चीन, थाईलैंड और मलयेशिया के बाद अब भारत में भी हिमालय में उगने वाली औषधीय कॉर्डिसेप्स मिलिटेयर्स मशरूम तैयार हो गई है। जिला कुल्लू के भुंतर के एक युवक ने अपने घर की एक मंजिल में लैब स्थापित कर मशरूम तैयार की है। पहले चरण में 3,000 डिब्बों में मशरूम तैयार की गई है। बाजार में इसकी कीमत तीन से पांच लाख रुपये प्रतिकिलो है। अब ड्राई करने के बाद मशरूम बंगलूरू की एक कंपनी को बेची जाएगी। इसकी प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
भुंतर के गौरव शर्मा ढोक्को ने कॉर्डिसेप्स
मिलिटेयर्स मशरूम 45 दिन में तैयार की है। मशरूम को स्टेमिना और इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत रखने के साथ दवाई के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। गौरव ने कहा कि इस मशरूम में इम्युनिटी बूस्टर अधिक होने से चीन अपने खिलाड़ियों के लिए इसका सबसे अधिक इस्तेमाल कर रहा है।
मशरूम में एंटी कैंसर, एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी डायबिटिक, एंटी एजिंग, एनर्जी और इम्युनिटी बूस्टिंग गुण शामिल हैं। कहा कि कॉर्डिसेप्स परजीवी मशरूम की एक प्रजाति है। यह मशरूम कम तापमान में पनपती है। इसे कीड़ा जड़ी भी कहा जाता है। यह मशरूम समुद्रतल से करीब 3600 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय पर्वत शृंखला में पाई जाती है। मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन के प्रधान वैज्ञानिक सतीश कुमार ने कहा कि निदेशालय प्रशिक्षण दे रहा है। जानकारी के अभाव के कारण भारत में मार्केटिंग का अभाव है। कॉर्डिसेप्स मिलिटेयर्स मशरूम कई गंभीर बीमारियों के खात्मे के लिए सक्षम है।
यह मशरूम शरीर में स्टेमिना और इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाती है। साथ ही कई रोगों को ठीक करने में कारगर है। यह मशरूम कैंसर, शुगर, थायराइड, अस्थमा, हाई बीपी, दिल की बीमारी, गठिया हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी गंभीर बीमारियों के लिए संजीवनी का काम करती है।