Harmohan Singh Yadav: सोमवार को चौधरी हरमोहन सिंह यादव की पुण्यतिथि थी। हरमोहन सिंह यादव एक समय में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबियों में से एक थे। लेकिन अब उनके परिवार की पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी से नजदीकी देखी जा सकती है।
मेहरबान सिंह का पुरवा कानपुर शहर से कई किमी दूर है। आधा गांव, आधा शहर। समाजवादी पार्टी की सरकार में गांव जाने वाले रास्ते मुलायम और अखिलेश यादव के पोस्टरों-बैनरों से पटे रहते थे, लेकिन सोमवार को सब कुछ बदल हुआ था। हर रास्ते पर मोदी छाए हुए थे। हर पोस्टर, होर्डिंग में यादव महासभा से जुड़े लोगों के नाम, फोटो थे।
महाना भी पहुंचे
कार्यक्रम में पूर्व उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा आए, लेकिन सरप्राइज एंट्री हुई विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की। महाना को देख सुखराम का चेहरा खिल गया। दिनेश शर्मा ने कह दिया, पूरे राष्ट्र को एकजुट करने के मोदीजी के प्रयास में यदुवंश की सहभागिता सुनिश्चित हो सके, इसकी आधारशिला तैयार हो गई है। बनारस के रामचरण यादव ने मंच से हर-हर महादेव का उद्घोष किया तो लोगों ने जवाब में हर-हर महादेव कहा। सब कुछ साफ हो गया था। पीएम मोदी को ऑनलाइन कनेक्ट होने में देर हुई तो लोग बेचैन होने लगे। स्क्रीन पर पीएम मोदी जुड़े तो जोरदार नारेबाजी हुई।
एक बार गांव आइए मोदीजी
पीएम का स्वागत भाषण सुखराम के बेटे मोहित यादव ने दिया। मोहित 2021 में ही बीजेपी में शामिल हो चुके थे। प्रधानमंत्री ने स्व. हरमोहन सिंह यादव के योगदान को याद किया तो भीड़ ने फिर खुशी जताई। वह बोले, मेहरबान सिंह का पुरवा ने यूपी की राजनीति को दिशा दी। चौधरी हरमोहन ने लोहिया के संकल्प को आगे बढ़ाया था। हरमोहन सिंह यादव एक आदर्श हैं।
गरीबों, दलितों और पिछड़ों के लिए चल रही सरकारी योजनाओं को गिनाकर मोदी ने कहा कि हम सामाजिक न्याय की जमीन मजबूत कर रहे हैं। पीएम ने अपने भाषण में एक बार मोहित का नाम लिया तो समर्थक खुशी से झूम उठे। सुखराम ने सबसे अंत में कहा, मोदीजी गांव के लोगों को मजा नहीं आया। इस बार आप कानपुर आएं तो एक बार हमारे गांव जरूर आएं और लोगों को संबोधित करें। इस पर मोदी मुस्कुरा उठे।
असर तो होगा
विश्लेषक कहते हैं कि सुखराम सिंह यादव भले ही कोई सीधा चुनाव नहीं जीते, लेकिन बात इतनी सी नहीं है। कभी अपना दल या सुभासपा जैसी पार्टियों की सियासी हैसियत ज्यादा नहीं होती थी, लेकिन अब ये पार्टियां असर और पकड़ दोनों रखती हैं। बेशक, सुखराम ने कोई नई पार्टी नहीं बनाई है, लेकिन यह कार्यक्रम यादव समाज पर मनोवैज्ञानिक असर जरूर डालेगा। यादव समाज के युवा अब अलग सोच रहे हैं। मोदी का व्यक्तित्व भारी है। बीजेपी इस मिशन पर बढ़ती रही तो 2024 में समाजवादी पार्टी को इसका असर जरूर दिखेगा।