Mumbai news: दिवाली के बाद महाराष्ट्र में फूटेगा ‘बम’? उद्धव का दावा, शिंदे गुट के 22 MLA BJP में होंगे शामिल

एकनाथ शिंदे गुट के कम-से-कम 22 विधायक नाराज हैं। इनमें से ज्यादातर विधायक खुद को भाजपा में विलीन कर लेंगे, ऐसा साफ दिख रहा है। उसके बाद शिंदे का क्या होगा? ऐसा जब मैंने उनके एक नेता से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, `शिंदे का रामदास आठवले होगा।’ यह कथन सही है।

Eknath Shinde vs Uddhav Thakeray
एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे
मुंबई: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे की लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही। एमवीए से बगावत करके अलग होने वाले शिंदे बीजेपी के साथ मिलकर मुख्यमंत्री बन गए लेकिन उद्धव और शिंदे गुट के बीच लगातार वाकयुद्ध जारी है। दोनों ही दल एक दूसरे पर आरोपों की बारिश करते रहे हैं। अब उद्धव ठाकरे गुट ने दावा किया है कि शिवसेना के 40 बागी विधायकों में से 22 जल्द ही बीजेपी में शामिल होगे। शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे साप्ताहिक कॉलम रोकठोक में शिवसेना ने यह भी दावा किया है कि एकनाथ शिंदे को अस्थाई मुख्यमंत्री बनाया गया है। सारा काम फडणवीस कर रहे हैं, वह दिल्ली भी शिंदे के बिना जाते हैं। बीजेपी के मेहबानी पर ही शिंदे का मुख्यमंत्री पद टिका हुआ है।

सामना ने लिखा कि दिवाली साल में एक बार आती है लेकिन राजनीति के पटाखे किसी भी समय फूटते रहते हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पुलिस विभाग में हुए तबादलों पर नाराज हुए और सातारा स्थित उनके गांव चले गए इसकी जानकारी एक खबरिया चैनल ने दी। यह उतना सच नहीं लग रहा है। मुख्यमंत्री नाराज हुए होंगे तो भी फडणवीस को दुत्कार, थोड़ा नाराज होकर गांव जाकर बैठेंगे, ऐसी स्थिति नहीं है। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की मेहरबानी पर उनका मुख्यमंत्री पद टिका हुआ है और शिंदे का राजनीतिक अस्तित्व उसी मुख्यमंत्री पद पर ही टिका है। इसलिए भाजपा शिंदे को गुदगुदी करके मारेगी।

‘नई प्रसूता जैसी शिंदे की स्थिति’
भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता सह्याद्रि पर मिले। वह हंसते-हंसते बोले, `सरकार शिंदे गुट के चालीस विधायक चला रहे हैं और मुख्यमंत्री के कार्यालय पर उनका ही कब्जा है। विधायकों के हठ के आगे हमारे मुख्यमंत्री मजबूर हो गए हैं। अन्य विधायकों के काम नहीं हो रहे। उनसे पूछा गया, ‘फिर आप भाजपा के लोग यह सहन क्यों कर रहे हो?’ उन्होंने जवाब दिया, ‘सहन करने का सवाल ही नहीं। शिंदे सरकार की स्थिति नई प्रसूता जैसी हो गई है। थोड़ा समय दो उन्हें। फिर आगे का आगे।’

‘शिंदे को गुलाम बनाकर रखा’
सामना ने लिखा कि मुख्यमंत्री शिंदे के लिए यह खतरे की घंटी है। भारतीय जनता पार्टी ने शिंदे और उनके कुछ लोगों को ईडी वगैरह के फंदे से अभी के लिए बचा लिया। लेकिन इन सभी को हमेशा के लिए गुलाम बनाकर रख लिया है। सरकार के सभी निर्णय उपमुख्यमंत्री फडणवीस लेते हैं और मुख्यमंत्री शिंदे उन निर्णयों की घोषणा करते हैं। अब दिल्ली भी फडणवीस, एकनाथ शिंदे के बिना चले जाते हैं।

‘सीएम पद की उतार ली जाएगी वर्दी’
सामना ने दावा किया, ‘मुख्यमंत्री पद पर शिंदे, यह भाजपा की अस्थाई व्यवस्था है। उनके मुख्यमंत्री पद की वर्दी कभी भी उतार ली जाएगी, ये अब सभी समझ चुके हैं। शिंदे के तोतया गुट से अंधेरी (पूर्व) के उप चुनाव में उम्मीदवार खड़ा किया जाना चाहिए था लेकिन भाजपा ने इसे टाल दिया। महाराष्ट्र की ग्राम पंचायत, सरपंच चुनाव में शिंदे गुट की सफलता का दावा झूठा है। शिंदे गुट के कम-से-कम 22 विधायक नाराज हैं। इनमें से ज्यादातर विधायक खुद को भाजपा में विलीन कर लेंगे, ऐसा साफ दिख रहा है। उसके बाद शिंदे का क्या होगा? ऐसा जब मैंने उनके एक नेता से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, `शिंदे का रामदास आठवले होगा।’ यह कथन सही है।

‘हर जगह दिख रहे शिंदे’
एकनाथ शिंदे ने अपने साथ ही महाराष्ट्र को काफी नुकसान पहुंचाया। इसलिए महाराष्ट्र उन्हें माफ नहीं करेगा। शिंदे को तोप के मुंह के सामने खड़ा करके भाजपा अपनी राजनीति करती रहेगी। भाजपा नेता सीधे कहते हैं कि शिंदे को भी कल भाजपा में ही विलय होना होगा और उस समय वे नारायण राणे की भूमिका में होंगे।’ अगर ऐसा हुआ तो शिंदे ने क्या हासिल किया? मुख्यमंत्री के तौर पर महाराष्ट्र के विकास में उनका योगदान नजर नहीं आता। हर जगह देवेंद्र फडणवीस दिख रहे हैं। देश की राजधानी में शिंदे का कोई प्रभाव नहीं है।

‘तबादले पर भी नहीं सुन रहे फडणवीस’
सामना ने लिखा कि देवेंद्र फडणवीस मंगलवार को दिल्ली गए और मुंबई झोपड़पट्टी मुक्त करने की महत्वाकांक्षी नीति के तहत धारावी पुनर्विकास परियोजना को लेकर रेलवे की तरफ से महाराष्ट्र सरकार को आवश्यक जमीन के लिए रेल मंत्रालय से मंजूरी ले आए। धारावी के पुनर्विकास का पूरा श्रेय इसलिए फडणवीस और भाजपा को जाएगा। इस महत्वपूर्ण परियोजना की घोषणा में राज्य के मुख्यमंत्री कहीं नहीं हैं। पुलिस के तबादलों और अपने अधिकारियों की नियुक्ति में उन्हें अधिक रुचि है क्योंकि उनके 40 विधायकों को यही सब चाहिए। गृहमंत्री फडणवीस ने तबादला मामले पर किसी की नहीं सुनी, उस समय मुख्यमंत्री शिंदे नाराज हो गए और सातारा अपने गांव चले गए, ऐसी खबर समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी। वे सीधे क्रिकेट के मैदान में स्नेहभोजन के लिए अवतरित हुए। मुख्यमंत्री और उनका गुट इस समय क्या करता है? मूल शिवसेना के प्रत्येक काम में बाधा उत्पन्न वैसे की जा सकती है, इसे लेकर हरसंभव प्रयास करता है।