MS Dhoni: महेंद्र सिंह धोनी चेन्नई सुपर किंग्स की पहचान हैं। धोनी और सीएसके का नाम एक साथ ही आता है। आईपीएल के पहले सीजन की नीलामी में ही फ्रेंचाइजी ने उन्हें खरीदा था। क्या आपको पता है कि धोनी मुंबई इंडियंस का हिस्सा होते। लेकिन आईपीएल के एक नियम की वजह से चेन्नई ने बाजी मार ली।
मुंबई और चेन्नई में थी टक्कर
महेंद्र सिंह धोनी उस समय भारत के टी20 और वनडे के कप्तान थे। टी20 वर्ल्ड कप का खिताब भी जीत चुके थे। उनकी बोली 400,000 अमेरिकी डॉलर से शुरू हुई थी। जब तक बोली 900,000 अमेरिकी डॉलर को पार कर गई, केवल दो टीमें मैदान में थीं, मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स। अंत में चेन्नई सुपर किंग्स ने बाजी मार ली और मुंबई के पास हाथ मलने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहा। लेकिन ये हुआ कैसे?
क्या था वो आईपीएल का नियम?
आईपीएल 2008 में आइकॉन प्लेयर का नियम था। यानी नीलामी से पहले फ्रेंचाइजी एक आइकॉन खिलाड़ी को अपने साथ जोड़ सकती थी। उसे टीम के सबसे महंगे खिलाड़ी से 15 प्रतिशत ज्यादा सैलरी देने का नियम था। एक टीम का कुल पर्स 5 मिलियन था यानी इतने में ही उन्हें खिलाड़ियों को खरीदना था। मुंबई ने सचिन तेंदुलकर, दिल्ली ने वीरेंद्र सहवाग, कोलकाता ने सौरव गांगुली, बैंगलोर ने राहुल द्रविड़ और पंजाब ने युवराज सिंह को अपना आइकॉन खिलाड़ी चुना। चेन्नई सुपर किंग्स का कोई आइकॉन खिलाड़ी नहीं था।
1.5 मिलियन डॉलर से आगे नहीं बढ़ी मुंबई
महेंद्र सिंह धोनी को खरीदने के बारे में कुछ समय पहले टीम के मालिक एन श्रीनिवासन ने खुलासा किया था। उन्होंने कहा था- अचानक मुंबई धोनी के लिए 1.5 मिलियन डॉलर तक आ गई। शायद तब उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें आइकॉन खिलाड़ी को सबसे महंगे खिलाड़ी से 10 प्रतिशत (15 प्रतिशत) अधिक देना होगा। ऐसे में उनके 3 मिलियन से ज्यादा चले जाते और कुछ नहीं बचता। इस तरह धोनी चेन्नई में आ गए।
5 बार बना चुके चैंपियन
चेन्नई सुपर किंग्स ने महेंद्र सिंह धोनी को पहले ही सीजन अपना कप्तान बना दिया। टीम फाइनल में पहुंची लेकिन अंत में राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ हार मिली। 2010 में धोनी की कप्तानी में टीम चैंपियन बनी। 2011 में भी खिताब अपने नाम किया। फिर 2018 और 2021 में आईपीएल चैंपियन बनी। गत सोमवार में गुजरात टाइटंस को हराकर धोनी की टीम ने 5वीं बार लीग का खिताब जीता।