साफ पर्यावरण और ग्लोबल वार्मिंग से बचने की कोशिश के तहत एक नई बात हो रही है. बहुत तेजी से ग्रीन हाउस और ग्रीन रूफ यानि ग्रीन छतों के बारे में सोचा जाने लगा है. कई जगह इसे हकीकत का रूप भी दिया जा रहा है. कई जगह ऐसे ग्रीन घर बन रहे हैं, जो सस्टेनेबल एनर्जी के मॉडल बन रहे हैं. अपने लिए खुद एनर्जी भी बना रहे हैं. पर्यावरण के काम आ रहे हैं और पानी भी बचा रहे हैं.
हम अगर ग्रीन रूफ यानि हरी भरी छतों की बात करे रहे हैं, तो कोई अनोखी बात नहीं कर रहे. यूरोप और अमेरिका में अब कोई नया घर बनवाता है तो घर पर ग्रीन रूफ का प्रावधान रखना नहीं भूलता. वैसे हकीकत ये भी है कि ये हरी भरी छतें होती इतनी फायदेमंद हैं कि नये ट्रेंड में बदल चुकी हैं. बड़े बड़े कारखानों की आड़ी तिरछी और सपाट छतों पर एक नई ग्रीन दुनिया जन्म ले रही है
लंदन को दुनियाभर में बहुत परंपरागत शहर माना जाता है. अंग्रेज एक खास तरह के आर्किटेक्चर को पसंद करते हैं. उनमें रहना पसंद करते हैं. एकदम सीधी ऊंचाई वाले दो से तीन मंजिल वाले घर. सपाट खिड़कियों और छत के ऊपर चिमनियों वाले। लेकिन अब इस शहर में छतें अलग अंदाज में बनने लगी हैं, जिन पर छोटे छोटे लान्स और ऊर्जा संचय का खास ख्याल रखा जाने लगा है.
शिकागो, स्टटगार्ट, सिंगापुर और टोक्यो जैसे शहरों की तस्वीर बदल रही है. बहुत तेजी से वहां ऊंची ऊंची बिल्डिंग की बालकनी और ऊपरी छतें ग्रीन होती जा रही हैं.पूरी दुनिया में छतें और बालकनी हरी-भरी हो रही हैं
शिकागो, स्टटगार्ट, सिंगापुर और टोक्यो जैसे शहरों की तस्वीर बदल रही है. बहुत तेजी से वहां ऊंची ऊंची बिल्डिंग की बालकनी और ऊपरी छतें ग्रीन होती जा रही हैं. अमेरिका और यूरोप में ये खासा कॉमन है. स्विटजरलैंड के बासेल शहर की तो खास विशेषता ही यही है कि यहां की हर छत ग्रीन छत है. अमेरिका के कुछ शहरों में तो बिल्डर्स को इस तरह के मकान बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो सही मायनों में ग्रीन हाउस कहलाएं.
यूरोप में ग्रीन रूफ लैब शुरू हो चुकी हैं
यूरोप में ग्रीन रूफ लैब बन चुकी हैं. जो बताती हैं कि आप जिस इलाके में मकान बना रहे हैं वहां के लिए आपको अपनी छत का पार्क कैसे तैयार करना चाहिए. उसकी मिट्टी कैसी होनी चाहिए. कैसे पेड़ पौधे लगाइये. साथ ही ये भी इनसे आप किस तरह वाटर हार्वेस्टिंग से लेकर ऊर्जा पैदा कर सकते हैं. इन भवनों में ग्रीन छतें तैयार करने के लिए खास तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.
कैसे तैयार होती है ग्रीन रूफ
छतों पर ग्रीन रूफ तैयार करने की प्रक्रिया में सबसे निचली लेयर हवायुक्त डेक की होती है. इसके ऊपर वाटरप्रुफ मेंबरेन की परत होती है, जिसके ऊपर खासतरह की स्टोरेज कपनुमा बैरियर मैट बिछाये जाते हैं, जो ऊपर से फैब्रिक फिल्टर से चिपके होते हैं.
इतनी परतों को एक के ऊपर एक लगाने का मकसद ड्रेनेज सिस्टम तैयार करना होता है. जो पानी को फिल्टर करके सबसे नीचे के डैक्स तक लाता है और फिर इन्हें शुद्ध रूप में स्टोरेज टैंक्स में इकट्टा कर लिया जाता है. ये ड्रेनेज सिस्टम केवल पानी को फिल्टर करने और नीचे स्टोरेज टंकियों तक ही पहुंचाने का काम नहीं करता बल्कि छत और मिट्टी के बीच इंसुलेटर का काम भी करता है.
इतना कुछ करने के बाद फिल्टर फैब्रिक पर मिट्टी की सतह बिछाकर उसपर घास और पौधे बो दिये जाते हैं. इस तरह तैयार हो जाती है ग्रीन रूफ.
ऐसी छतों से बिल्डिंग का तापमान कम हो जाता है. बिल्डिंग की कूलिंग कास्ट करीब बीस फीसदी तक कम हो जाती है. ये सजीव छतें पानी भी संचित करती हैं.
फायदा क्या है ऐसी छतों का
ऐसी छतों से बिल्डिंग का तापमान कम हो जाता है. बिल्डिंग की कूलिंग कास्ट करीब बीस फीसदी तक कम हो जाती है. आमतौर पर जब बरसात का पानी खाली छतों पर गिरता है तो उसकी बर्बादी ही होती है लेकिन सजीव छतें पानी को सोखती हैं, फिल्टर करती हैं. फिर इसे धीरे धीरे नीचे की निकालकर स्टोर कर देती हैं. इस प्रक्रिया से शहर के ड्रेनेज सिस्टम पर दबाव कम हो जाता है. उसकी जिंदगी बढ़ जाती है. साफ पानी भी मिलता है.
छतों पर सोलर पैनल भी
आमतौर पर इन छतों पर सोलर पैनल लगाने का रिवाज भी चल पड़ा है यानि इसका मतलब होता है कि खुद का काफी हद तक बिजली उत्पादन भी. अब आप खुद देख लीजिये कि ये छतें कितने काम की हैं. सब्जी भी उगाइये. पार्क का आनंद लीजिये. इको फ्रेंडली बनिये. प्रकृति के करीब रहिये. छत को अल्ट्रा वायलेट रेज से बचाइये. ऊर्जा की बचत करिये और साथ साथ वाटर हार्वेस्टिंग भी.