19 साल की उम्र में उसकी शादी हो गई थी. उसने कई महीनों तक अपने पति का दर्दनाक टॉर्चर झेला. कोई और होता तो टूट जाता, मगर वो जिंदगी में आगे बढ़ी और महज 23 साल की उम्र में 300 से अधिक लोगों की जिंदगियां बचाकर इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई. वो बहादुर लड़की ‘नीरजा भनोट’ थी. नीरजा नाम सुनते ही आंखों के सामने सोनम कपूर का चेहरा उभर कर आता है, जबकि हम असली नीरजा की बात कर रहें है.
वो बहादुर लड़की ‘नीरजा भनोट’ कौन थी?
7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़ के एक पंजाबी परिवार में जन्म लेने वाली नीरजा अपने घर की लाड़ली थीं. उनकी शुरुआती शिक्षा चंड़ीगढ़ में हुई. बाद में उनका परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया था. इसलिए नीरजा ने अपनी बाकी की पढ़ाई मुंबई में रहकर पूरी की. पढ़ाई के दौरान ही नीरजा मॉडलिंग के प्रति आकर्षित हुईं और बतौर मॉडल अपना करियर शुरू किया. उनका करियर अच्छा शुरू हुआ था. इसी बीच उनके घरवालों ने उनकी शादी कर दी थी.
19 साल की उम्र मरीज इंजिनियर से हुई शादी
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19 साल की छोटी सी उम्र में ही नीरजा अपने पति के साथ यूएई रहने चली गईं. नीरजा का पति एक मरीज इंजिनियर था. कहने के लिए उसके पास किसी चीज़ की कमी नहीं थी. मगर नीरजा के प्रति उसका व्यवहार ठीक नहीं था. परिणाम स्वरूप नीरजा के लिए उनकी शादी सुखद नहीं रही. पति के टॉर्चर और मारपीट ने जब हद पार कर दी तो नीरजा उसको छोड़कर मुंबई लौट आईं. इसके बाद उन्होंने पीछे पलटकर नहीं देखा.
5 सितंबर, 1986 का वो काला दिन आया
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नीरजा ने नई शुरुआत के लिए पैन अमेरिकन एयरवेज में नौकरी के लिए आवेदन किया और सेलेक्ट हुईं. आगे वो ट्रेनिंग के लिए अमेरिका गईं, जहां उन्हें प्लेन के अंदर होने वाली हर चीज का ज्ञान उन्हें मिला. आगे नीरजा ने एंटी-हाईजैकिंग जैसे कोर्स में एडमिशन लिया और ट्रेनिंग के बाद एयर होस्टेस बन गईं. नीरजा को एक साल के अंदर ही एयर हॉस्टेस से फ्लाइट पर्सर की पोस्ट दे दी गई. अब उनकी लाइफ पटरी थी. तभी 5-9-1986 का काला दिन आया
जब आतंकवादियों से हुआ नीरजा का सामना
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5 सितंबर 1986 के दिन था. रोज़ की तरह ही नीरजा घर से अपनी नौकरी के लिए निकली थीं. वो पैन एम की फ्लाइट 73 में मौजूद थीं. उनकी फ्लाइट मुंबई से अमेरिका जाने वाली थी. यात्रा के दौरान उनके विमानन को कुछ देर के लिए कराची में रुकना था. फ्लाइट में बैठे किसी भी इंसान को नहीं पता था कि कराची में उतरते ही उनका बुरा समय शुरू हो जाएगा. फ्लाइट के रुकते ही अचानक 4 आतंकी सिक्योरिटी पर्सनल की ड्रेस में विमान में दाखिल हुए.
आतंकवादी विमान को साइप्रस ले जाना चाहते थे
वो हथियारों से लैश थे. अंदर आते ही उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी और प्लेन को अपने कब्जे में ले लिया. आतंकी विमान को साइप्रस ले जाना चाहते थे, ताकि बदले में वहां कैद फलस्तीनी कैदियों को छुड़ाया जा सकें.
इस तरह नीरजा ने बचा ली 360 लोगों की जिंदगी
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स्थिति को समझते ही नीरजा ने कॉकपिट क्रू को अलर्ट कर दिया था, जिसके कारण पायलट और फ्लाइट इंजिनियर एक ओवरहेड हैच के जरिए बाहर निकलने में कामयाब रहे. इससे यह हुआ कि आतंकी प्लेन को साइप्रस नहीं ले जा सकते थे. इससे सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि आतंकी अब इस प्लेन को साइप्रस नहीं ले जा सकते थे.
जन्मदिन से 2 दिन पहले ही प्राण त्याग दिए
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इधर प्लेन के अंदर नीरजा ने मोर्चा संभालने का काम किया. अपनी जान की परवाह किए बिना वो लगातार सबकी मदद करती रहीं. नीरजा ने उस दिन 380 में से 360 यात्रियों को बचाया. उनकी वजह से ही विमान में सवार कुल 44 अमेरिकी नागरिकों में से 42 सुरक्षित बच पाए. आखिर में तीन बच्चों को वह बाहर निकलने में मदद कर रही थीं, तभी एक गोली उन्हें आकर लग गई. कोई मदद उन तक पहुंचती इससे पहले ही उन्होंने प्राण त्याग दिए.
नीरजा के साहस को दुनिया ने सलाम किया
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भारत सरकार ने जहां नीरजा को उनकी बहादुरी के लिए अशोक चक्र से सम्मानित किया. नीरजा यह पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की और पहली महिला थीं. वहीं पाकिस्तान ने उन्हें ‘तमगा-ए-पाकिस्तान’ से नवाजा था. अमेरिकी सरकार की तरफ से उन्हें ‘जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड’ से नवाजा गया था. साल 2016 में नीरजा की जिंदगी पर एक फिल्म भी बनाई गई, जिसमें सोनम कपूर ने उनका रोल अदा किया था.
नीरजा आज भी ‘हीरोइन ऑफ दी हाईजैक’
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नीरजा के जीवन पर आधारित फिल्म ‘नीरजा’ को कई सारे अवॉर्ड भी मिले थे. इसे बेस्ट हिंदी फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. नीरजा आज भी दुनिया के लिए ‘हीरोइन ऑफ दी हाईजैक’ हैं.