Neera Arya: वो गुमनाम सिपाही जिसने सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अपने ही पति को मार दिया था

एक लंबे संघर्ष के बाद भारत को आजादी मिली. महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, और भगत सिंह जैसे नाम इसके नायक बनकर उभरे. वहीं कुछ नाम गुमनामी के अंधेरे में कहीं खो से गए. स्वतंत्रता में उनके योगदान की कहानियां तो दूर, कई लोग उनका नाम तक नहीं जानते हैं. नीरा आर्य एक ऐसा ही नाम हैं. खेकड़ा की इस क्रांतिकारी बेटी ने भारत की आजादी के लिये अपना सब कुछ बलिदान कर दिया. यहां तक कि नेताजी सुभाष चंद बोस को बचाने के लिए अपने पति की हत्या तक कर दी थी. जेल में अंग्रेजों ने उनके स्तन काट दिए थे, फिर भी उन्होंने गद्दारी नहीं की थी.

नीरा आर्य कौन थी?

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नीरा का जन्म 5 मार्च, 1902 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के खेकड़ा में हुआ था. वो अपने इलाके के प्रतिष्ठित व्यवसायी सेठ छजूमल की बेटी थीं. जब नीरा आर्य का जन्म हुआ, उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन था. कहते हैं, छोटी उम्र से ही नीरा ने अपने देश के लिए आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी थी. उन्होंने कई स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लिया, और देश के प्रति अपने समर्पण को प्रदर्शित किया.

आजाद हिन्द फौज में रानी झांसी रेजिमेंट की गुमनाम सिपाही

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कम उम्र में नीरा के पिता ने उनकी शादी ‘श्रीकांत जयरंजन दास’ से कर दी थी. आमतौर पर विवाहित होने के बावजूद लोगों की सोच बदल जाती है, लेकिन नीरा ने अपने रास्ते को नहीं छोड़ा. जहां नीरा अंग्रेजों से अपने देश की आजादी चाहती थीं, वहीं उनके पति ब्रिटिश सरकार के लिए काम कर रहे थे. क्रांतिकारी गतिविधियों के दौरान नीरा ‘आजाद हिंद फौज’ के संपर्क में आईं और ‘झांसी रेजिमेंट’ का हिस्सा बन गईं.

सुभाषचंद्र बोस की जान बचाने के लिए पति को मार डाला

अंग्रेजों ने नीरा के पति जयरंजन दास को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करने और मौका मिलते ही उनकी हत्या करने की जिम्मेदारी थी. इसके लिए जयरंजन ने कई प्रयास भी किए लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. अपने पति के मिशन के बारे में जब मीरा को जानकारी हुई तो वो उनके खिलाफ हो गईं. एक दिन जब उनके पति ने सुभाष चंद्र बोस की हत्या करने का प्रयास किया, तो उन्होंने अपने पति को छुरा घोंप कर मार डाला, और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बचा लिया. इसके लिए उन्हें अंग्रेजों ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

यातनाएं झेली, स्तन काट दिए गए, लेकिन मुंह नहीं खोला

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कारावास के दौरान नीरा को यातनाएं सहनी पड़ीं. उन्हें अंडमान भेज दिया गया, जहां उन्हें छोटी सी कोठरी में रखा गया था. अंग्रेजों ने नीरा को लोहे की सख्त जंजीरों में बांध रखा था. उनके साथ लगातार बदसलूकी की गई. यहां तक की उन्हें ब्रेस्ट तक काट दिए थे. अंग्रेज नीरा से लगातार पूछते रहे कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस कहां हैं.

इतिहासकारों ने मुताबिक अगर नीरा सुभाष चंद्र बोस के बारे में जानकारी दे देतीं तो उन्हें जमानत मिल जाती, लेकिन नीरा ने अपना मुंह नहीं खोला. भारत की स्वतंत्रता के बाद, नीरा जेल से बाहर निकली और हैदराबाद में फूल बेचकर अपना बाकी का जीवन बिताया. 1998 में उनका निधन हो गया था.

रुपहले पर्दे पर आने वाली है नीरा आर्या की कहानी

नीरा आर्या को भारत की पहली महिला जासूस के रूप में भी जाना जाता है. अब उनकी कहानी रुपहले पर्दे पर आने वाली है. निर्देशक रूपा अय्यर की इस फिल्म का मोशन पोस्टर रिलीज हो चुका है. फिल्म में श्रेयस तलपड़े, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और रूपा अय्यर नीरा आर्या की मुख्य भूमिका में पर्दे पर नजर आएंगी. फिल्म नीरा की कहानी बयां करेगी, जिन्होंने भारत की आजादी के लिये अपने जीवन का बलिदान दे दिया.