नेपाली कांग्रेस 89 सीटों के साथ साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है, जबकि उसके नेतृत्व वाले पांच दलों के गठबंधन ने पूर्ण बहुमत से दो कम यानी 136 सीटें जीती हैं। ऐसे में आम सियासी समीकरणों के बीच यूएमएल के लिए अगले पांच साल तक सत्ता हासिल कर पाना संभव नहीं है।
आम चुनाव में दूसरे नंबर पर फिसल जाने के बाद नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) ने सत्ताधारी गठबंधन में सेंध लगाने में अपनी पूरी ताकत लगा दी है। संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के लिए हुए आम चुनाव में यूएमएल को सिर्फ 78 सीटें मिलीं। नेपाली कांग्रेस 89 सीटों के साथ साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है, जबकि उसके नेतृत्व वाले पांच दलों के गठबंधन ने पूर्ण बहुमत से दो कम यानी 136 सीटें जीती हैं। ऐसे में आम सियासी समीकरणों के बीच यूएमएल के लिए अगले पांच साल तक सत्ता हासिल कर पाना संभव नहीं है।
यूएमएल के नेताओं ने अपने सार्वजनिक बयानों में कहा है कि वे विपक्ष की भूमिका खुशी-खुशी निभाएंगे। पार्टी के उपाध्यक्ष सुरेंद्र पांडेय ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा- ‘प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा गठबंधन चलाने में सक्षम हैं। इसलिए वे नई सरकार का नेतृत्व करने की स्थिति में हैं।’ हालांकि, मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यूएमएल अंदर ही अंदर सत्ताधारी गठबंधन को तोड़ने की चालें लगातार चल रही है। इन रिपोर्टों के मुताबिक यूएमएल को अपनी इस कोशिश में अभी कोई कामयाबी नहीं मिली है। इसके बावजूद उसने अपने प्रयास रोके नहीं हैं।
खबरों के मुताबिक, यूएमएल नेता देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस और सत्ताधारी गठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) के नेताओँ के साथ अलग-अलग बातचीत कर रहे हैँ। अखबार काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यूएमएल के उपाध्यक्ष विष्णु पौडेल, महासचिव शंकर पोखरेल और उप महासचिव पृथ्वी सुब्बा ने बीते कुछ दिनों में माओइस्ट सेंटर के नेताओं से बातचीत की है। उन नेताओं में माओइस्ट सेंटर के महासचिव देव गुरुंग भी शामिल हैं।
यूएमएल की सेंट्रल कमेटी के एक नेता ने काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘अभी मैं ज्यादा जानकारी नहीं दे सकता, लेकिन हमारी पार्टी नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को तोड़ने के लिए काम कर रही है। हमारा पहला मकसद यूएमएल के नेतृत्व में सरकार बनाना है। अगर हम सत्ताधारी गठबंधन से माओइस्ट सेंटर को अलग नहीं कर पाए, तो उसका मतलब होगा कि हम राष्ट्रपति या कोई अन्य महत्त्वपूर्ण पद पाने में नाकाम हो जाएंगे।’
यूएमएल नेताओं ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में स्वीकार किया है कि सत्ताधारी गठबंधन में शामिल दलों के एकजुट रहने का सार्वजनिक संकल्प जताने के बाद उनकी पार्टी का काम मुश्किल हो गया है। लेकिन उनका आकलन है कि अगर प्रधानमंत्री देउबा माओइस्ट सेंटर को प्रमुख मंत्री पद देने को राजी ना हुए, तो एक बार फिर से गठबंधन में दरार पड़ सकती है। यूएमएल की सेंट्रल कमेटी के सदस्य विष्णु रिजाल ने कहा है- ‘गठबंधन के अंदर जो चल रहा है, हमारी पार्टी उस पर नजर रखे हुए है। अगर हमारे लिए अनुकूल स्थितियां बनीं, तो हम अपने नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा करेंगे।’
यूएमएल की कोशिशों से सत्ताधारी गठबंधन के नेता भी वाकिफ हैँ। माओइस्ट सेंटर के उप महासचिव पम्फा भूसाल ने काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘यूएमएल सत्ताधारी गठबंधन को तोड़ने के लिए बेसब्र है। संभवतः यूएमएल नेताओं ने कई आकर्षक प्रस्तावों के साथ सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं से संपर्क किया है। लेकिन हमारी पार्टी का नेपाली कांग्रेस से संबंध तोड़ने की कोई योजना नहीं है।’