Muzaffarpur News: बिहार के इस गांव में पहली बार लगी किसी की सरकारी नौकरी, 75 साल बाद बजने लगे ढोल-नगाड़े

Muzaffarpur News: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का एक गांव ऐसा भी था जहां आजादी के बाद से ही किसी की भी सरकारी नौकरी नहीं लगी थी। लेकिन गांव के एक युवक ने इस दाग को मिटा दिया और सरकारी नौकरी हासिल की। सिर्फ एक नौकरी, जी हां सिर्फ एक नौकरी के चलते आज पूरे गांव में जश्न का माहौल है।

muzaffarpur boy

मुजफ्फरपुर: आजादी के सात दशक गुजर जाने के बाद किसी युवक के सरकारी नौकरी मिलने पर उसके गांव में जश्न मनाया जा रहा हो, तो इसे सुन आश्चर्य होगा। लेकिन, बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में यह देखने को मिला। दरअसल, इस गांव में अब तक किसी को भी सरकारी नौकरी नहीं मिली थी। आज पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हो और मुजफ्फरपुर जिले के कटरा प्रखंड के शिवदासपुर पंचायत के सोहागपुर गांव में आज तक किसी को सरकारी नौकरी नसीब नहीं हो पाई थी, लेकिन इस कलंक को गांव के राकेश कुमार ने धो दिया।

75 साल बाद गांव में पहली सरकारी नौकरी
राकेश अब सरकारी शिक्षक बन गए हैं और जब यह खबर गांव में पहुंची तो लोग खुशी से झूम गए। करीब 3000 की आबादी वाले इस गांव में आज तक किसी को सरकारी सेवक बनने की सफलता हाथ नहीं लगी थी, लेकिन गांव के राम लाल चौधरी के पुत्र राकेश कुमार ने अपनी सच्ची लगन और मेहनत के बदौलत मुकाम को हासिल कर दिखाया।

किराना दुकान चलाकर पिता ने पढ़ाया
राकेश के पिता एक किराना व्यवसाई थे जो गांव में किराना का दुकान चलाकर अपने बच्चे को पढ़ाया लिखाया था। राकेश शुरूआती शिक्षा अपने गांव में हासिल करने के बाद एमकॉम की पढ़ाई दरभंगा यूनिवर्सिटी से की और उसके बाद राजस्थान से बीएड की परीक्षा पास की। इसके बाद बिहार में शिक्षक पात्रता परीक्षा हुई और उसमें वह सफलता हासिल कर अपने मुकाम तक पहुंच गया।

गांव के लोगों ने मनाया जश्न
इस सफलता की बात सुनकर स्थानीय लोग काफी खुश हैं। गांव वालों का कहना है कि आजादी के बाद यह पहला लड़का है जो अपनी मेहनत और लगन के बदौलत अपने गांव का नाम रोशन किया है। ग्रामीण कहते हैं कि अब जरूरत है गांव के युवाओं और बच्चों को राकेश से सीख लेने की और सच्ची लगन और मेहनत से पढ़ाई करने की अगर सच्ची लगन और निष्ठा से बच्चे लगे रहे तो उनको मुकाम जरूर मिलेगा। इधर, पंचायत की मुखिया ममता चौधरी ने आईएएनएस को बताया कि आज राकेश स्थानीय छात्रों के लिए उदाहरण बन गया है। उन्होंने कहा कि जल्द राकेश को सम्मानित किया जाएगा। राकेश की नियुक्ति जिले के तुर्की के प्राथमिक विद्यालय बरकुरवा में हुई है। जहां वे अब बच्चों को शिक्षा देंगे।