भारत में गंगा नदी सबसे महत्वपूर्ण नदी है. लगभग 2500 किलोमीटर में फैली गंगा भारत में केवल नदी नहीं देवताओं का वरदान मानी गई है. हम इसे मां कहते हैं, पूजते हैं, इसका आचमन करते हैं और घर में इसके पवित्र जल को सजो कर रखते हैं. गंगा के आंचल में न जाने कितनी सभ्यताएं फली-फूली हैं, करोड़ों लोग का जीवन-यापन इसी पर निर्भर है. जितना गंगा नदी समृद्ध है उतना ही इससे जुड़ा साहित्य विपुल है.
गंगा से जुड़े साहित्य को लोगों से रू-ब-रू कराने के लिए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास यानी नेशनल बुक ट्रस्ट ने “गंगा पुस्तक परिक्रमा” शुरू की है. इस परिक्रमा में एनबीटी की पुस्तक वैन पूरे देश में गंगा की यात्रा कर रही है. यह यात्रा उत्तराखंड से गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के हल्दिया बंदरगाह पहुंचकर संपन्न होगी.
राष्ट्रीय न्यास ट्रस्ट की जनसंपर्क अधिकारी तथा संपादक कंचन वांचू शर्मा ने बताया कि गंगा पुस्तक परिक्रमा 3 अक्टूबर को उत्तरकाशी के गंगोत्री से शुरू हुई थी. यह यात्रा ऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ, अलीगढ़, कानपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, छपरा, बेगुसराय, सुल्तानगंज, बहरामपुर और कोलकाता होते हुए 22 दिसंबर को हल्दिया पहुंचेगी. इस पूरी यात्रा में 17 बड़े शहरों का भ्रमण किया जाएगा.
कंचन वांचू शर्मा ने बताया कि परिक्रमा के दौरान सभी को पढ़ने के लिए पुस्तकें उपलब्ध करवाने के लिए साथ-साथ राष्ट्रीय पुस्तक न्यास प्रत्येक गंतव्य पर हर आयु वर्ग के लिए कथा वाचन सत्र, रचित साहित्य पर चर्चा, छात्रों के लिए चित्रकला और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, मैराथन और पुस्तक दान अभियान का भी आयोजन किया जाएगा.
भारत में गंगा के सांस्कृतिक महत्व और इसके संरक्षण की आवश्यकता पर अपने विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए नेशनल बुक ट्रस्ट साहित्यकारों, पर्यावरणविद, प्रोफेसर और शिक्षाविदों को भी आमंत्रित कर रहा है.
उत्तरकाशी से शुरू हुई परिक्रमा
राष्ट्रिय पुस्तक न्यास की गंगा पुस्तक परिक्रमा को गंगोत्री धाम से स्कूली बच्चों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस दौरान अटल राजकीय बालिका इंटर कॉलेज उत्तरकाशी में “जनमानस में गंगा” विषय पर निबंध प्रतियोगिता, गंगा प्रश्नोत्तरी प्रश्नमंच, पुस्तकों में गंगा जैसे आयोजन किए गए. प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा ने ‘हमारी संस्कृति में गंगा’ विषय पर व्याख्यान दिया. इस दौरान नाटक और नृत्य आदि का भी आयोजन किया गया.