BJP Rebel Leaders: एमपी में बीजेपी के बागी नेता अमृत महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं। इस आयोजन में नाराज नेताओं को आमंत्रित किया गया है। इससे चुनावी साल में बीजेपी की टेंशन बढ़ाएंगे। पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया इसकी अगुवाई कर रहे हैं।
नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में बीजेपी नेता और पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया ने अमृत महोत्सव (Jayant Malaiya amrit mahotsav) का ऐलान किया है। 11 दिसंबर को इस अमृत महोत्सव में कई नेता शामिल हो सकते हैं, जो पार्टी में खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। यह कार्यक्रम दमोह में होगा। इसके लिए जो निमंत्रण पत्र भेजे गए हैं, उनमें पूर्व मंत्री अजय विश्नोई का भी नाम है। मलैया और विश्नोई की दोस्ती पुरानी है। विश्नोई अपने बयानों से आए दिन सरकार पर निशाना भी साधते रहते हैं। उनके अलावा राजेंद्र सिंघई, सिद्धार्थ मलैया और निशांत मलैया का नाम आयोजकों में है। आखिर क्या है इसकी वजह?
नाराज नेताओं का शक्ति प्रदर्शन
वैसे तो मलैया इसे गैर-राजनीतिक कार्यक्रम बता रहे हैं, लेकिन यह बीजेपी के नाराज नेताओं का जमावड़ा हो सकता है। इसे बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इसमें वे सभी नेता अपनी एकजुटता दिखा सकते हैं, जो 75 साल से ज्यादा उम्र के हैं। साथ ही वे नेता भी जिन्हें कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए नेताओं की वजह से अपना राजनीतिक भविष्य संकट में लग रहा है।
75 साल का नियम
जयंत मलैया ने इसी साल 15 नवंबर को अपना 75वां जन्मदिन मनाया था। बीजेपी ने एक फॉर्म्युला बनाया है कि 75 साल से ज्यादा की उम्र के नेताओं को चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा। हालांकि, कई जगह इस नियम को तोड़ा भी गया है। मगर, मोटे तौर पर यह नियम लागू है। मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले अभी गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जिस तरह टिकट दिए उससे भी मध्यप्रदेश में कई नेताओं में बैचेनी है। बीजेपी ने गुजरात में कई बड़े नेताओं के टिकट काट दिए थे।
टिकट का सवाल कई विधायकों को दोबारा टिकट नहीं दिया गया। बीजेपी ने कहा है कि विधायकों या मंत्रियों के बच्चों को भी टिकट नहीं दिया जाएगा। मध्य प्रदेश और गुजरात में यह समानता है कि दोनों जगह बीजेपी लंबे वक्त से सत्ता में है। मध्यप्रदेश में बीजेपी नेताओं को डर है कि गुजरात वाला फॉर्म्युला यहां भी लागू होने से उनकी चुनावी राजनीति खत्म हो सकती है। साथ ही जो नेता अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अपने बच्चों को टिकट की उम्मीद लगा रहे हैं उनमें भी बैचेनी है।
कांग्रेस से आए नेताओं से खतरा
कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए नेताओं की वजह से बड़ी तादाद में नेता असहज महसूस कर रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए तो उनके साथ कई कांग्रेस विधायक भी बीजेपी में शामिल हो गए थे। उपचुनाव में कई जीते भी। बीजेपी में पहले से रहे कई नेताओं की सीट पर कांग्रेस से आए लोग भी हैं।
ऐसे में बीजेपी नेताओं को अपना राजनीतिक भविष्य संकट में दिख रहा है। मलैया के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में इस तरह बेचैन और नाराज नेता शामिल हो सकते हैं। वे सब मिलकर बीजेपी को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। निकाय चुनाव में भी इन नाराज नेताओं की सीट पर बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था।