न विचार, ना लाइफ स्टोरी, कलाम साहब की कुछ बातें जो हमें दिल और दिमाग में उतार लेनी चाहिए

Things we can learn from APJ Abdul Kalam

27 जुलाई, 2015. यूनिवर्सिटी में ग्रैजुएशन और मास्टर्स के नए बैच के लिए समन्वय भवन में सत्रारंभ का आयोजन किया गया. ये विश्वविद्यालय का नियम था, नए सेशन की शुरुआत में तीन दिन का सत्रारंभ कार्यक्रम रखा जाता था. इसमें नेता, पत्रकारिता, रेडियो जगत के लोग बच्चों से बातें करते थे. उस साल सत्रारंभ का पहला दिन था. प्रोग्राम शुरू हो चुका था या नहीं, ठीक से याद नहीं और न ही तब मेरे पास स्मार्टफ़ोन था, जिनके पास था शायद उन्हें पहले से पता चल गया हो. स्टेज पर थोड़ी असहजता दिखी और अनाउंसमेंट की गई कि कलाम साहब नहीं रहे.

अचानक लगा कि ये क्या हुआ, छात्रों के बीच अशांति का भाव साफ़ महसूस किया जा सकता था. प्रोफ़ेसर्स के चेहरे बता रहे थे कि किसी को भी इस घोषणा पर यकिन नहीं हुआ. हर वक्ता ने कलाम साहब पर बातें की. एक प्रोफ़ेसर ने बताया कि कलाम साहब के एक कार्यक्रम की वो होस्ट थीं और दिनभर काम-काज करने की वजह से उन्हें थकान हो गई थी, वीवीआईपी से घिरे कलाम साहब ने ये भी नोटिस किया और उन्हें पानी वगैरह पीने को कहा था.

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बहुत सारी बातें की गईं लेकिन ये बात दिल में घर कर गई. कुछ छात्रों की आंखें नम भी थीं और मेरा दिमाग काफ़ी तेज़ी से दौड़ रहा था, इतना कुछ हो रहा था कि प्रोसेस करना मुश्किल था. एक शख्स जिसने देश को इतना कुछ दिया, लाखों लोगों की ज़िन्दगी पर गहरा प्रभाव डाला वो नहीं रहा. अब क्या होगा? कलाम साहब के बिना ये देश चलेगा लेकिन क्या दशा होगी?

मैं पढ़ती हूं लेकिन किस्मत कहिए या कुछ और, कलाम साहब की एक भी किताब नहीं पढ़ी है… न इग्नाइटेड माइंड्स, और न ही विंग्स ऑफ फायर, ये दो किताबें हैं जो किताबों में रूचि न रखने वाले भी चाट गए होंगे, पता नहीं क्यों नहीं पढ़ी. आज ये लेख लिखते हुए भी सोच रही हूं लेकिन जवाब नहीं है.

27 जुलाई 2015 को कलाम साहब ने हमें अलविदा कह दिया. उन पर आज तक काफ़ी कुछ लिखा गया है, कहा गया है. लेकिन, उन बातों को रिपीट करने का फ़ायदा नहीं. इसलिए न इस पर बात करेंगे कि इस देश को कलाम साहब जैसे राष्ट्रपति की ज़रूरत है. न ही इस पर चर्चा करेंगे कि अगर ऊपरवाले ने मुस्लमान बनाया है तो कलाम बनो, कसाब नहीं. न उनकी बायोग्राफ़ी दोबारा लिखेंगे और न ही उनके विचार.

आज कलाम साहब की कुछ बातें आसान शब्दों में संकलित करने की कोशिश करेंगे, जिन्हें अपनाकर हम अपनी लाइफ़ को बेहतर बना सकते हैं.

1. किसी से अगर Promise किया है तो उसे किसी हालत में निभाना

Things we can learn from APJ Abdul KalamRediff

सुनने में आसान लगता है, नहीं? करना कितना मुश्किल है ये सभी जानते हैं. TOI के लेख के अनुसार, कलाम साहब को 2004 में मेंगलुरु की एक 6 साल की बच्ची ने अपने डांस वीडियो की CD भेजी. बीएच तन्वी राव की इस भेंट का कलाम साहब ने खत लिखकर जवाब दिया था. इस घटना के कुछ हफ़्ते बाद परफ़ोर्मेन्स के लिए तन्वी दिल्ली गई और उसने कलाम साहब से मिलने की गुज़ारिश की. कलाम साहब सुनामी से जुड़ी मीटींग्स में व्यस्त थे इसलिए वे तन्वी से मिल नहीं पाए. गौरतलब है कि उन्होंने तन्वी को वादा किया कि जब भी वे मेंगलुरु आएंगे तन्वी से मिलेंगे. फरवरी, 2009 में कलाम साहब मेंगलुरु में थे. 25 फरवरी, 2009 को तन्वी के पिता के पास कलाम साहब का कॉल आया कि सर्किट हाउस में रात के 9 बजे वो खुद तन्वी से मिलेंगे. कलाम साहब तन्वी से मिले, उसके नृत्य के बारे में बातें की और आशीर्वाद दिया. कई साल बीतने के बाद भी कलाम साहब एक बच्चे को किया अपना वादा नहीं भूले थे.

2. करियर के प्रति डेडिकेशन

Things we can learn from APJ Abdul KalamTNIE/Aravamudan and Abdul Kalam

कलाम साहब को मिसाइल मैन ऑफ इंडिया कहा जाता है. उनके लिए करियर कितना ज़रूरी था वो इस बात से ही पता चलता है कि उन्होंने शादी नहीं की. हर किसी के मन में ये सवाल आता है कि कलाम साहब ने शादी क्यों नहीं की? एक बार तो एक छात्र ने ही कलाम साहब से ये सवाल पूछ दिया था. असहज करने वाले इस सवाल का जवाब भी उन्होंने आराम से दिया था और कहा था, ‘आशा करता हूं आप सभी को अच्छा लाइफ़ पार्टनर मिले.’ कलाम साहब के हेयर स्टाइलिस्ट हबीब अहमद ने भी आउट ऑफ द वे जाकर ये प्रश्न कर दिया था. जिस पर उन्होंने कहा था कि वो तो मिसाइल सी हो गई थी.

करियर के प्रति, अपने सपनों के प्रति डेडिकेशन क्या होता है, ये कलाम साहब से सीख सकते हैं. उन्होंने सिर्फ़ समाज के लिए किसी से जुड़ना स्वीकार नहीं किया और अपने हिसाब से ज़िन्दगी जी.

3. सिंपल लिविंग

Things we can learn from APJ Abdul KalamTwitter/Abdul Kalam in Rashtrapati Bhavan

कलाम साहब सादा जीवन जीते थे. हेयरस्टाइल पर मत जाइए, कुछ ख्वाहिशें तो हर किसी में होती ही हैं. NDTV के लेख के अनुसार, कलाम साहब दो सूटकेस लेकर राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे. एक इंटरव्यू के दौरान कलाम साहब ने बताया था कि एक सूटकेस में 2 दिन के ट्रैवल का सामान था- 2 दिन के कपड़े, किताब, कभी लैपटॉप, टेप रिकॉर्डर. जब कलाम साहब ने राष्ट्रपति भवन छोड़ा तब भी उनके पास सिर्फ़ दो सूटकेस ही थे. उनके पास किताबों का भंडार था, जिन्हें वे अपने साथ ले गए. सादा जीवन क्या होता है, कैसे आराम से बड़ी ख़्वाहिशों के बिना लाइफ़ जिया जा सकता है, ये हम पूर्व राष्ट्रपति से सीख सकते हैं.

4. Patience रखना और सबसे प्यार से बात करना

Things we can learn from APJ Abdul Kalam The Guardian

कलाम साहब की तस्वीर देखिए एक अलग तरह की पॉज़िटिविटी महसूस होगी. ये सकारात्मक ऊर्जा उन्हीं लोगों से आ सकती है जिनका मन साफ़ हो. आजकल हम लोगों में धैर्य ही नहीं. चाहे वो ट्रैफ़िक में देख लो या किसी दुकान पर. या कहीं भी देख लीजिए, सबको जल्दी है. अगर काम पहले न हो तो गुस्सा आ जाता है. किसी शहर के रास्तों से ही शहर की नब्ज़ पता चलती है. तेज़ हॉर्न, सबसे आगे निकलने की होड़. चिल्लाकर बातें करना, कितनी ही बातें हैं. सोचिए जीवन में पहली बार किसी से मिल रहे हों और शुरुआत गाली-गलौज.

कलाम साहब से हम धैर्य साधना, सौम्यता से और प्यार से सभी से मिलना, बातें करना सीख सकते हैं. आज की दुनिया में इसकी बहुत ज़्यादा ज़रूरत है.

5. Curiosity, क्या नया सीख सकते हैं?

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कलाम साहब न सिर्फ़ खुद किताबें पढ़ते थे बल्कि दूसरों को भी पढ़ने के लिए कहते थे. एपीजे अब्दुल कलाम सेंटर के CEO, सृजन पाल सिंह बताते हैं कि वो कई बार दिल्ली स्थित उनके घर पर रुकते थे. हर बार वो कुछ नया सीखते थे, रात के 1-1 बजे तक डिस्कशन्स होते थे. उन्होंने बताया कि कलाम साहब ऐसे व्यक्ति थे जो आपको किसी किताब का अंश पढ़ने देंगे और फिर डिस्कस करने को कहेंगे. नई चीज़ें जानने के लिए वे हमेशा क्यूरियस रहते थे. उन्हें हमेशा पॉज़िटिव ज्ञान की खोज रहती थी.

कहीं न कहीं ये क्यूरियोसिटी ‘नर्ड्स’ तक ही सीमित रह गई है. रील्स के युग में ये एक्सेप्ट करना बहुत ज़रूरी है कि 59 सेकेंड्स से 3 मिनट के बीच किसी भी विषय का ज्ञान नहीं सिमट सकता. दुनिया में जानने के लिए बहुत कुछ है. हमें हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश करनी चाहिए.

6. पशु प्रेम

Things we can learn from APJ Abdul KalamFacebook/Dr APJ Abdul Kalam Trust, Kerala

कलाम साहब विवाहित नहीं थे लेकिन उन्हें बच्चे बहुत पसंदे थे, ये तो हम जानते हैं. क्या आप जानते हैं कि उन्हें पशुओं से भी बहुत प्रेम था और वे शुद्ध शाकाहारी थे. तिरुचिरापल्ली के सैंट जोसेफ़ कॉलेज में पढ़ने के दौरान वे मांस नहीं खरीद सकते थे इस वजह से शाकाहारी बने और बाद में यही उनकी जीवनशैली बन गई. वे गुजरात जाते हों या शिलॉन्ग हर जगह ताज़ा, गर्मा-गरम वेजिटेरियन फ़ूड ही खाते थे. खुद खाने से पहले वे परिंदों, गिलहरियों को खाना खिलाते थे.

एनिमल लव एक स्टाइल स्टेटमेंट, पॉलिटिकल स्टेटमेंट बन गया है. कई प्राणियों को लोग अपने मतलब के लिए इस्तेमाल करते हैं लेकिन ज़मीनी हकीकत तो यही है कि हमने पशु-पक्षियों से उनके घर छीन लिए. ऐसे में हम सच्चे दिल से बचे-कुचे पशु-पक्षियों की सेवा करने की कोशिश कर सकते हैं.

कलाम साहब की जीवनी से यूं तो काफ़ी कुछ सीखा जा सकता है, छांटकर हम वो ‘आसान चीज़ें’ लाए हैं जिन्हें आप आज ही जीवन में उतार सकते हैं.