मध्य प्रदेश से पर्यावरण प्रेमियों के लिए बहुत ही अच्छी ख़बर आई है. दो कीटविज्ञानशास्री (Entomologists) ने यहां तितली की एक प्रजाति, Xerces blue ढूंढ निकाली है. ख़ास बात ये है कि इस तितली को 1941 में लगभग 80 साल पहले विलुप्त घोषित कर दिया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार, गवर्मेंट एमएच कॉलेज ऑफ होम साइंस ऐंड साइंस फ़ोर वीमेन की श्रद्धा खापड़े और डॉ. अर्जुन शुक्ला ने बार्गी डैम के पास बीते 19 अक्टूबर को तितली की इस प्रजाति को देखा. इसके बाद इन दोनों को ये तितली 16 दिसंबर को दोबारा जबलपुर के देवताल में दिखी. दोनों स्पॉट्स के बीच कम से कम 35 किलोमीटर की दूरी है.
डॉ. शुक्ला ने बताया, ‘दोनों ही स्पॉट्स में मिली तितलियों को सावधानी से कलेक्ट करके प्रीज़र्व किया जा रहा है. इन स्पेसीमेन्स को फ़्लोरिडा म्यूज़ियम ऑफ़ नैचुरल हिस्ट्री में रखे संरक्षित स्पेसीमेन्स से कंपेयर किया जाएगा.’
दोनों कीटविज्ञानशास्त्रियों का कहना है कि जो तितलियां उन्होंने कलेक्ट की वो पैटर्न ऑफ़ विंग्स, रंग, आकार, एंटीना, साइज़ आदी मापदंडों के आधार पर Xerces blue तितली से मिलती-जुलती हैं.
विलुप्त होने से पहले आख़िरी बार इन तितलियों को सैन फ़्रैंसिस्को को सनसेट डिस्ट्रिक्ट में देखा गया था. ख़ास बात ये है कि इससे पहले इस प्रजाति को भारत में नहीं देखा गया. इस तितली को भी भारत में पाईं जाने वाली 1500 से ज़्यादा तितलियों की सूची में शामिल किया जाएगा.
माना जाता है कि शहरीकरण की वजह से विलुप्त होने वाली पहली तितली है Xerces blue. उम्मीद है इस बार इंसान इन्हें संरक्षित कर लेंगे.