नवमी पूजा के साथ ही नवरात्रि का समापन भी हो जाएगा। इस दिन मां दुर्गा के नाम से हवन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन अगर कोई पूरे विधि विधान के साथ हवन करता है तो उसकी मनोकामना जल्द पूरी होती है। तो आइए जानते है नवमी हवन की पूजा विधि, मंत्र और सामग्री।
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नवरात्रि का समापन नवमी तिथि पर हो जाता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा के साथ साथ उनके नाम से हवन भी किया जाता है। कहते हैं हवन से संतुष्ट होकर देवी देवता भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। हवन करने से मन को पवित्र होता ही है साथ ही घर में भी सकारात्मकता बनी रहती है। मान्यताओं के अनुसार, नवमी तिथि के दिन हवन करने से बहुत ही शुभ फल मिलेगा। इस दिन जो हवन किया जाता है वह भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करता है।
हवन सामग्री दुर्गा पूजा
नवमी तिथि के दिन हवन करने के लिए सामग्री का विशेष ख्याल रखना चाहिए। पूरे विधि विधान के साथ इस हवन की तैयारी करनी चाहिए। नवमी तिथि के दिन पूजन के लिए धूप, जौ, नारियल,मखाना, काजू, किशमिश, अक्षत, शहद, घी, मूंगफली, नवग्रह की नौ समिधा (आक, ढाक, कत्था, चिरचिटा, पीपल, गूलर, जांड, दूब, कुशा)। इसके अलावा आम की लकड़ी, चंदन की लकड़ी, कपूर और रुई आदि सामग्री इकट्ठा कर लें।
कैसा करना चाहिए हवन की तैयारी
हवन के लिए हवन कुंड का होना बहुत जरुरी है। अगर आपके पास हवन कुंड नहीं है तो उसे बना लें।
जिस स्थान पर आपको हवन करना है पहले उसे गंगाजल से अच्छे से पवित्र कर लें।
इसके बाद सभी सामग्री को भी गंगाजल का छींटा मारकर पवित्र कर दें।
इसके बाद कुंड के चारों तरफ एक एक कुश रख दें। इसके बाद पूजा का संकल्प लें। हवन की शुरुआत से पहले आम की लकड़ी रखें और उन्हें कपूर से प्रज्वलित करें। इसके बाद सबसे पहले गणेशजी, पंच देवता, क्षेत्रपाल, नवग्रह, ग्राम देवता और नगर देवता के नाम से पहले आहुति दें।
इस मंत्र का करें जप
माता दुर्गा के हवन को प्रारंभ करने से पहले ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः’का जप करें। इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप करते हुए हवन कुंड में आहुति डालें। सबसे अंत में खीर और शहद मिलाकर हवन कुंड में आहुति दें। सबसे अंत में ब्रह्माजी और शिवजी के नाम से भी आहुति डालें। हवन की समाप्ति के बाद भगवान गणेश और मां दुर्गा की आरती करें। हवन समाप्त होने के बाद नारियल सुपारी अग्नि में जरूर डालें।
हवन की समाप्ति के बाद कन्याओं को भोजन जरुर कराएं।
हवन के बाद जरूर करें ये काम
शुरू या फिर आम की लकड़ी में घी लगाकर हवन कुंड की राख इस पर लगाएं और उस राख को माथे, गले पर और दोनों बाजुओं और हृदय के माध्यम में लगाएं। महिलाओं को केवल गले पर लगाना चाहिए। इस राख को लेकर किसी पोटली में बनाकर रख लें और इसको सुरक्षित स्थान पर या फिर अपने तिजोरी में रख लें। यदि कोई बीमार हो जाता है तो नजर दोष जैसे लगे तो इसका तिलक कर सकते हैं आपको फायदा होगा।