शिटाके मशरूम देशभर में उगाया जाता है और वर्तमान में इसका 5,700 मिट्रिक टन उत्पादन किया जा रहा है।
मशरूम की विभिन्न किस्में ईजाद करने वाले खुंब निदेशालय ने अब शिटाके के बीज की नई वैरायटी तैयार की है। यह बीज मात्र 45 दिनों में फसल देना शुरू कर देगा। अभी तक मशरूम की ज्यादातर किस्में 90 दिनों के बाद ही फसल देना शुरू करती हैं। शिटाके मशरूम के बीज पर निदेशालय ने सफल परीक्षण कर लिया है। खास बात यह है कि बाजार में 500 से 600 रुपये किलो मिलने वाला शिटाके मशरूम हड्डियों और कैंसर जैसे रोगों से लड़ने में सहायक है। जल्द ही देश भर के उत्पादकों को अब इसका बीज देना शुरू किया जाएगा। मशरूम का यह बीज अर्ली किस्म का है।
शिटाके मशरूम देशभर में उगाया जाता है और वर्तमान में इसका 5,700 मिट्रिक टन उत्पादन किया जा रहा है। शिटाके के बीज की अर्ली वैरायटी तैयार होने के बाद वैज्ञानिकों ने ढिंगरी, बटन समेत अन्य मशरूम की अर्ली किस्मों पर भी शोध शुरू कर दिया है। निदेशालय के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने बताया कि शिटाके के बीज की नई वैरायटी को पेटेंट कर दिया है। उत्पादक इसे देश के किसी भी केंद्र से ले सकते हैं। इस बीज से फसल भी अधिक होगी।
ये है खासियत
शिटाके मशरूम कैंसर से लड़ने के लिए रामबाण का करता है काम।
एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी ऐजिंग के गुणों के साथ विटामिन डी भी प्रचूर मात्रा में होता है।
इसे मेडिशनल मशरूम भी कहते हैं, कई दवाओं में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
नया बीज एक किलोग्राम बीज से 35 से 40 किलोग्राम मशरूम की पैदावार दे सकता है।