कम उम्र में मां चल बसी, पिता ने बेटे के लिए दुकान बेच दी, रणजी में 300 मारने वाले Prithvi Shaw की कहानी

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भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने के लिए घरेलू मैचों में खिलाड़ी को कुछ बड़ा धमाका करना होता है. जिसे कर दिखाया है भारत के सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ ने, उन्होंने मुंबई की टीम से खेलते हुए असम के खिलाफ शानदार तिहरा शतक ठोक बीसीसीआई सिलेक्टर्स को मुंह तोड़ जवाब दिया है.

गुवाहाटी में हो रहे इस मैच में 23 वर्षीय पृथ्वी शॉ 400 रनों के ऐतिहासिक आकड़ों से चूक गए और 379 रनों पर रियान पराग की गेंद पर एलबीडबल्यू आउट हो गए. 

संजय मांजरेकर के रिकॉर्ड को तोड़ रचा इतिहास

पृथ्वी शॉ ने किसी भी भारतीय बल्लेबाज की तरफ से फर्स्ट क्लास और रणजी के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा स्कोर बनाकर इतिहास रच दिया है. उन्होंने संजय मांजरेकर के 377 रनों के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है, जिन्होंने 1991 में मुंबई की तरफ से खेलते हुए हैदराबाद के खिलाफ बनाए थे. जो दूसरा सबसे बड़ा स्कोर था, लेकिन अब यह रिकॉर्ड पृथ्वी शॉ के नाम हो गया है.

बता दें कि फर्स्ट क्लास और रणजी के इतिहास में आज तक 400 रन बनाने का रिकॉर्ड सिर्फ एक भारतीय खिलाड़ी के नाम है, जो मुंबई के लिए ही खेलते थे. वो हैं बीबी निम्बालकर. जिन्होंने 1948 में महाराष्ट्र की तरफ से खेलते हुए काठियावाड़ के खिलाफ नाबाद 443 रनों की रिकॉर्ड पारी खेली थी.

पृथ्वी शॉ ने अपनी 379 की शानदार पारी के दौरान 383 गेंदों का सामना किया. उस दौरान उन्होंने 49 चौके और 4 छक्के लगाए. हालांकि पृथ्वी शॉ भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपने जीवन में भी काफी संघर्ष करने के बाद नाम कमाया है.

Prithvi Shaw Prithvi Shaw

बचपन में ही मां गुजर गई

देश के उभरते खिलाड़ी पृथ्वी शॉ का जन्म 9 नवंबर 1999 को महाराष्ट्र के थाने इलाके में हुआ. इनका परिवार बिहार के गया से ताल्लुक रखता है. पृथ्वी शा को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का बड़ा शौक था. पिता पंकज शॉ बेटे को क्रिकेटर बनाने का सपना देखने लगे. लेकिन पृथ्वी की उम्र जब 4 साल की थी तो उन पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा.

उनकी मां गुजर गईं. छोटी सी उम्र में मां के चले जाने से पृथ्वी को बड़ा सदमा लगा. वहीं इनके पिता पंकज को भी बड़ा झटका लगा था. मासूम बेटे की परवरिश करने की अकेले जिम्मेदारी अब उनके कंधों पर थी. उन्होंने पृथ्वी को कभी मां की कमी का एहसास नहीं होने दिया. पिता के साथ उन्होंने बेटे को मां का भी प्यार दिया.

Prithvi Shaw with FatherTwitter

मां को खोने के बाद पृथ्वी शा मुंबई के बाहरी इलाके विरार में पले बढ़े. शुरुआत में पिता ने विरार के ही एक क्रिकेट अकादमी में पृथ्वी का दाखिला करा दिया. आगे आठ साल की उम्र में बांद्रा के रिजवी स्कूल में एडमिशन हुआ. ताकि पृथ्वी क्रिकेट में अपना करियर बना सकें. पृथ्वी को स्कूल से आने-जाने में लगभग 140 किमी का सफर तय करना पड़ता था, जो वे अपने पिता के साथ तय करते थे.

बेटे के लिए पिता ने बेच दी अपनी दुकान

पृथ्वी के पिता साढ़े तीन बजे सुबह उठकर बेटे के लिए नाश्ता बनाते. और सुबह साढ़े चार बजे बाप-बेटे विरार से बांद्रा के एमआईजी ग्राउंड जाते थे. पिता पंकज वहीं रुकते और शाम को बेटे के साथ वापस घर आते थे. पृथ्वी की ज़िन्दगी सवांरने में उनके पिता का बहुत बड़ा योगदान रहा है. उनके पिता की कपड़ों की एक दुकान थी, जो बहुत अच्छी चलती थी. उनका कपड़ा सूरत और बड़ौदा तक जाता था. लेकिन, बेटे के सपने को पूरा करने के लिए पिता को अपनी दुकान बेचनी पड़ी.

Prithvi Shaw Prithvi Shaw

व्यापार बंद करने के बाद वे अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए हर वक़्त उसके साथ रहने लगे. शुरुआत में उनको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा. लेकिन दोनों ने हिम्मत नहीं हारी. पृथ्वी ने अपने पिता की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए दिन-रात मेहनत की. वे किसी भी दिन बिना छुट्टी लिए मैदान पर जमकर पसीना बहाते थे. बेटे के अभ्यास के लिए कभी-कभार पिता को भी गेंदबाज बनना पड़ता था. एक तरह से पिता पंकज ने अपनी पूरी जिंदगी बेटे पृथ्वी के नाम कर दी थी.

फिर ऐसे नाम कमाया कि दुनिया ने किया सलाम

बाप-बेटे की मेहनत भी रंग लाई, पृथ्वी ने स्कूल की तरफ से खेलते हुए महज 14 साल की उम्र  330 गेंद पर 546 रन का बड़ा स्कोर बनाया. जो स्कूल क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड है. आगे विजय मर्चेंट में अंडर16 के लिए मुंबई टीम के कप्तान बने. साल 2016 में अंडर-19 टीम का हिस्सा बने.  वहां शानदार प्रदर्शन किया. साल 2017 में रणजी डेब्यू किया. पहले ही मैच में शतक लगाने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए.

Prithvi Shaw Prithvi Shaw

साल 2018 में अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया. इनके नेतृत्व में भारत ने चौथी बार विश्व कप जीता था. इनके बल्ले से भी खूब रन आए थे. इसके बाद साल 2018 में आईपीएल की दिल्ली डेयरडेविल्स ने 1.2 करोड़ रुपए में खरीदा. इसी साल इनका और इनके पिता का सपना पूरा हुआ इन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरिज में भारतीय टीम में शामिल किया गया. अपने इंटरनेशनल डेब्यू मैच में शतक ठोक खूब सुर्खियां बटोरी.  हालांकि इस दौरान पृथ्वी शॉ भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.