MP: चार साल जेल में रखा, एमपी हाईकोर्ट ने कहा- 3 लाख दो

MP High Court News: एमपी हाईकोर्ट ने दोषी व्यक्ति को उसकी सजा से अधिक जेल में रखने के मामले में राज्य सरकार मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने तीन लाख रुपये का मुआवजा देने के लिए कहा है।

mp high court decision
mp high court decision: एमपी हाईकोर्ट के निर्देश
जबलपुर: एमपी हाईकोर्ट (mp high court order) ने राज्य सरकार को एक दोषी व्यक्ति को तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। उस व्यक्ति को उसकी सजा के बाद लगभग चार साल जेल में रखा गया था। जस्टिस एस ए धर्माधिकारी ने कहा कि किसी को तीन साल 11 महीने 5 दिन की जेल की अवधि के बाद हिरासत में रखना उसके मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है और मुआवजे की उसकी मांग जायज है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह राज्य सरकार की गलती नहीं थी। छिंदवाड़ा जिला न्यायालय को इस मामले में रिहाई का आदेश जारी किया जाना चाहिए था। कोर्ट ने रजिस्ट्रार-सतर्कता को जांच करने के आदेश दिए हैं। साथ ही दो महीने के भीतर रजिस्ट्रार जनरल को पूरे मामले की रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, छिंदवाड़ा जिले के कैदी इंदर सिंह को एक सत्र अदालत ने हत्या के मामले में दोषी ठहराया था और 14 मार्च 2005 को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। बाद में हाईकोर्ट ने इस आरोप को गैर इरादतन हत्या में बदल दिया और सजा को कम करे पांस के कठोर कारावास में बदल दिया। आदेश की प्रति जेल अधीक्षक और छिंदवाड़ा के प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश को भेजी गई।

हालांकि 25 सितंबर 2009 को जेल की सजा पूरी होने के बाद भी दोषी को जेल से रिहा नहीं किया गया। पीड़ित के वकील ने एचसी में अपनी याचिका में कहा कि उनके वकील ने 25 जून 2012 को जेल अधीक्षक और सत्र न्यायाधीश को लिखे जाने के बाद ही रिहाई वारंट जारी किया गया था और वह अपनी तुलना में लगभग चार साल अधिक जेल में रहने के लिए मुआवजे के हकदार हैं।

अदालत ने राज्य सरकार को सिंह को तीन लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है और रजिस्ट्रार विजिलेंस को जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति चूक के लिए दोषी पाया जाता है तो कार्रवाई की जा सकती है।