मुस्लिमों को ना तो भारत से अच्छा देश मिलेगा और न ही मोदी से अच्छा नेता: शाहनवाज हुसैन

बीजेपी के सीनियर नेता शाहनवाज हुसैन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अल्पसंख्यकों को जितना अधिकार भारत में है उतना कहीं नहीं है। फखरुद्दीन अली अहमद, जाकिर हुसैन, ज्ञानी जैल सिंह, डॉ. मनमोहन सिंह जैसे लोग टॉप पद पर रहे। पढ़ें उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश इस इंटरव्यू में।

 

Shahnawaz Hussain
शाहनवाज हुसैन (File Photo)

बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद अभी तक यह सवाल बना हुआ है कि अखिर वे कौन से कारक रहे जो दोनों को अपनी राह अलग करनी पड़ी। यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के पिछले रेकॉर्ड को देखते हुए उनके फिर बीजेपी का दामन थाम लेने की संभावना खत्म नहीं हुई है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और अरविंद केजरीवाल के नित नए बयान भी लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। क्या बीजेपी भी इन्हें अपने लिए चुनौती के रूप में देखती है? ऐसे तमाम पहलुओं और सवालों पर एनबीटी के विशेष संवाददाता नरेन्द्र नाथ ने बीजेपी के सीनियर नेता
शाहनवाज हुसैन से बात की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

बिहार में इस बार नीतीश कुमार के साथ गठबंधन क्यों टूटा?
गठबंधन एकतरफा टूटा है। नीतीश कुमार के साथ संबंधों में कोई खटास नहीं थी। हालांकि हम दो दल हैं और इस लिहाज से विचारों में अंतर स्वाभाविक है, लेकिन हमने नीतीश कुमार को बहुत सम्मान दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश में बीजेपी का साथ छोड़ा। उन्होंने गठबंधन तोड़ते ही नारा दिया- बिहार में दिखा, देश में दिखेगा। 2013 में भी उन्हें लगा था कि बीजेपी छोड़ेंगे तो सभी सेकुलर दल पीएम उम्मीदवार बना देंगे। इस बार भी उनके सलाहकार ने समझाया कि बीजेपी से अलग होकर पीएम बन सकते हैं। सच यह है कि अब उनका वोट बीजेपी को जा चुका है। नरेंद्र मोदी भी अति पिछड़ा समाज से आते हैं। ऐसे में उनका वोट अब नरेंद्र मोदी के नाम पर आता है। फिर भी अमित शाह और जेपी नड्डा ने साफ कहा था कि 2025 तक गठबंधन चलाना है नीतीश कुमार के नेतृत्व में।

भविष्य में नीतीश कुमार के साथ आने की कोई संभावना है?
अब नीतीश कुमार के साथ आने की कोई संभावना नहीं है। बीजेपी इस बारे में कोई चर्चा करने को तैयार नहीं है।

लेकिन कहा जाता है कि महागठबंधन का सामाजिक आधार बहुत बड़ा है। कैसे बीजेपी मुकाबल करेगी 2024 में?
बिहार में 2015 से पानी बहुत बह चुका है। तब बहुत लोगों को नरेंद्र मोदी की असल ताकत और उनके विजन का अंदाजा नहीं था। इन दस सालों में उन्होंने गरीबों के लिए बहुत कुछ किया, जैसे मुफ्त राशन देना, आयुष्मान भारत के तहत लाभ देना। सड़क, बिजली आदि तमाम क्षेत्रों में पीएम मोदी ने बिहार को बहुत कुछ दिया। जिस पैकेज की घोषणा की थी, उसका वादा पूरा किया। जाहिर है, 2014 और 2024 में बहुत फर्क है। अब लोग पीएम मोदी के योगदान को देख चुके हैं। इस बार मैंने भी बतौर उद्योग मंत्री इस क्षेत्र में बहुत काम किया। पहली बार मैंने बिहार में निवेश का माहौल बनाया। कई बड़ी पहल की। ये सब सब कुछ जमीन पर उतरने को ही थी कि नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया।

मगर नीतीश कुमार तो कहते हैं कि बीजेपी ने उन पर दबाव बनाया, उन्हें कमजोर करने की कोशिश की…
नीतीश कुमार उनके साथ गए हैं जिन्होंने हमेशा उनके खिलाफ बहुत ही निचले स्तर पर जाकर हमला किया। याद करें, नीतीश कुमार ने आरजेडी के जंगलराज के खिलाफ ही तो अपनी पार्टी बनाई थी। सुशासन बाबू इसी कारण उनका नाम पड़ा था। बीजेपी ने उनको सीएम बनाया। पंद्रह साल वह मुख्यमंत्री रहे। बीजेपी ने आज तक किसी गठबंधन को धोखा नहीं दिया। न किसी को कमजोर किया।

क्या भविष्य में आप बिहार में बीजेपी की ओर से सीएम का चेहरा बन सकते हैं?
मैं मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं हूं। बिहार में बीजेपी के पास एक से बढ़कर एक नेता हैं। लेकिन इतनी बात तय है कि बिहार का जो अगला सीएम होगा, उसके सीने पर बीजेपी और कमल का फूल लिखा होगा। हम सब मिलकर मेहनत करेंगे। 2024 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे और 2025 में बीजेपी का सीएम बिहार में होगा यह बात तय है। बीजेपी में वर्कर के लिए धर्म-जाति आड़े नहीं आती है।

लेकिन बीजेपी पर आरोप लग रहा है कि पार्टी में मुस्लिमों के लिए उचित स्थान नहीं है?
कई लोगों का गलत इलजाम है कि बीजेपी में अब मुस्लिम के लिए जगह नहीं है। लेकिन ऐसी बात नहीं है। तीन बार लगातार खुद मैं लोकसभा सांसद रहा। उससे पहले नकवी रहे। लोगों की याददाश्त कमजोर हो जाती है। मैं किशनगंज से जीता जहां सबसे अधिक मुस्लिम आबादी रही है। पिछली बार भी भागलपुर से लड़ने वाला था लेकिन वह सीट जेडीयू को चली गई। इस बार पार्टी तय करेगी। मैं बीजेपी की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च बॉडी केंद्रीय चुनाव समिति में 17 साल रहा।
लेकिन ब्रिटेन में ऋषि सुनक के पीएम बनने के बाद यह बहस और जोर पकड़ गई कि देश में अल्पसंख्यकों को बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिल रही है…
ओवैसी का कहना कि बीजेपी से कोई मुस्लिम एमपी नहीं है, पीएम नहीं है तो मैं बता दूं मुस्लिमों के लिए न भारत से अच्छा देश मिलेगा, न हिंदू से अच्छा दोस्त और न ही मोदी से अच्छा नेता। अल्पसंख्यकों को जितना अधिकार भारत में है उतना कहीं नहीं है। फखरुद्दीन अली अहमद, जाकिर हुसैन, ज्ञानी जैल सिंह, डॉ. मनमोहन सिंह जैसे लोग टॉप पद पर रहे। ब्रिटेन आज हमसे सीख रहा है। हमें सुनक से कोई सीख लेने की जरूरत नहीं है। ओवैसी जैसे नेता खुद अपने अंदर झांकें जो खुद एक कौम की पार्टी बनकर काम करते हैं।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बारे में क्या ख्याल है?
सारे कांग्रेसी आराम फरमा रहे हैं और राहुल गांधी को कन्याकुमारी से कश्मीर भेज दिया है। राहुल गांधी सिर्फ उसी राज्य में जा रहे हैं जहां थोड़ा आधार बचा है और जहां कुछ लोग मिल सकते हैं। लेकिन उनके नेता तो भारत तोड़ो वाला बयान दे रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल भी खुद को राष्ट्रीय विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं…
अरविंद केजरीवाल ने नोट पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर होने की जो मांग की है, उसका मतलब है कि गुजरात में उनका खाता नहीं खुलने वाला है। कभी बोलते थे कि लोकपाल से देश चलेगा, कभी इफ्तार की दावत में टोपी पहन कर फोटो बाहर भेजते थे, कभी कहते थे कि राम मंदिर की जगह अस्पताल बने। वह अपने दफ्तर से महात्मा गांधी का फोटो हटा रहे हैं। लगता है कि उन्हें महात्मा गांधी पसंद नहीं हैं। इसी कारण सारा प्रपंच रच रहे हैं। वह कट्टर ईमानदार नहीं कट्टर हिंदू बनने का नाटक रचना चाहते हैं। ढोंग की राजनीति की उम्र लंबी नहीं होती है। वह कभी विकल्प नहीं बनेंगे।