नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल: खैर के अवैध कटान के मामले में वन रक्षक निलंबित

कांगड़ा निवासी सुरजीत सिंह की ओर से लिखे पत्र के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कड़ा संज्ञान लिया है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि डाडासीबा स्थित रैल वन बीट में खैर के हजारों पेड़ों का अवैध कटान किया जा रहा है।

सांकेतिक तस्वीर

जिला कांगड़ा के डाडासीबा में खैर के पेड़ों के अवैध कटान मामले में वन रक्षक को निलंबित किया गया है। यह जानकारी संयुक्त कमेटी ने रिपोर्ट के माध्यम से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को दी है। ट्रिब्यूनल में इस मामले की सुनवाई आगामी 17 अक्तूबर को निर्धारित की गई है

रिपोर्ट में बताया गया कि देहरा वन खंड में कुल 5,569 खैर के पेड़ों को निजी भूमि से काटने की मंजूरी दी गई है। इनमें 31 मार्च, 2022 तक 1,512 पेड़ काटे जा चुके हैं। पत्र में लगाए गए आरोपों की जांच के दौरान रैल बीट से 21 पेड़ वन भूमि से काटे गए हैं। वन विभाग ने इसकी एवज में 3.13 लाख रुपये का जुर्माना वसूला है। इसके अतिरिक्त रैल बीट के वन रक्षक को अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में कोताही बरतने के लिए निलंबित किया जा चुका है।

कमेटी ने माना है कि पंजाब सीमा के साथ लगने के कारण खैर का अवैध व्यापार हो सकता है। हालांकि, वन विभाग की ओर से इसे रोकने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। वन विभाग के अधिकारी अपनी गाड़ियों में गश्त लगाते हैं। साथ लगते घने जंगल की तलाशी के लिए टीम का गठन किया गया है।

कांगड़ा निवासी सुरजीत सिंह की ओर से लिखे पत्र के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कड़ा संज्ञान लिया है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि डाडासीबा स्थित रैल वन बीट में खैर के हजारों पेड़ों का अवैध कटान किया जा रहा है। इनका व्यापार दूसरे प्रदेशों में किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के राजस्व को करोड़ों का नुकसान किया जा रहा है। ट्रिब्यूनल ने इन आरोपों की जांच के लिए संयुक्त कमेटी का गठन किया है।