होनहार विद्वान के होत चिकने पात, ये बात शहर के कारोबारी संजय कुमार गुप्ता के 21 वर्षीय बेटे आलेक गुप्ता ने सार्थक कर दिखाई है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) के 13वें दीक्षांत समारोह में कंप्यूूटर साईंस में बीटेक की पढ़ाई में कांस्य पदक हासिल किया है। यही नहीं, होनहार बेटा अपने माता-पिता व छोटे भाई के लिए दोहरी खुशी भी लेकर आया है।
कैंपस प्लेसमेंट से आलेक का चयन एक बहुराष्ट्रीय कंपनी (Multination Company) में आकर्षक पैकेज पर भी हुआ है। हमीरपुर से कांस्य पदक लेकर आलेक जब बीती देर रात घर पहुंचा तो परिवार के चेहरे पर खुशी की लहर थी। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के धनी आलेक गुप्ता ने 2015 में एमबीएम न्यूज नेटवर्क द्वारा आयोजित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता (MBM Quiz Contest) में भी 25 हजार रुपए की नकद राशि जीती थी।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत के दौरान आलेक ने सात साल पहले आयोजित इस प्रतियोगिता की यादों को भी ताजा किया। कंप्यूटर साईंस में बीटेक (B.Tech in Computer Science) की पढ़ाई करने से पहले आलेक गुप्ता ने एलकेजी से 12वीं तक की पढ़ाई डीएवी से ही पूरी की। हालांकि, अल्प समय के लिए आलेक ने जेईई (JEE) की तैयारी के लिए निजी कोचिंग संस्थानों से टिप्स भी लिए।
मौजूदा में वो एमएनसी (MNC) में बतौर साफ्टवेयर इंजीनियर (software engineer) शानदार पैकेज ले रहा है। खास बातचीत के दौरान आलेक ने ये भी बताया कि बचपन से ही कंप्यूटर इंजीनियर बनने का जुनून था। जेईई (JEE) में संतोषजनक स्कोर मिलने से मनचाहे ट्रेड में दाखिला हासिल हुआ था। कंप्यूटर साइंस की ब्रांच में तृतीय स्थान मिलने पर शनिवार को आयोजित दीक्षांत समारोह में रजत पदक हासिल हुआ।
गौरतलब है कि एनआईटी हमीरपुर के प्लेसमेंट सैल ने 2021-22 में लगभग 160 कंपनियों की मेजबानी की थी। विद्यार्थियों को वर्ल्ड फेम एमएनसी कंपनियों में शानदार पैकेज ऑफर हुए थे। कई छात्रों ने सालाना एक करोड़ का पैकेज पाने में भी सफलता पाई थी।
होनहार बेटे की सफलता में मां मीनू गुप्ता का भी बड़ा योगदान है, जबकि एसडी काॅलेज में बी काॅम ऑनर्स की पढ़ाई कर रहे वैभव के लिए आलेक प्रेरणा बना है। पिता संजय कुमार गुप्ता ने कहा कि बेटे ने बचपन से ही अपने तरीके से पढ़ाई की। उन्होंने कहा कि ऐसी उम्मीद है कि वो जीवन में आगे भी सफलता के मुकाम हासिल करेगा।
गौरतलब है कि परिवार की पृष्ठभूमि कारोबार से जुड़ी हुई है। स्कूली पढ़ाई के दौरान एक बार पिता के मन में ये विचार भी कौंधा था कि आलेक को बिजनेस सौंप दिया जाए, लेकिन 14-15 साल के बच्चे के जहन में उस समय कुछ हटकर करने का जज्बा पैदा हो चुका था, इस बात को पिता ने भी भांप लिया। लिहाजा, उसे वो सब कुछ करने दिया जो वो चाहता था।