Nag Panchami 2022 Date : नाग पंचमी का पर्व 2 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा। नागों को पंचमी तिथि बहुत ही प्रिय है। लेकिन, क्या आप जानते हैं नागों की उत्पत्ति कैसे हुई क्यों उनकी अपनी ही माता ने उन्हें मृत्यु का श्राप दिया था। आइए जानते हैं नांगों के बारे में कुछ बेहद ही रोचक बातें।
कैसे हुई सांपों की उत्पत्ति
भविष्य पुराण के अनुसार, महर्षि कश्यप की कई पत्नियां थी जिनमें से एक नाम कद्रू और दूसरी का नाम विनिता था। एक बार महर्षि कश्यप ने अपनी पत्नी कद्रू की पत्नी को प्रसन्न होकर उन्हें तेजस्वी नागों की माता बनने का वरदान दिया। इस तरह हई सांपों की उत्पत्ति हुई। वहीं, ऋषि कश्यप की दूसरी पत्नी विनिता। पक्षीराज गरुड़ की माता बनी। कद्रू और विनिता के बीच हमेशा ही ईर्ष्या रहती थी।
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सांपों को अपनी ही माता ने क्यों दिया श्राप
समुद्र मंथन के दौरान एक सफेद रंग का बहुत ही सुंदर घोड़ा प्रकट हुआ था। जिसे देखकर विनिता से कहा कि देखो कितना सुंदर घोड़ा है। कद्रू विनिता को नीचा दिखाना चाहती थी। कद्रू बोली इस घोड़े की पुंछ काली है। फिर कद्रू ने नांगों के पास जाकर उनसे कहा कि तुम इस घोड़े पर लिपट जाओ और ताकी उसकी पूंछ काली प्रकट हो। नागों ने ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि हम सत्य के मार्ग पर ही चलेंगे। इससे क्रोधित होकर कद्रू ने अपने पुत्रों को ही श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि पांडव वंश में राजा जनमेजय होंगे जो नागों का विनाश करने के लिए
सर्प मेध यज्ञ करवाएंगे। उनके यज्ञ में जलकर तुम सभी मर जाओगे।
नागों को क्यों प्रिय है पंचमी तिथि
श्राप मिलने के बाद नाग पुत्र दुखी हुए और वह वासुकी नाग को आगे कर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। ब्रह्मा जी बोले चिंता मत करो। तुम्हारी एक बहन होगी जरत्कारु उनका विवाह जरत्कारु नाम के ऋषि से ही होगा। इन दोनों से आस्तिक नामक पुत्र उत्पन्न होगा। वह इस यज्ञ को रोकेगा और नागों की रक्षा करेगा। जिसे सुनकर नाग बहुत प्रसन्न हुए। समय आने पर राजा जनमेजय ने राजा परीक्षित की सर्प द्वारा मृत्यु होने पर नाग वंश का नाश करने के लिए सर्प मेध यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में लाखों करोड़ों नाग जलकर भस्म होने लगे जब आस्तिक मुनि वहां पहुंचे और उन्होंने नाग यज्ञ को रुकवाया और नागों के ऊपर ठंडा दूध डाला। जिससे नागों के शरीर को ठंडक मिली साथ ही धान का लावा रखा। इससे नागों की जीवन बच गया। नागों की अस्तित्व धरती पर रह गया। जिस दिन ब्रह्माजी ने नागों के बचने का वरदान दिया था।जिस दिन ब्रह्मा जी ने नागों के बचने का वरदान दिया था। उस दिन पंचमी तिथि थी। जिस दिन आस्तिक मुनि ने यज्ञ को रुकवाकर नागों को बचाया उस दिन भी पंचमी तिथि थी।
नागों ने दिया यह वरदान
नागों ने वचन दिया की जो भी व्यक्ति आस्तिक मुनि का नाम लेगा वहां से वह बिना किसी को नुकसान पहुंचाए चले जाएंगे। साथ ही नाग पंचमी के दिन जो व्यक्ति लकड़ी, मिट्टी, गोबर से नाग बनाकर उन्हें फूल, दूध धान लावा से पूजे करेंगे उनको और उनके परिवार को नाग भय नहीं रहेगा। इस तरह नागपंचमी व्रत पूजा की शुरुआत हुई और नागों को पंचमी तिथि प्रिय हुआ।