2023 के आखिर तक भारत का सबसे बड़ा समुद्री पुल आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा. मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (Mumbai Trans Harbour Link) पुल बनने से कई शहरों के बीच की दूरी कम हो जाएगी. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ये पुल खुलने के बाद लोग सेंट्रल मुंबई से नवी मुंबई तक की दूरी 20 मिनट में तय कर सकेंगे.
ये है देश का सबसे लंबा समुद्री पुल
मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (Mumbai Trans Harbour Link) 22 किलोमीटर लंबा 6 लेन का पुल है. इस पुल का 16.5 किलोमीटर हिस्सा समुद्र पर है और 5.5 किलोमीटर धरती पर. 18,000 करोड़ की लागत से ये पुल तैयार किया जा रहा है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये पुल 17,843 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है. BQ Prime की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान इंटरनेशनल कोओपरेशन एजेंसी (Japan International Cooperation Agency) नामक कंपनी ने पुल बनाने में लोन देकर सहायता की है.
एक दिन में 70,000 गाड़ियां गुज़रेंगी
लोग पुल के ज़रिए सेंट्रल मुंबई के सिवरी से नवी मुंबई के शिवाजी नगर तक सिर्फ़ 20 मिनट में पहुंच जाएंगे. पहले ये दूरी तय करने में 1.5 घंटे का समय लगता था. मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (MTHL) के ज़रिए पुणे, गोवा और बेंगलुरू तक की दूरी भी कम हो जाएगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुल पूरी तरह ऑपरेशनल होने के बाद एक दिन में इस पुल से 70,000 गाड़ियां गुज़रेंगी.
मुंबई महानगरीय क्षेत्र विकास प्राधिकरण (Mumbai Metropolitan Region Development Authority) या MMRDA के चीफ़ सेक्रेटरी और मेट्रोपॉलिटन कमिश्नर, एसवीआर श्रीनिवास ने बताया, ‘भविष्य में इस सी लिंक को मुंबई-पुणे मोटरवे से जोड़ा जाएगा. इसके लिए बिडिंग शुरू हो चुकी है.’ श्रीनिवास ने भी नवंबर के आखिर तक या दिसंबर के शुरुआत में प्रोजेक्ट पूरा होने की उम्मीद जताई.
भारत में पहली बार ऑर्थोट्रॉपिक स्टील डेक तकनीक का इस्तेमाल
MTHL की कई खासियतें हैं और उन्हीं में से एक है ऑर्थोपेडिक स्टील डेक (Orthotropic Steel Deck). ये सी लिंक न्हावा शेवा बंदरगाह (Nhava Sheva Port) से होकर गुज़रेगा, ये सबसे व्यस्त नैविगेशन्ल चैनल्स में से एक है. इसलिए एक ऐसा समुद्री पुल बनाना ज़रूरी था जिससे समुद्री जहाज़ों की आवा-जाही में रुकावट न आए.
ऑर्थोट्रॉपिक स्टील डेक (OSD) एक खास किस्म का स्टील डेक है. OSD कॉन्क्रीट या कम्पोज़िट गर्डर ब्रिज (Composite Girder Bridge) से ज़्यादा मज़बूत होता है. MTHL में 70 लॉन्ग स्पैन ऑर्थोट्रॉपिक स्टील डेक लगाए गए हैं. हर स्टील डेक का स्पैन लेंथ भी अलग है.
रिवर्स सर्कुलेशन ड्रिलींग
भारत में इस तकनीक का पहली बार इस्तेमाल किया गया है. Pile Foundation में वर्टिकल ड्रिलींग मेथड का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें काफ़ी शोर होता है और आस-पास का वातावरण भी प्रभावित होता है. इस वजह से पर्यावरण प्रेमियों ने सिवरी मडफ़्लैट्स (Sewri Mudflats) में इस प्रोजेक्ट का विरोध किया था. बीते कुछ सालों से इस इलाके में बड़ी संख्या में फ़्लैमिंगोज़ आते हैं. MMRDA ने जानकारी दी है कि रिवर्स सर्कुलेशन ड्रिलींग से प्रवासी पक्षियों की संख्या में कोई फ़र्क नहीं पड़ा है.
क्रैश बैरियर्स
MMRDA ने मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक पर खास क्रैश बैरियर्स लगाने का भी निर्णय लिया है. अगर कोई गाड़ी क्रैश होती है तो ये बैरियर गाड़ी को वापस सड़क पर ले आएगा. साधारण क्रैश बैरियर्स से सिर्फ़ क्रैश का इम्पैक्ट कम होता है.
ओपन रोड टोलिंग
ये भारत का पहला पुल होगा जिस पर ओपन रोड टोलिंग सुविधा होगी यानि इस पर जगह-जगह पर टोल बूथ नहीं होंगे. इस सिस्टम से ड्राइर्स बिना रुके ही इलेक्ट्रॉनिकली टोल दे सकेंगे. सिंगापुर, US जैसे देशों में ये सुविधा है. इस पुल पर गाड़ियां 100 Kmph की रफ़्तार से दौड़ेंगी.
मुख्यमंत्री ने बताया गेम चेंजर
मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (MTHL) नवंबर-दिसंबर 2023 तक आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा. मई 2023 के आखिरी हफ़्ते में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंडे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुल का दौरा किया था. शिंडे और फडणवीस पुल पर ड्राइव के लिए भी गए थे.
मुख्यमंत्री शिंडे ने कहा कि यइस पुल से राज्य की आर्थिक अवस्था में भी सुधार होगा. शिंडे ने कहा ये मुंबई के लिए ही नहीं बल्कि पूरे मुंबई मेट्रोपॉलिटन रिजन के लिए गेमचेंजर साबित होगा.