हिन्दुस्तानियों पर इल्ज़ाम लगाया जाता है कि वो अपने खिलाड़ियों की इज़्ज़त करना नहीं जानते. गरीबी में, छोटे-मोटे काम करके गुज़ारा करते कई खिलाड़ियों की कहानियां हमारे सामने आई हैं. कुछ दिनों पहले एक राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाज़, दीप्ति कुमारी की कहानी सामने आई थी. कई पदक और ट्रॉफ़ीज़ जीतने वाली दीप्ति को चाय बेचने पर मजबूर हो गई थी. दीप्ति को देश के कोने-कोने से मदद भी मिली थी. अब खबर आई है कि प्रशासन ने दीप्ति का चाय का स्टॉल तोड़ दिया है.
प्रशासन ने तोड़ा दीप्ती का स्टॉल
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दीप्ति की मां ने कर्ज़ लेकर दीप्ति के लिए धनुष खरीदा था. चाय बेचकर दीप्ति वही कर्ज़ चुका रही थी. The New Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, G20 सम्मेलन के लिए म्युनिसिपाल्टी वालों ने दीप्ति का स्टॉल तोड़ दिया. दीप्ति ने कहा कि उन्हें ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए फिर नई शुरुआत करनी पड़ेगी.
दीप्ति रोती-गिड़गिड़ाती रही, अधिकारियों ने नहीं सुनी
रांचि म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के लोगों ने दीप्ति का सारा सामना ज़ब्त कर लिया और स्टॉल हटा दिया. दीप्ति ने कहा, ‘मैं उनके सामने रोने लगी तब उन्होंने मुझे सारा समान हटाने के लिए दो घंटे का समय दिया. मैंने रांची में कोई और जगह देने की गुज़ारिश की ताकि मैं स्टॉल चला सकूं और कर्ज़ चुका सकूं लेकिन उन्होंने एक न सुनी.’
दीप्ति ने कहा कि वो वापस अपने घर लोहरदग्गा नहीं जा सकती. स्टॉल का सारा सामान उन्होंने अपने किराये के मकान में रखा है.
रांची की मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि 20-21 मार्च को G20 सम्मेलन होने वाला है और इसलिए अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा रहा है. लकड़ा ने कहा कि वो RMC CEO से दीप्ति के मामले की जांच करने को कहेंगी. इसके साथ ही उन्होंने सारा सामान लौटाने का भी आश्वासन दिया.
100 से ज़्यादा मेडल जीत चुकी हैं
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दीप्ति राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं. गौरतलब है कि विश्व कप खेलने का दीप्ति का सपना टूट गया और वो सड़कों पर चाय बेचकर गुज़ारा करने पर मजबूर हो गई. कर्ज़ लेकर उन्होंने 4.5 लाख का धनुष खरीदा था और कर्ज़ उतारने के लिए उन्हें चाय की दुकान पर बैठना पड़ा. धनुष टूटने की वजह से साल 2013 में विश्व कप के ट्रायल में वो हिस्सा नहीं ले सकीं. दीप्ति के नाम सौ से ज़्यादा मेडल्स और ट्रॉफ़ीज़ हैं.
देश के कोने-कोने से मिली थी मदद
दीप्ति की कहानी जानने के बाद देश के कोने-कोने से लोग उनकी मदद करने के लिए आगे आए. केरल के व्यापारी, मुकेश जैन ने दीप्ति के लिए 11,000 रुपये भेजे. चेन्नई की शुभाश्री ने भी मदद करने का वादा किया.
ETV Bharat की रिपोर्ट के अनुसार, कई सामाजिक संगठनों ने भी दीप्ति की मदद करने की बात की है. उत्तराखंड तलवारबाज़ी संघ के अक्ष्यक्ष सुरजीत सिंह ने कहा कि वो दीप्ति की हर संभव मदद करेंगे. दीप्ति को नौकरी का भी आश्वासन दिया गया है.
दीप्ति का कहना है कि जब लोगों की मदद मिली तब आशा की किरण नज़र आई. गौरतलब है कि ये तीरंदाज़ी के इक्वपमेंट्स लेने के लिए काफ़ी नहीं थे. चाय का स्टॉल हटने के बाद दीप्ति फिर से हताश हो गई हैं.