येरेवन में मौजूद अमेरिकी दूतावास ने कहा कि नैन्सी पेलोसी अर्मीनियाई प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन के साथ एक बैठक में शामिल होगी। पेलोसी ने शुक्रवार को बर्लिन में कहा कि उनकी आर्मीनिया यात्रा मानवाधिकारों और प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा और मूल्य का सम्मान करने के बारे में है। पेलोसी के साथ आने वाले अन्य अमेरिकी विधायकों में हाउस एनर्जी एंड कॉमर्स कमेटी के अध्यक्ष फ्रैंक पालोन और कांग्रेस की महिला जैकी स्पीयर और अन्ना एशू शामिल हैं।
आर्मीनिया में नैन्सी पेलोसी के दौरे को लेकर उत्साह
येरेवन में मौजूद अमेरिकी दूतावास ने कहा कि नैन्सी पेलोसी अर्मीनियाई प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन के साथ एक बैठक में शामिल होगी। पेलोसी ने शुक्रवार को बर्लिन में कहा कि उनकी आर्मीनिया यात्रा मानवाधिकारों और प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा और मूल्य का सम्मान करने के बारे में है। पेलोसी के साथ आने वाले अन्य अमेरिकी विधायकों में हाउस एनर्जी एंड कॉमर्स कमेटी के अध्यक्ष फ्रैंक पालोन और कांग्रेस की महिला जैकी स्पीयर और अन्ना एशू शामिल हैं। आर्मीनिया के स्पीकर एलेन सिमोनियन ने कहा कि पेलोसी की तीन दिवसीय यात्रा हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक बड़ी भूमिका निभाएगी।
दो युद्ध लड़ चुके हैं आर्मीनिया-अजरबैजान, रूस करवाता है संघर्ष विराम
आर्मीनिया और अजरबैजान ने दो युद्ध लड़े हैं – 2020 में और 1990 के दशक में। दोनों युद्ध आर्मीनियाई-आबादी वाले क्षेत्र नागोर्नो-कराबाख पर कब्जे को लेकर लड़े गए। 2020 के युद्ध ने दोनों पक्षों के 6,500 से अधिक सैनिकों की मौत हुई थी। तब रूस के हस्तक्षेप के बाद दोनों ही देश शांति समझौते पर सहमत हुए थे। इस समझौते के तहत, आर्मीनिया ने दशकों से नियंत्रित नागोर्नो-कराबाख का बड़ा इलाका अजरबैजान को सौंप दिया। जिसके बाद रूस ने इस नाजुक संघर्ष की देखरेख के लिए लगभग 2,000 रूसी शांति सैनिकों को तैनात किया।
पेलोसी का आर्मीनिया दौरा रूस के लिए बड़ा झटका कैसे
रूस आर्मीनिया का एक सैन्य सहयोगी है जो अजरबैजान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के लिए भी प्रयास करता है। ऐसे में आर्मीनिया के साथ अमेरिका के बढ़ते संबंध रूस के लिए चिंता की बात हो सकती है। इतना ही नहीं, अगर अमेरिका आर्मीनिया या दूसरे मध्य एशियाई देशों में अपनी मौजूदगी बढ़ाता है तो इसे भी रूस के लिए बड़ा झटका माना जा सकता है। अजरबैजान पहले से ही तुर्की और इजरायल का बड़ा सहयोगी है। इजरायल तो अमेरिका की कही हर बात को मानता है। ऐसे में वह जब चाहे तब अजरबैजान पर दबाव बनाकर आर्मीनिया पर हमले को रोक सकता है।