National Games 2022: मैच देखने आ रहे कोच की सड़क हादसे में मौत, बॉक्सर शिष्य ने गोल्ड जीतकर दी श्रद्धांजलि

Nikhil Dubey boxer: लगता है कि किस्मत निखिल से अक्सर रूंठी ही रहती है। कोरोना की पहली लहर में निखिल ने अपने पिता को खो दिया। अब वो कोच भी सड़क हादसे में गुजर गया, जो पिता की ही तरह हर मुश्किल मौके पर साथ देता था।

nikhil dubey dhananjay tiwary

गांधीनगर: महाराष्ट्र के बॉक्सर निखिल दुबे ने सोमवार को 36वें राष्ट्रीय खेलों में क्वार्टर फाइनल बाउट जीतने के बाद अपने कोच धनंजय तिवारी को फोन किया। सेमीफाइनल मुकाबले में अपने शिष्य की बाउट देखने के लिए उत्साहित कोच धनंजय अपनी बाइक से ही मुंबई से गांधीनगर के सफर पर निकल पड़े, लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। किसे पता था कि यह उनकी जिंदगी की आखिरी राइड होगी, जिस वक्त बॉक्सर निखिल सर्विसेज के सुमित कुंडू के खिलाफ 75 किग्रा वेट कैटेगरी का सेमीफाइनल खेल रहे थे, उस वक्त उनके कोच धनंजय जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे थे। बॉक्सर निखिल तो अपना मैच जीत गए, लेकिन उधर रोड एक्सिडेंट में उनके कोच धनंजय हार गए।

निखिल ने पोडियम में खड़े होकर दी श्रद्धांजलि
अपने कोच की मौत की खबर के बाद निखिल दुबे न सिर्फ फाइनल के लिए उतरे बल्कि गोल्ड मेडल भी जीता। पोडियम में जब वह सबसे बीच में खड़े हुए थे तो आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। दोनों हाथों को जोड़कर आसमान की तरह देखते हुए वह शायद अपने कोच धनंजय तिवारी को याद कर रहे थे। उन्हें धन्यवाद दे रहे थे। गोल्ड मेडल बाउट के बाद निखिल कहते हैं, ‘रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया। उनका सपना था कि मैं आज किसी तरह अपना मुकाबला जीतूं और स्वर्ण पदक के लिए लड़ूं। मैंने कल ही धनंजय सर से बात की थी। मैंने उनसे कहा कि मेरा सुमित कुंडू के साथ मुकाबला है। उन्होंने मुझसे कहा कि वह आ रहे हैं।उनकी मौत मेरे लिए एक बड़ा सदमा है। एक समय मैं सोच रहा था कि मैं कैसे लड़ सकता हूं, लेकिन वह यही चाहते थे और उन्हें मुझसे उम्मीद थी इसलिए मुझे लड़ना पड़ा।’
लॉन्ग ड्राइव के शौकीन थे कोच धनंजय तिवारी

नेशनल गेम्स खत्म होते ही निखिल अपने दिवंगत कोच के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सीधे मुंबई जाएंगे। निखिल ने कहा, ‘उन्हें ड्राइविंग का बहुत शौक था। उनके पास एक रॉयल एनफील्ड थी और वह नियमित रूप से उस पर लंबी दूरी तय किया करते थे। वह पहले भी कई बार गोवा की यात्रा कर चुके थे। वह तीसरी लेन में थे और अचानक एक ट्रैक्टर पहली लेन से तीसरी लेन में आ गया।’

कोरोना की पहली लहर में पिता को खो दिया था

पिछले आठ वर्षों से निखिल को न केवल धनंजय ने अपने क्लब में जगह दी बल्कि उनके खर्चें का भी ध्यान रखा क्योंकि उनके परिवार की स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी। निखिल ने कहा, ‘जब मैंने शुरूआत की थी तब वह मेरे सीनियर थे। उन्होंने न केवल रिंग में बल्कि मेरे जीवन में भी मेरा बहुत साथ दिया क्योंकि मेरे परिवार की स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी। वह 8 साल से मेरे साथ थे। मैं सर के साथ मुंबई के वेस्ट मलाड में ट्रेनिंग करता था।’ वैसे यह पहली बार नहीं है कि 22 वर्षीय निखिल को जिंदगी में ऐसा सदमा लगा हो। उन्होंने कोविड-19 महामारी की पहली लहर में अपने पिता प्रेम नाथ दुबे को खो दिया। साल 2020 में निखिल की एक सर्जरी हुई थी, जिससे वह कुछ साल तक रिंग से बाहर रहे। दोबारा लौटने पर, वह राष्ट्रीय चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में सुमित से हार गए और मंगलवार को हार का बदला लेना चाहते थे।