#Nahan : रंगमंच में इबारत लिखेगा शहर, 8 से स्टेपको सोसायटी का राष्ट्रीय नाट्य उत्सव…

नाहन, 6 अक्तूबर : 1621 में बसे ऐतिहासिक शहर के एसएफडीए हाॅल (SFDA Hall) 8 से 10 अक्तूबर तक रंगमंच (Theatre)का एक शानदार गवाह बनने जा रहा है। हालांकि, शहर में नाटकों का मंचन पहले भी होता रहा है, लेकिन शायद एक साथ देश के 6 राज्यों के नामचीन नाटकों (famous plays) का प्रदर्शन पहली बार होगा।

दरअसल, रंगमंच को प्रोत्साहित करने में जुटी ‘स्टेपको सोसायटी’ (‘Stepco Society’) द्वारा 8 से 10 अक्तूबर तक स्व. कुंवर शूरवीर सिंह की स्मृति में राष्ट्रीय नाट्य उत्सव (C का आयोजन किया जा रहा है। बुधवार को सोसायटी के अध्यक्ष रजित सिंह कंवर, महासचिव वसीम खान व संयुक्त सचिव राजीव सोढा ने सिरमौर प्रेस क्लब में आयोजित संयुक्त पत्रकारवार्ता में बताया कि उत्सव में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार व नामी निर्देशक हिस्सा लेने नाहन आ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि 8.10 तक अक्तूबर से दो नाटकों का मंचन रोजाना शाम 4ः30 बजे से शुरू होगा। 8 अक्तूबर को अलवर व जमशेदपुर के नाटक होंगे, जबकि 9 अक्तूबर को भोपाल व नाहन के नाटकों का प्रदर्शन होगा। अंतिम दिन कुल्लू व दिल्ली की टीम नाटकों का मंचन करेगी।

गौरतलब है कि रंगमंच के क्षेत्र में स्टेपको संस्था समूचे सिरमौर में एकमात्र ही है। इसके अध्यक्ष रजित सिंह कंवर ऑल इंडिया थियेटर काउंसिल (All India Theater Council) के राष्ट्रीय सचिव भी हैं। अध्यक्ष ने बताया कि नाटक का मंचन आसान नहीं होता। इसमें खर्चा तो होता ही है, साथ ही कई अन्य चुनौतियां भी होती हैं। उनका कहना था कि देश के ख्याति प्राप्त नाटक को लाइव देखने का अवसर कम ही मिलता है।

वैसे तो नाटक को देखने के लिए बड़े शहरों में टिकट भी खरीदना पड़ता है, लेकिन संस्था द्वारा रंगमंच के प्रेमियों को साक्षी बनने की निशुल्क सुविधा प्रदान की गई है। उनका कहना था कि रंगमंच के कलाकारों को लाना आसान  नहीं होता, लेकिन खुशी की बात ये है कि आपसी मित्रता व प्रेम की खातिर बड़े कलाकार नाहन में मंचन के लिए आ रहे हैं। नाटकों को समय पर शुरू करना रंगमंच की संस्कृति है।

उन्होंने कहा कि रंगमंच की तुलना विजुअल से नहीं की जा सकती, क्योंकि जहां विजुअल में रिटेक के अवसर होते हैं, वहीं नाटक में कलाकार के पास गलती की मामूली गुंजाइश भी नहीं होती। रजित ने उम्मीद जताई कि आयोजन में शहर का पूर्ण सहयोग मिलेगा। उन्होंने कहा कि व्यस्तता की भागदौड़ में ही नाटक के लिए एक घंटे का समय आसानी से निकाला जा सकता है। नाटक का अवलोकन जीवन पर भी सकारात्मक असर डालता है।