वो स्कूल में पढ़ाई कर रहा था…अक्सर ही मां से सेना में जाने की जिद करता था…मां कहती थी, ‘बेटा तुम्हारे दो मामा टीचर हैं, तुम भी टीचर बन जाओ।’ यकीन मानिए, स्कूल में पढ़ने वाला लड़का ये तय कर चुका था कि उसे तो मां भारती की रक्षा में सिर पर कफन बांध कर दुश्मनों के दांत खट्टे करने हैं। बेटे की जिद के आगे मां ने भी घुटने टेक दिए।
महज 18 साल की उम्र में भारतीय सेना की 9 पैरा रेजिमेंट (9 Para Regiment) का हिस्सा बन गया। पैरा ट्रूपर (paratrooper) बनना भी एक साहसिक फैसला होता है। सर्जिकल स्ट्राइक (surgical strike) में भी पैरा ट्रूपर्स की भूमिका अहम होती है। प्रमोद न केवल पैरा ट्रूपर था, बल्कि अदम्य साहस व बहादुरी के कारण आतंकियों से आमना-सामना करने के लिए बनाई गई स्पेशल टास्क फोर्स (special task force) का हिस्सा भी बन गया।
शुक्रवार को राजौरी में आतंकी मुठभेड़ (terrorist encounter in Rajouri) में बहादुर बेटा अदम्य साहस का परिचय देते वक्त वीरगति को प्राप्त हो गया। इत्तफाक देखिए, स्पेशल ऑपरेशन पर जाने से चंद घंटे पहले प्रमोद नेगी ने अपनी मां से भी फोन पर बात की थी।
‘मां तुम टेंशन मत लेना, स्पेशल ऑपरेशन पर जा रहा हूं…हो सकता है 10 दिन तक बात न हो।’ ये वो अंतिम शब्द हैं, जो गमगीन मां शिलाई में अपने घर पर ढांढस बंधा रहे लोगों के सामने बार-बार बयां कर रही है। गौरतलब है कि वीरवार की रात 11 बजे के आसपास शहीद की मां तारा देवी से बात हुई थी। अगले 12 घंटे के भीतर ही शहादत की खबर आने के बाद परिवार सुध-बुध खो बैठा।
मां का जिगर देखिए, बड़े बेटे की जिद के आगे तो हार ही गई थी। बाद में छोटे बेटे को भी मां भारती के सुपुर्द कर दिया। 22 साल का छोटा बेटा नितेश भी भारतीय सेना (Indian Army) में सेवाएं दे रहा है।
उधर, नौहराधार का रहने वाला 26 वर्षीय फौजी अनिल भी प्रमोद के घर पहुंचा है। शहीद प्रमोद व अनिल एक साथ ही पैरा में भर्ती हुए थे। तीन दिन पहले ही छुट्टी पर घर आए अनिल ने प्रमोद को भी घर चलने को कहा था, लेकिन शहीद प्रमोद ने इस बात से इंकार कर दिया था।
पिता देवेंद्र नेगी ने रुंधे गले से मीडिया को बताया कि इस बात पर कतई भी विश्वास नहीं हो रहा कि लाडला बेटा दुनिया में नहीं है, जिसकी आवाज वीरवार रात से ही कानों में गूंज रही है। बिजली बोर्ड (power Board) में लाइनमैन के पद पर तैनात देवेंद्र नेगी ने कहा कि परिवार बड़े बेटे प्रमोद की शादी के बारे में सोच रहा था। पिता के मुताबिक बेटे को स्पेशल फोर्स में बहादुरी के लिए रैड कार्पेट से भी सम्मानित किया गया था।
शहीद की बहन मनीषा के शब्दों ने हर किसी को झिंझोड़ कर रख दिया है। बहन बोली, ‘मेरे भाई जैसे’ वीर सपूत हर मां की कोख से पैदा होने चाहिए, ताकि दुश्मन आंख उठाकर देखने की भी हिमाकत न कर सके।
उन्होंने बताया कि वीर सपूत दिसंबर में छुट्टी पर घर आया था। बताया जा रहा है कि शहीद की पार्थिव देह शनिवार शाम पैतृक गांव शिलाई पहुंच सकती है। कुल मिलाकर दुश्मनों को ये समझ लेना चाहिए कि मां भारती के बहादुर बेटे रक्षा के लिए सिर पर कफन बांधकर निकलते हैं। वो अपने प्राणों को मां की रक्षा में न्यौछावर करने के लिए तनिक भी नहीं सोचते।