हिमाचल प्रदेश के किसान नेकराम शर्मा पद्मश्री से अलंकृत होने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मिले। बुधवार को राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित दूसरे अलंकरण समारोह में वर्ष 2023 के लिए 3 पद्म विभूषण, 5 पद्म भूषण व 47 पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किए गए।
पहला अलंकरण समारोह 22 मार्च को आयोजित किया गया था। इस गरिमामय कार्यक्रम में जिला मंडी के करसोग के रहने वाले नेकराम शर्मा को यह सम्मान दिया गया। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और गृहमंत्री अमित शाह समेत अन्य गणमान्य शख्सियतों की मौजूदगी में नेकराम शर्मा को पद्मश्री से सम्मानित किया।
1993 में की थी प्राकृतिक खेती की शुरुआत…
सिर्फ दसवीं क्लास तक पढ़े नेक राम शर्मा को प्राकृतिक खेती की नेक सोच से पहचान मिली। 30 साल पहले 1993 में उन्होंने बिना केमिकल के प्राकृतिक खेती की शुरुआत की थी। नेकराम शर्मा के लिए प्राकृतिक खेती का सफर आसान नहीं था। शुरुआती दौर में उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, क्योंकि उनके इरादे दृढ़ थे। धीरे-धीरे नेकराम शर्मा ने गांव के लोगों को भी साथ जोड़ना शुरू किया।
केमिकल खेती के नुकसान से लोगों को बचाना है ध्येय
आज उनके गांव के आस-पास सिर्फ गोबर की मदद से किसान खेती करते हैं। 59 वर्षीय किसान नेकराम शर्मा ने सरकारी नौकरी को अनदेखा कर धरती मां को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती की शुरुआत की। प्राकृतिक खेती बीमारियों को दूर रखने में भी सहायक सिद्ध होती है।
केमिकल खेती न केवल मानव शरीर के लिए हानिकारक है, बल्कि उपजाऊ जमीन को भी खराब करती है। नेकराम शर्मा ने नेक इरादों के साथ ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खेती को नई दिशा देने का काम किया। आज प्राकृतिक रूप से गेहूं, मक्की, बाजरा, जौ व अन्य सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं।
प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में मिला पद्मश्री सम्मान
नेकराम शर्मा की प्राकृतिक सब्जियों की डिमांड हिमाचल प्रदेश से लेकर राजधानी दिल्ली तक है। 1 मई 1964 को जन्मे नेकराम शर्मा ने सिर्फ मैट्रिक तक की पढ़ाई की है। मिट्टी के लिए कुछ कर गुजरने की मंशा हमेशा उन्हें प्रेरणा देने का काम करती रही। नेकराम शर्मा ने किसानों को केमिकल खेती की ओर बढ़ते देखकर ठान लिया कि इस खेती से छुटकारा दिलाना है।
प्राकृतिक खेती की शुरुआत के साथ उन्होंने केमिकल का इस्तेमाल पहले कम कराया और धीरे-धीरे खत्म कर दिया। नेकराम शर्मा की प्राकृतिक खेती के फार्मूले का इस्तेमाल न केवल हिमाचल प्रदेश में बल्कि अन्य राज्यों में भी हो रहा है। 30 साल की कड़ी मेहनत के बाद नेकराम शर्मा के काम को पहचान मिलने से पूरे प्रदेश में खुशी की लहर है।