साहस के लिए महिला के पति ने उसे वीरता पुरस्कार देने की मांग की है। मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचकर उसने अधिकारियों को इसके लिए आवेदन दिया।
उमरियाः मध्य प्रदेश के उमरिया में एक पति ने अपनी पत्नी को वीरता पुरस्कार देने की गुहार लगाई है। मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान पति ने इसको लेकर आवेदन दिया। आवेदन में पति ने बताया कि उसकी पत्नी ने बच्चे को बाघ की चंगुल से बचाया था। अपनी जान पर खेलकर पत्नी करीब 20 मिनट तक बाघ से लड़ती रही, लेकिन बच्चे को सुरक्षित बचा लिया। पति ने बच्चे की इलाज में हुए खर्च की क्षतिपूर्ति की भी मांग की है।
उमरिया के रोहनिया गांव से जनसुनवाई में आए भोला प्रसाद चौधरी ने कहा कि उसकी पत्नी ने बाघ से लड़कर अपने बच्चे की जान बचाई थी। बाघ ने बच्चे को पकड़ लिया था, लेकिन मां ने साहस दिखाते हुए उसे बाघ के चंगुल से छुड़ा लिया। उसने अधिकारियों से आग्रह किया कि उसकी पत्नी का नाम वीरता पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया जाए।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व एरिया में यह घटना करीब चार महीने पहले हुई थी। भोला चौधरी की पत्नी अर्चना सुबह करीब दल बते अपने बेटे राजवीर को शौच के लिए पास के बाड़े में लेकर गई थी। इसी दौरान झाड़ियों में छिपा बाघ लकड़ी-कांटे की फेंसिंग को फांदकर अंदर आया और बच्चे को अपने जबड़े में दबा लिया।
अर्चना ने देखा तो बेटे को बचाने के लिए वह बाघ से भिड़ गई। करीब 20 मिनट तक बाघ के साथ उसका संघर्ष चलता रहा। इस दौरान बाघ के नाखून उसके फेफड़े तक घुस गए, लेकिन उसने हिम्मत नहीं छोड़ी। तब जाकर बस्ती के लोगों ने उसकी आवाज सुनी तो लाठियां लेकर वहां पहुंचे। यह देखकर बाघ बच्चे को छोड़कर जंगल की ओर भाग गया।
घटना के बाद अर्चना और उसके बेटे को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल भेजा गया। जिला अस्पताल में जांच के बाद पता चला कि अर्चना की गर्दन की हड्डी टूट गई थी। उसकी पीठ पर भी नाखून के गहरे घाव थे। हालत गंभीर होने पर उसे जबलपुर रेफर करना पड़ा था। हादसे में बच्चे के सिर में चोट आई थी, लेकिन उसकी हालत खतरे से बाहर थी।