Navratri 2022 9th Day, Maa Siddhidatri Vrat Pujan : नवरात्रि का आज नौवां दिन, क्यों भगवान शिव ने की थी मां सिद्धिदात्री की उपासना

शारदीय नवरात्रि का आज नौंवा और अंतिम दिन है। इस दिन मां दुर्गा के नौंवे स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां के इस स्वरूप की पूजा करने से भक्तों को सिद्ध और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां अपने भक्तों पर हमेशा कल्याण करती हैं। आइए जानते हैं मां सिद्धिदात्री के बारे में…

 

Maa-Siddhidatri

शारदीय नवरात्रि का आज अंतिम दिन है और इस दिन मां दुर्गा की 9वीं शक्ति सिद्धिदात्री देवी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी। मां दुर्गा के सिद्ध और मोक्ष देने वाले स्वरूप को मां सिद्धिदात्री कहा जाता है, इनकी पूजा करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि नवरात्रि के आठ दिन मां दुर्गा की आराधना करने वालों को मां नौंवे दिन सभी की मनोकामना पूरी करती हैं। देव, दानव, ऋषि-मुनि, यक्ष, किन्नर, साधक और गृहस्थ आश्रम में जीवनयापन करने वाले भक्त मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना करते हैं। इनकी पूजा करने से बल यश और धन की प्राप्ति होती है।

भगवान शिव को मां से ही मिली हैं सिद्धियां

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि मां सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इन्हीं देवी की कृपा से भगवान भोलेनाथ का आधा शरीर देवी का हुआ था। यह देवी भगवान विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान है। हाथों में कमल, शंख, गदा, सुदर्शन चक्र धारण किए हुए है। नवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए नवाहन का प्रसाद और नवरस युक्त भोजन और नौ प्रकार के फल फूल आदि का अर्पण करके नवरात्र का समापन करना चाहिए। सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं।

ये हैं आठ सिद्धियां
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं। भक्तों को ये सभी सिद्धियां देने के कारण ही देवी दुर्गा के इस स्वरूप को सिद्धिदात्री कहा जाता है। माता से सिद्धियां प्राप्त करने के लिए देव, गंदर्भ, ऋषि, असुर सभी इनकी पूजा करते हैं क्योंकि सभी देवी-देवताओं को मां के इसी स्वरूप से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई हैं। जो भक्त नवरात्रि के नौ दिन व्रत रखते हैं, उनका व्रत नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजने के बाद ही पूर्ण माना जाता है। मां की कृपा से सभी अटके कार्य पूरे हो जाते हैं और घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्घि बनी रहती है।

ऐसा है मां का स्वरूप

मां सिद्धिदात्री मां लक्ष्मी की तरह कमल पर विराजमान रहती हैं और ये चार भुजाओं से युक्त हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प और ऊपर वाले में शंख है। वहीं बाएं तरफ के नीचे वाले हाथ में गदा और ऊपर वाले हाथ में चक्र है। मां दुर्गा इस रूप में लाल वस्त्र धारण की हैं।

ऐसे करें कन्या पूजन
कन्या पूजन के लिए आ रही कन्याओं को माता का स्वरूप माना जाता है। कन्याएं जब घर आएं तब परिवार समेत माता रानी के जयकारे लगाने चाहिए। फिर उनके पैर धोकर आसान पर स्थान दें। इसके बाद सभी कन्याओं को लाल चुनरी दें और फिर मां भगवती को लगाया भोग कन्या पूजन के लिए कन्याओं को दें। भोग में पूरी, चना और हलवा आदि चीजें दी जाती हैं। कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोजन के लिए बुलाएं। बालक की बटुक भैरव और लंगूरा के रूप में पूजा की जाती है। भोजन कराने के बाद माथे पर रोली और अक्षत लगाएं और हाथ पर मौली बाधें। इसके बाद सभी कन्याओं की आरती उतारकर दक्षिणा दें और फिर अंत में सभी के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें।

मां सिद्धिदात्री पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर ही अन्य दिनों की तरह पूजा-अर्चना करें लेकिन इस दिन हवन का विशेष महत्व है। आज नवरात्रि का अंतिम दिन है इसलिए माता की पूजा करने से बाद सभी देवी-देवताओं की भी पूजा की जाएगी। लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां की मूर्ति रखें और फिर पूजा सामग्री अर्पित करके हवन करें। हवन करते समय सभी देवी-देवताओं को नाम की आहुति भी एकबार दे दें। हवन के समय दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक के साथ मां की आहुति दी जाती है। इसके साथ ही देवी के बीज मंत्र ‘ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:’ का 108 बार जप करते हुए आहुति दें और फिर आरती उतारें। इसके बाद पूरे परिवार के साथ माता के जयाकरे लगाएं और कन्य पूजन शुरू करें। मां सिद्धिदात्री को भोग में आप हलवा व चना का विशेष महत्व है। इसके साथ ही पूड़ी, खीर, नारियल और मौसमी फल भी अर्पित कर सकते हैं।

माता सिद्धिदात्री के मंत्र
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
जब भी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,
तेरी पूजा में तो न कोई विधि है
तू जगदम्बे दाती तू सर्वसिद्धि है!!
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,
तुम सब काज उसके कराती हो पूरे
कभी काम उसके रहे न अधूरे!!
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया,

सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली!!
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा,
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता!!