नगर निगम चुनाव…पार्टी चिन्ह पर सस्पेंस

नगर निगम शिमला में वार्डों के पुनर्सीमांकन के बाद उच्च न्यायालय में काफी समय विचाराधीन चले मामले के बाद आए फैसले के बाद निर्धारित समय में चुनाव न होने के कारण अब पार्टी सिंबल पर चुनाव होने या न होने को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई

हालांकि नगर निगम चुनाव पार्टी सिंबल पर होते है, लेकिन इसी साल विधानसभा का चुनाव होना है और नगर निगम चुनाव इस पर असर डाल सकता है, जिसके लिए सरकार अब पार्टी सिंबल पर चुनाव न करवाकर प्रत्यक्ष रूप से चुनाव करवाने पर विचार कर रहा है। सूत्र बताते है कि इसके लिए शहरी विकास विभाग ने भी फाइल प्रोसेस में ला दी है, लेकिन इस पर अंतिम मोहर सचिवालय में ही लगेगी, लेकिन कयास लगाए जा रहे है कि चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं होंगे।

पहले हुए चुनावों में सरकार के हाथ लगी थी निराशा
नगर निगम में पहले हुए पार्टी सिंबल पर चुनाव में सरकार को निराशा ही हाथ लगी है। इस बार विधानसभा चुनाव सिर पर होने के कारण सरकार कोई खतरा नहीं उठाना चाहती है, क्योंकि शिमला शहर में होने वाले नगर निगम चुनाव सरकार पर असर डाल सकते है। बता दें कि सत्तारूढ़ भाजपा को पार्टी चिन्ह पर नगर निगम चुनाव में पहले ही सोलन और पालमपुर चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी है, जबकि धर्मशाला निगम चुनाव में भी भाजपा को बहुमत नहीं मिला था। हालांकि यहां एक निर्दलीय पार्षद के समर्थन से निगम पर भाजपा का कब्जा है। मुख्यमंत्री के गृह जिला मंडी में जरूर भाजपा को जीत निगम चुनाव में जीत मिली थी। शिमला नगर निगम को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। इसलिए भाजपा सरकार पार्टी चिन्ह पर चुनाव करवाने से बचना चाह रही है।

कोर्ट के फैसले के बाद चुनाव आयोग ने शुरू की प्रक्रिया
हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद आयोग ने चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी है। वोटर लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया इस महीने के अंतिम सप्ताह में पूरी हो जाएगी। बताया जाता है कि जुलाई महीने के पहले सप्ताह में चुनावों का एलान हो सकता है। 18 जून को वर्तमान नगर निगम का कार्यकाल खत्म हो रहा है। यह तय है कि इस बार नगर निगम में प्रशासक लगाया जाएगा।

कांग्रेस कई बार दे चुकी है चुनौती
कांग्रेस पहले ही कई बार सत्तारूढ़ भाजपा को पार्टी सिंबल पर चुनाव करवाने की चुनौती दे चुकी है, जबकि 2012 में तत्कालीन भाजपा सरकार के समय नगर निकाय के हुए पार्टी सिंबल पर चुनाव में नगर निगम शिमला में कॉमरेडों ने बाजी मारी और यहां मेयर और डिप्टी मेयर के पद को हासिल किया था। ऐसे में सरकार किसी भी प्रकार को कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है, क्योंकि नगर निगम चुनाव विधानसभा चुनाव से पहले होने वाला सेमीफाइनल माना जा रहा है।