भोपाल. स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसजीएफआई) में मची खींचतान का असर खेलों पर भी पड़ रहा है. खेलों की नर्सरी यानी स्कूली गेम्स में इस साल राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं मिल सकेगा. वजह है खेल मंत्रालय द्वारा एसजीएफआई की मान्यता पर विवाद.एसजीएफआई के मौजूदा हालात को देखते हुए मध्यप्रदेश समेत सभी राज्यों ने नेशलन गेम्स की बजाय सिर्फ स्टेट लेवल तक ही खेलों का आयोजन करने का निर्णय लिया है.
यानी सभी राज्य अपने-अपने प्रदेश में स्टेट लेवल टूर्नामेंट करके वहीं खत्म कर देंगे. मप्र लोक शिक्षण संचालनालय ने भी दो दिन पहले शेड्यूल तैयार किया है. इसके तहत मप्र में पहले डिस्ट्रिक्ट और फिर संभाग और बाद में स्टेट टूर्नामेंट होगा. स्कूल गेम्स अगस्त माह में शुरू हो जाएंगे.
स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया नेखेलों की संख्या भी सीमित, अब सिर्फ ओलंपिक खेल ही
करीब 85 खेलों को मान्यता दे रखी है. लिहाजा, हर साल 85 खेल आयोजित होते रहे हैं. लेकिन इस बार मध्यप्रदेश ने खेलों की संख्या सीमित कर दी है. मप्र जो स्टेट लेवल तक टूर्नामेंट करेगा उसमें एक-दो खेलों को छोड़कर वो ही खेल होंगे जो ओलिंपिक, एशियाड या नेशनल गेम्स में हैं. इनकी संख्या 30 से 35 के बीच होगी
कोरोना के कारण बंद थे स्कूल गेम्स
दो साल से कोरोना के कारण स्कूल गेम्स बंद पड़े थे. अब चालू भी हो रहे हैं तो आधे-अधूरे और सिर्फ स्टेट लेवल तक. लोक शिक्षण संचालनालय के एडिशनल डायरेक्टर धीरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि मध्यप्रदेश के स्कूलों के लिए लोकशिक्षण संचालनालय के पोर्टल शेड्यूल अपलोड हो गया है. नेशनल गेम्स होंगे या नहीं इसकी जानकारी एसजीएफआई ही बता सकता है.
यह है एसजीएफआई का विवाद
दिसंबर 2017 में एडिलेड में अनधिकृत पैसिफिक स्कूल गेम्स के दौरान एक 15 वर्षीय फुटबॉलर निशा नेगी की मौत के बाद से ही एसजीएफआई पर सवाल उठ रहे थे. यही नहीं, इस विवाद के बाद एसजीएफआई दो गुटों में बंट गया था. फरवरी 2020 में खेल मंत्रालय ने विभिन्न शिकायतों के आधार पर एसजीएफआई की मान्यता रद्द कर दी थी. तब से लेकर दो बार चुनाव हो चुके हैं. इनमें दोनों गुटों में वर्चस्व की लड़ाई हुई लेकिन खेल मंत्रालय ने किसी के खिलाफ या पक्ष में कोई पत्र जारी नहीं किया है.