लखनऊ: समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव अब इस दुनिया में नहीं रहे. 82 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कहने वाले सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को आज सैफई में राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी जाएगी, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. दरअसल, नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव ने 10 अक्टूबर को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली. मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक निवास सैफई में दोपहर में होगा. फिलहाल, उनके पार्थिव शरीर को दर्शन के लिए मेला ग्राउंड में रखा गया है. तो चलिए जानते हैं कि क्या होता है राजकीय सम्मान और इसकी पूरी रस्में.
क्या होता है राजकीय सम्मान
राजकीय सम्मान में राजकीय अंत्येष्टि का आयोजन किया जाता है. जब कोई गणमान्य व्यक्ति इस दुनिया को छोड़कर जाता है तो उसे बंदूकों की सलामी दी जाती है. इतना ही नहीं, गणमान्य व्यक्ति के निधन पर राजकीय सम्मान के तहत सार्वजनिक छुट्टी की भी घोषणा की जाती है. इसके अलावा जिस ताबूत में गणमान्य व्यक्ति के शव को ले जाया जा रहा होता है, उसे तिरंगे में लपेटा जाता है. पहले यह घोषणा केवल केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकता था मगर हाल में बदले हुए नियमों के अनुसार अब राज्यों को भी यह अधिकार दिया जा चुका है और वे तय कर सकते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है और किसे नहीं.
राजकीय शोक का मतलब क्या है, इसमें क्या-क्या बदलता है? आइए जानते हैं हर रस्म
मुलायम सिंह यादव को कैसे दी जाएगी विदाई
दरअसल, जब भी किसी मंत्री, नेता या गणमान्य व्यक्ति के लिए राजकीय शोक का ऐलान होता तो उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाता है. क्योंकि मुलायम सिंह यादव के लिए भी तीन दिनों के राजकीय शोक का ऐलान हुआ है, ऐसे में उनका भी अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होगा. राजकीय अंतिम संस्कार के दौरान मृतक के पार्थिव शरीर वाले ताबूत को तिरंगे में लपेटा जाता है. इतना ही नहीं, राजकीय सम्मान में ‘भारतीय ध्वज संहिता’ के अनुसार राष्ट्र ध्वज तिरंगा को आधा झुका दिया जाता है. लेकिन इससे पहले मातृभूमि के सम्मान में इसे मस्तूल के शीर्ष पर उठाया जाता है और फिर नीचे किया जाता है. अंतिम संस्कार के दौरान बंदूकों की सलामी भी दी जाती है.
मुलायम सिंह रह चुके हैं यूपी के CM से लेकर रक्षामंत्री तक
क्योंकि मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री से लेकर देश के रक्षा मंत्री तक रह चुके हैं, इसलिए वह भी गणमान्य व्यक्ति की श्रेणी में आते हैं और उन्हें भी राजकीय सम्मान के साथ विदा किया जाएगा. इस दौरान फ्लैग कोड ऑफ इंडिया नियम के मुताबिक, राजकीय शोक के दौरान विधानसभा, सचिवालय समेत महत्वपूर्ण दफ्तरों में लगे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे. इतना ही नहीं, राजकीय शोक के तहत राजकीय सम्मान में कोई भी औपचारिक और सरकारी कार्यक्रम नहीं होंगे. उन्हें राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर सभी गणमान्य व्यक्ति उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.
जानें मुलायम सिंह यादव के बारे में और
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में 22 नवंबर 1939 को जन्मे मुलायम सिंह यादव ने राज्य का सबसे प्रमुख सियासी कुनबा भी बनाया. मुलायम सिंह यादव 10 बार विधायक रहे और सात बार सांसद भी चुने गए. वह तीन बार (वर्ष 1989-91, 1993-95 और 2003-2007) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और 1996 से 98 तक देश के रक्षा मंत्री भी रहे. एक समय उन्हें प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर भी देखा गया था.